
भोपाल। जिसके गाने जुबां पर आते ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। जिसकी दीवानगी नया जमाने के युवाओं के भी सिर चढ़कर बोलती है। ऐसे हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार (kishore kumar) का आज जन्म दिन है। खंडवा वाले किशोर कुमार के कई किस्से मशहूर है, जिसे आज भी लोग शिद्दत के साथ याद करते हैं। मुंबई में निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार उनके जन्म स्थान मध्यप्रदेश के खंडवा में हुआ था। लेकिन उनकी यह अंतिम इच्छा तो पूरी हो गई, लेकिन कई ख्वाहिशें थीं जो अधूरी रह गई।
patrika.com पर किशोर कुमार के जन्म दिवस (kishore kumar birth anniversary) के मौके पर प्रस्तुत है उनसे जुड़े दिलचस्प किस्से...।
एक जिंदादिल किशोर कुमार की यह इच्छा थी कि खंडवा में अपनो के बीच और मालवा की संस्कृति के बीच बंस जाऊं। लेकिन, यह नहीं हो पाया। किशोर के चाहने वाले आज भी कहते हैं कि यदि वे होते तो बात ही कुछ ओर होती।
कंकाल ने तोड़ा जिंदगी का अहम सपना
किशोर कुमार की लाइफ स्टाइल सबसे अलग थी। लव, ट्रेजडी, ड्रामा, एक्शन हर चीज उनकी जिंदगी में अंत समय तक जुड़े रहे। किशोर दा का एक सपना था। वह अपने पैतृक शहर खंडवा में वेनिस जैसा एक घर बनाना चाहते थे। उन्होंने मजदूरों को बंगले के चारों तरफ एक नहर खोदने को भी कह दिया था, यह खुदाई महीनों तक होती रही, लेकिन बीच में एक कंकाल का डरावना हाथ मिलने से हड़कंप मच गया था, तब मजदूर वहां से भाग खड़े हुए और किशोर दा का यह सपना टूट गया।
बगैर पैसे में नहीं गाते थे, लेकिन एक फिल्म में पैसा नही लिया
किशोर (Indian playback singer) के बारे में इस बात को लेकर कई किस्से मशहूर हैं कि वह फीस लिए बगैर अपना हुनर कभी खर्च नहीं करते थे। लेकिन, यह वाकया बहुत कम लोग जानते होंगे कि फिल्मकार सत्यजीत रे के मशहूर बांग्ला शाहकार चारूलता के लिए 1964 में उन्होंने गाने के एवज में बतौर पारिश्रमिक एक पाई तक नहीं ली थी।
पोहे-जलेबी बेहद पसंद था
मायानगरी मुंबई में जरूर किशोर बस गए थे, लेकिन उनका दिल खंडवा आने के लिए ही धड़कता रहता था। यहां के दही बड़े और पोहे और दूध-जलेबी खाने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे। क्योंकि मालवा-निमाड़ क्षेत्र में पौहे-जलेबी हर घर और गली मोहल्ले में मिल जाती है।
किशोर के कारण बन गई है यह धरोहर
आज भी खंडवा स्थित उनके बंगले को देखने लोग पहुंच जाते हैं। इस बंगले का नाम है गांगुली सदन। जर्जर हो चुके इस बंगले में प्रवेश करते ही ऐसा आभास होता है कि किशोर यहीं-कहीं है और गुनगुना रहे हैं। हालांकि अब यह बंगला बेच दिया गया है। किशोर दा के बचपन से जुड़ी चीजें आज भी बंगले में रखी हुई हैं। जिस कमरे में किशोर दा का जन्म हुआ था, वह पलंग आज भी रखा हुआ है। जो धूल खा रहा है। प्रथम तल पर जाने के लिए लकड़ी की सीढ़ियां बनी थी, जो क्षतिग्रस्त हो गई है। बंगले के आसपास के दुकानदार खराब सामान यहीं पटक जाते हैं। हालांकि किशोर कुमार का यह बंगला अब बेच दिया गया है।
वो कहते हैं- गिरने दो दीवारें
नगर निगम के रिकॉर्ड में किशोर कुमार का बंगला उनके पिता कुंजीलाल गांगुली के नाम पर है। बंगले पर करीब 42 सालों से चौकीदारी करने वाले बुजुर्ग सीताराम बताते हैं कि कई बार मुंबई मे रहने वाले किशोर के परिजनों को बंगले का रखरखाव करने के लिए सूचना दी जाती गई, लेकिन किसी ने भी रुचि नहीं ली। कुछ माह पहले जब बंगले की दीवार गिरने की सूचना भेजी गई तो वहां से कहा गया कि गिर जाने तो। बांबे बाजार स्थित इस बंगला 7655 वर्ग फीट में बना हुआ है।
किशोर कुमार पर एक नजर
1. आभास कुमार गांगुली था किशोर का असली नाम।
2. खंडवा के जिस बंगले में उनका जन्म हुआ था, वह बंगला आज भी है, लेकिन जर्जर हालत में है।
3. बंगले में वह पलंग भी है जिस पर उनका जन्म हुआ था। इसके अलावा वे तमाम चीजें हैं जिनके साथ किशोर कुमार बचपन में खेला करते थे।
4. किशोर कुमार ने 13 अक्टूबर को 1987 में अंतिम सांस ली थी।
5. किशोर कुमार बगैर फीस लिए एक भी गाना नहीं गाते थे।
6. जब मन करता था तो दही-बड़े खाने खंडवा चले आते थे।
7. अटपटी बातों के वे चटपटे अंदाज में जवाब देते थे। नाम पूछने पर वे बताते थे रशोकि रमाकु।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी याद किया
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) ने भी किशोर कुमार को नमन किया है। उन्होंने अपने ट्वीट संदेश में लिखा है कि जिंदगी को जिंदादिली के साथ जीने वाले, महान गायक, अभिनेता स्व. किशोर कुमार जी की जयंती पर सादर नमन् करता हूं। अपनी गायकी और अभिनय से लोगों के जीवन में उत्साह एवं उल्लास का नया रंग भरने वाले खण्डवा के लाल, मध्यप्रदेश के गौरव को सदैव याद किया जायेगा। #KishoreKumar
Updated on:
04 Aug 2022 03:41 pm
Published on:
04 Aug 2022 11:19 am
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