
Medha Patkar Dalmia Group Century Company Dalmia Family Tree
कसरावद (खरगोन). मुंबई-आगरा राजमार्ग की बंद पड़े कारखाना सेंचुरी यार्न डेनिम के श्रमिक और कर्मचारियों के वीआरएस (स्वेच्छिक सेवानिवृत्त) को लेकर अब मामला कंपनी के मुख्य प्रबंधन डालमिया के घर तक पहुंच गया। शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की मुख्य सूत्रधार मेधा पाटकर के नेतृत्व में मजदूरों ने मुंबई स्थित डालमिया के निवास पर हुंकार भरी। जिन्हें गिरफ्तारी के बाद छोड़ दिया गया। पाटकर ने पत्रिका से चर्चा करते हुए कहा कि कंपनी द्वारा जबरन लगाए गए वीआरएस नोटिस के खिलाफ हमने हाईकोर्ट में रिपीटीशन लगाई है। जिसपर 12 जुलाई सोमवार को सुनवाई होनी है। इधर मिल प्रबंधन कहना कोई लंबित मामला नहीं है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही मामले को खारिज कर चुका है।
पाटकर ने आगे कहा कि सेंचुरी के श्रमिक अपने अधिकारों के लिए 44 महीनों से सत्याग्रह कर संघर्ष कर रहे है और औद्योगिक ट्रिब्यूनल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और सर्वोच्च अदालत के आदेशों से मिल बंद रखी गई तो भी वेतन लिया और अपना हक पाया। पाटकर ने कहा सेंचुरी कंपनी को घाटे में धकेल कर कुमार मंगलम बिड़ला समूह ने मिल को बेचने फर्जी बिक्री पत्र तैयार कर धोखा किया, जो ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के आदेश से खारिज हो चुका है। घाटे में चल रही मिल को सेंधवा एक उद्योगपति को बेचा है। जिसके चलते श्रमिकों ने पिछले दिनों सेंधवा पहुंचकर प्रदर्शन किया था।
पिछले महीनों में कंपनी के अधिकारी , अध्यक्ष, संचालक और मानव संसाधन प्रमुख कानूनी तज्ञ (विशेषज्ञ) ने चर्चा की। प्रबंधन ने कहा वीआरएस की राशि 3 लाख से 5 लाख ले लीजिए या दोनों कंपनी एक रुपए में श्रमिकों को चलाने देंगे। पाटकर ने कहा हमारे साथ बहुतांश सभी श्रमिक और आधे कर्मचारी जुड़कर विशेषज्ञों की सलाह मशीनरी और संपदा का अध्ययन करने के साथ ही चार बार इंदौर और दो बार मुंबई में चर्चा करने पहुंचे। मजदूरों ने निर्णय संकल्प लिया वीआरएस नहीं रोजगार चाहिए। तब हमारे साथ हर चर्चा में गवाह रहे। एआईटीयूसी एनटीयूसी और सेंचुरी कामगार कामगार एकता यूनियन के चंद लोगों ने सेंचुरी कंपनी को पत्र लिखकर कहा हमें वीआरएस चाहिए। ट्रिब्यूनल के सामने भी मतभेद आए तो हमारी श्रमिक जनता संघ के सेंचुरी के 90 प्रतिशत श्रमिकों ने सदस्यता ग्रहण की ओर कंपनी के प्रबंधन ने यूनियन के यानी चंद श्रमिकों के पत्र को गलत आधार बनाकर श्रमिकों की संख्या को मिल देने से इनकार किया-
मिल प्रबंधन के खिलाफ श्रमिकों ने अपनी मांगों को लेकर अक्टूबर 2017 से आंदोलन शुरु किया था, जो अब तक जारी है। पाटकर सहित श्रमिकों ने बताया कि चारों यूनियन में भारतीय मजदूर संघ भी शामिल है। 10 प्रतिशत भी श्रमिक सदस्य ना होते हुए वे वीआरएस मांग रहे जबकि उन्हें ट्रेड यूनियन एक्ट के अनुसार श्रमिकों को प्रतिनिधित्व करने का अधिकार भी नहीं है । श्रमिकों द्वारा अपनी जिंदगी के 20-25 साल कंपनी काम करने के बाद वह 3 से 5 लाख लेकर क्या जीवन चला सकते है। कंपनी मैनेजमेंट द्वारा श्रमिकों को वीआरएस लेने के लिए 13 जुलाई की समय सीमा रखकर नोटिस लगाए है। जिसके खिलाफ सत्याग्रह जारी है जारी रहेगा।
सेंचुरी कंपनी अधिकारी अनिल दुबे के अनुसार औद्योगिक विवाद अधिनियम का पालन करते हुए वीआरएस दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश है कंपनी अगर घाटे में है तो कंपनी बेच सकते हैं। श्रमिक भी इसका पालन करें। औद्योगिक अधिनियम में प्रावधान दे रखा है। तीन महीने का छटनी और 15 दिन का मुआवजा दे सकते हैं।
Published on:
11 Jul 2021 10:48 am
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