
CG Elephant News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में वनमंडल कटघोरा में हाथियों को झुंड धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है। फसल को चट तो कर ही रहा है, पैरों से दबाकर खेत में खड़ी धान की फसल को रौंद रहा है। इसके साथ ही उन किसानों के सपने टूट रहे हैं जिन्होंने अच्छी कीमत पर सहकारी समितियों में सरकार को धान बेचने के लिए कड़ी मेहनत की थी।
CG Elephant News: धान लगाकर किसी ने बेटी की शादी की योजना बनाई थी तो किसी ने कोई अन्य कार्य करने को सोचा था। जैसे-जैसे हाथियों का झुंड खेत में खड़ी धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है किसानों का सपना टूटता जा रहा है और किसान अपना धैर्य भी खो रहे हैं। हाथियों का झुंड वनमंडल कटघोरा अंतर्गत चोटिया के आसपास स्थित किसानों की खेतों को काफी नुकसान पहुंचाया है। शाम होते ही जंगल से निकलकर हाथियों का झुंड किसानों की खेत की ओर बढ़ जाता है और फसल को मिनटों में चट कर निकल जाता है।
जिस रास्ते से झुंड चलता है उस रास्ते की पूरी फसल जमीन पर दब जाती है। इसमें क्षेत्र के किसान वीरेन्द्र सिंह मरकाम भी शामिल हैं। वीरेंद्र ने इस साल कड़ी मेहनत कर अपनी खेत में धान की फसल लगाई थी लेकिन हाथियों का झुंड उनकी फसल को बर्बाद कर चुका है। इस क्षेत्र में रहने वाले रामसिंह टेकाम भी हैं जिनकी फसल को भी हाथियों ने नुकसान पहुंचाया है। किसानों ने बताया कि वन विभाग ने उनकी खेतों का सर्वे किया। इस दौरान राजस्व विभाग के कर्मचारी भी मौजूद रहे।
फसल नुकसान हुए लगभग दो माह का समय गुजर गया है लेकिन अभी तक उनके पास मुआवजे की राशि नहीं पहुंची है। इससे ग्रामीण चिंतित हैं। वीरेंद्र और रामसिंह जैसे चोटिया क्षेत्र में 100 से ज्यादा किसान हैं जिनकी धान की फसल को हाथियों की झुंड ने नुकसान पहुंचाया है। किसान उम्मीद लगाए बैठे है कि फसल नुकसान की भरपाई वन विभाग जल्द से जल्द कर दे लेकिन किसानों का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है।
इधर किसान चोटिया में फिर से एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि पूर्व में हाथी प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने चोटिया में एक दिन धरना प्रदर्शन किया था तब प्रशासन की तरफ से आश्वासन दिया गया था कि मुआवजा बांटने में देरी नहीं होगी। इस आश्वासन के बाद किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था। इसके एक माह से ज्यादा का समय गुजर गया है लेकिन अभी तक किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। किसानों का आरोप है कि वन विभाग के कर्मचारी उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
इसे लेकर उनमें नाराजगी है। किसानों का कहना है कि कई बार उनके सामने ऐसी परिस्थितियां आ रही है जब एक बिट का प्रभारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि यह क्षेत्र उनके बिट का हिस्सा नहीं है। यह मामला गुरसिया और बंजारी के बिट में ज्यादा आ रहा है। किसानों का आरोप है कि दोनों ही बिट के कर्मचारी आपस में सामंजस्य नहीं बना पा रहे हैं और किसानों को परेशान किया जा रहा है। एक खेत का सर्वे कराने के लिए उन्हें तीन-चार बार तक बिट प्रभारियों का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
Updated on:
19 Nov 2024 12:52 pm
Published on:
19 Nov 2024 12:48 pm
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