
CG News: औद्योगिक गतिविधियों के कारण हवा में बढ़ते कार्बन के उत्सर्जन से निपटने के लिए अलग-अलग मोर्चों पर तैयारी चल रही है। नाबार्ड और नीदरलैंड्स के सरकारी बैंक रेबो के साथ एक समझौता हुआ है। इसके तहत रेबो भारत में एग्रो प्लांटेशन (व्यावसायिक खेती) जैसे आम, जामुन, संतरा आदि के लिए किसानों को प्रोत्साहित करेगी। उनसे पौधे लगवाएगी।
पौधे वातावरण से जितना कार्बन डाई ऑक्साइड का अवशोषण करेंगे उसके अनुसार रेबो यूरोपीय मुद्रा यूरो में भुगतान करेगी। इस कार्य के लिए प्रदेश के तीन जिले कोरबा, सूरजपुर और जशपुर का चयन किया गया है। रविवार को रेबो बैंक और इसकी इंडिया में कंसलट्रेसी एजेंसी के प्रतिनिधि कोरबा जिले के विकासखंड करतला के रामपुर क्षेत्र पहुंचे। प्रतिनिधि मंडल ने नाबार्ड के अधिकारियों की उपस्थिति में किसानों की एक बैठक ली और उन्हें कार्बन क्रेडिट की योजना के बारे में विस्तार से बताया।
बिजली, स्पंज या अन्य औद्योगिक कारखानों में बड़े पैमाने पर ईंधन के रूप में कोयले के इस्तेमाल से कार्बन डाइऑक्साइड हवा में घुलती है। इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि आने वाले वर्षों में कंपनियों को राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ एक समझौता करना होगा।
इसके तहत औद्योगिक कंपनियां जितने टन कार्बन का उत्सर्जन करेंगी उसकी भरपाई के रूप में एक निश्चित राशि देनी होगी। यह राशि रेबो बैंक या इसके जैसी अन्य एजेंसियों के जरिए किसानों को दी जाएगी। प्रारंभिक तौर यह 8 अनुपात 2 का रहेगा। यानि 100 रुपए में से 20 रुपए रेबो बैंक और 80 रुपए किसानों को मिलेगा।
CG News: कोरबा औद्योगिक नगरी है। यहां से लगभग 8 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। इसके लिए बड़े पैमाने पर कोयले का दहन किया जाता है। इससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड काफी घुल रही है। किसानों को एग्रो प्लांटेशन से जोड़कर एक तरफ उनके आय में बढ़ोतरी की कोशिश की जा रही है तो दूसरी ओर कार्बन डाइऑक्साइड को नियंत्रित करने की पहल की गई है।
नाबार्ड, जिला कार्यक्रम प्रबंधक एसके प्रधान ने बताया कि रेबो बैंक के प्रतिनिधियों की करतला क्षेत्र में किसानों के साथ बैठक हुई है। इसमें कार्बन क्रेडिट के बारे में विस्तार से बताया गया है। किसानों को एग्रो प्लांटेशन पर ही यह राशि दी जाएगी।
Published on:
03 Dec 2024 08:44 am
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