
कोरबा . लू की चपेट में आई नातिन साक्षी को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भू- विस्थापित सुखराम डहरिया का परिवार शनिवार को फिर पेड़ के नीचे बैठ गया। हाल जानने पहुंची पुलिस को सुखराम ने एक लिखित शिकायत पर गेवरा प्रबंधन के एक अफसर पर प्रताडऩा का आरोप लगाया है। सुखराम ने एसईसीएल प्रबंधन पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए पूछा है कि प्रबंधन बताए कि उसे विजय नगर में कब और कहां बसाहट दी गई है।
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एसईसीएल के गेवरा खदान से प्रभावित ग्राम भठोरा सराइपाली के भू- विस्थापित सुखराम डहरिया पत्नी भोजला बाई और तीन नातिन के साथ पेड़ के नीचे बैठा है। परिवार का आरोप है कि एसईसीएल प्रबंधन झूठा आश्वासन देकर मकान तोड़वा दिया। बाद में बसाहट देने से इनकार कर दिया। परिवार 18 दिन से टूटे हुए घर से कुछ मीटर दूरी पर स्थित चिरंजीवी और सतवन पेड़ के नीचे आशियाना बनाकर बैठा है।
शनिवार को पत्रिका के प्रतिनिधि ने पेड़ के नीचे बैठे सुखराम और उसके परिवार से चर्चा की। सुखराम ने बताया कि गांव में उसका परिवार लगभग ७० साल से मकान बनाकर रहता है। मकान सुखराम के पिता हीराराम ने बनाई थी। कुछ साल पहले उसके मकान और जमीन एसईसीएल गेवरा प्रबंधन ने अधिग्रहीत कर ली थी।
प्रबंधन की ओर से बताया गया है कि मकान तोडऩे पर दो लाख ७३ हजार ९६० रुपए मुआवजा और बसाहट के जमीन उपलब्ध कराई जाएगी या तीन लाख रुपए दिए जाएंगे। पिछले माह अप्रैल में सुखराम गेवरा प्रबंधन के अफसर अविनाश शुक्ला से मिला। सुखराम का आरोप है कि शुक्ला के कहने पर उसने 23 अप्रैल को मकान तोड़ दिया और मकान का मुआवजा लेने के लिए शुक्ला से मिलने गेवरा पहुंचा। शुक्ला ने उसे बताया कि मकान का मुआवाजा दो लाख ७३ हजार ९६० रुपए मिलेगा। यह कहकर बसाहट देने से मना कर दिया कि सुखराम को विजय नगर में पहले ही बसाहट दी गई है। यह सुनकर सुखराम चौंक गया है।
सुखराम का आरोप है कि शुक्ला ने उसके साथ दफ्तर में अभद्र व्यवहार किया। बसाहट बेचने का आरोप भी लगाया। विरोध करने पर बाहर निकाल दिया। फिर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी दी। सुखराम का दावा है कि उसे कोई बसाहट नहीं दी गई है। उसने गेवरा प्रबंधन के अफसरों से पूछा है कि बताएं विजय नगर में कहां और कब बसाहट उपलब्ध कराई थी? सुखराम ने प्रबंधन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। साथ ही एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ हरदीबाजार चौकी में लिखित शिकायत कर प्रताडऩा का आरोप लगाया है।
बच्ची की हालत में सुधार
इधर लू की चपेट में आई सुखराम की नातिन साक्षी की सेहत में सुधार होने पर शनिवार को उसे हरदीबाजार के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से छुट्टी दी गई। सुखराम अपनी तीन नातिनों के साथ पेड़ के नीचे जीवन गुजार रहा है।
बैकफुट पर प्रबंधन, कहा मकान एसईसीएल ने नहीं तोड़ी
इधर मामला तूल पकडऩे के बाद बैकफुट पर आए एसईसीएल प्रबंधन ने शनिवार को लिखित बयान जारी कर कहा कि प्रबंधन ने सुखराम का मकान नहीं तोड़ा। सुखराम ने मुआवजा प्राप्त करने के लिए खुद मकान तोड़ा। उसे मुआवाजा देने के लिए गेवरा प्रबंधन कार्यालय बुलाया गया था, लेकिन उसने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था। लेकिन प्रबंधन यह नहीं बताया है कि इनकार के बाद उसके खाते में आईटीजीएस के जरिए दो लाख ७३ हजार ९६० रुपए क्यों डाला गया? प्रबंधन की ओर से दावा किया गया है कि सुखराम पिता हीरालाल को विजय नगर में बसाहट दी गई है जबकि सुखराम के पिता का नाम हीराराम है। दोनों के दावों की जांच राजस्व विभाग के अफसर कर रहे हैं।
Published on:
12 May 2018 09:38 pm
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