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विश्व पर्यावरण दिवस : जमीनी काम न करके नारों और रंग-बिरंगी स्पर्धा के जरिए प्रदूषण खत्म करने में मशगूल हैं अफसर व विभाग

शहर में सुबह-शाम कोयले की सुलगती अंगीठियों का जहरीला सांसों में समा रहा है तो पॉवर प्लांट की धुआं भी कम हानिकारक नहीं है।

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कोरबा

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Shiv Singh

Jun 05, 2018

जमीनी काम न करके नारों और रंग-बिरंगी स्पर्धा के जरिए प्रदूषण खत्म करने में मशगूल हैं अफसर व विभाग

जमीनी काम न करके नारों और रंग-बिरंगी स्पर्धा के जरिए प्रदूषण खत्म करने में मशगूल हैं अफसर व विभाग

कोरबा . कोयले की डस्ट और पॉवर प्लांट से निकले राखड़ ने ऊर्जाधानी की पर्यावरणीय सूरत पर जगह-जगह दाग लगा दिए हैं। पेड़-पौधे झुलस रहे हैं और इंसान की दिनचर्या में प्रदूषण समाता जा रहा है। अब जहर बन चुके इस प्रदूषण को खत्म करने की जिम्मेदारी संभालने वाले अफसर और विभाग जमीनी काम न करके नारों और रंग-बिरंगी स्पर्धा के जरिए इसे खत्म करने में मशगूल हैं।

ऊर्जाधानी के शहरी व ग्रामीण इलाकों को प्रदूषण ने चारों तरफ से घेर लिया है। शहर में सुबह-शाम कोयले की सुलगती अंगीठियों का जहरीला सांसों में समा रहा है तो पॉवर प्लांट की धुआं भी कम हानिकारक नहीं है। चौक-चौराहों पर अस्पतालों का वेस्ट कचरे की डंप है। शहर के दर्री से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के गेवरा-दीपका, कुसमुंडा तक उड़ रही डस्ट ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है।

ऊर्जाधानी में ये हैं प्रदूषण के कारक
औद्योगिक नगरी होने के कारण यहां सबसे अधिक प्रदूषण राखड़,डस्ट,अंगीठी में सुलगता कोयला,सीवरेज वॉटर,तेज रफ्तार से चलते वाहन, बायोमेडिकल वेस्टेज, उद्योगों से निकलने वाला काला धुआं, खतरनाक ठोस अपशिष्ठ, पर्याप्त मलोपचार संयंत्र न होना,म्यूनिसिपल वेस्ट,ध्वनि, वायु प्रदूषण।

प्लास्टिक है थीम
प्रत्येक वर्ष पर्यावरण दिवस के लिए एक थीम रखी जाती है। इस वर्ष की थीम है प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है। उल्लेखनीय है कि विश्व पर्यावरण दिवस १९७२ से मनाया जा रहा है। प्रति वर्ष पूरी दुनिया में ७०००टन प्लास्टिक वेस्ट पैदा होता है जबकि भारत में ७०० टन। भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत एक किग्रा है जबकि अन्य देशों में १५ किग्रा प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष है।प्लास्टिक वेस्ट १००० साल तक आसानी से डिकंपोज नहीं होता है,जमीन की उर्वरता भी खत्म होती है। इसलिए प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करना है का थीम रखा गया है।

सख्ती से हो नियमों का पालन
पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है कि प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों व अन्य कारकों पर सख्ती की जाय। पर्यावरणीय नियमों का सख्ती से पालन हो। पर्यावरण संरक्षण अधिकारी जिस काम के लिए रखे गए हैं, वे भली प्रकार अपनी जिम्मेदार निभाएं। साथ ही पर्यावरण संबंधी आंकड़े शहर की जनता के बीच रखें ताकि लोग जान सकें- माणिक विश्वकर्मा नवरंग, सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक (पर्यावरण प्रबंधन), एनटीपीसी कोरबा