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Watermelon farming: किसान ने नया प्रयोग कर की पीले और हरे तरबूज की खेती, खाने वाला हिस्सा लाल और पीला

Watermelon farming: बैकुंठपुर के ग्राम केनापारा में प्रगतिशील किसान का नया प्रयोग, पांच प्रकार के तरबूज की प्रजाति की खेती में से 2 किस्में हुईं सफल  

Watermelon farming
Yellow watermelon

बैकुंठपुर. कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से महज कुछ दूर पर ग्राम केनापारा के प्रगतिशील किसान ने एक एकड़ में तरबूज की नई प्रजाति (Watermelon farming) की खेती की है। जिसे लोग उत्सुकतावश देखने पहुंच रहे हैं। हालांकि 5 प्रजाति में सिर्फ 2 प्रजाति की फसल ही सफल हुई और पुरानी किस्म के तरबूज से अधिक फायदा हुआ। सामान्य तौर पर तरबूज का बाहरी हिस्सा गहरा हरा और काटने पर गुदा (अंदरुनी हिस्सा) लाल निकलता है।

ग्राम केनापारा निवासी भरत राजवाड़े ने 2 नई प्रजाति के तरबूज की खेती (Watermelon farming) की है। ऑनलाइन बीज मंगाकर खेतों में उगाई है। एक किस्म का तरबूज बाहर से हरा रंग है, लेकिन काटने में अंदर से पीले रंग का गूदा निकलता है। वहीं दूसरी किस्म का तरबूज बाहर से पीला रंग है, जिसे काटने पर अंदरूनी भाग (गुदा) लाल होता है।

अब फसल काटने का सीजन अंतिम चरणों पर है। किसान भरत ने बताया कि दोनों किस्म की प्रजाति को पहली बार प्रयोग के तौर पर लगाई है। इससे उम्मीद से कहीं बेहतर परिणाम मिले हैं। दोनों तरबूज (Watermelon farming) अत्यंत मीठे हैं, जिसमें पानी की मात्रा भी भरपूर है। उन्होंने बताया कि इस साल 5 प्रकार की तरबूज की प्रजाति की खेती की, जिसमें से 2 किस्में सफल रही।

तरबूज की पांच प्रजाति के बीज ऑनलाइन मंगवाए थे। हालांकि, नई प्रजाति के बीज काफी महंगे हैं, मात्र 20 ग्राम की कीमत 1800-1900 रुपए है। जबकि सामान्य तरबूज के बीज की कीमत 20 ग्राम का 200-300 रुपए है।

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Watermelon farming: सफेद करेला और ब्रोकली की भी कर चुके हैं खेती

किसान भरत ने बताया कि इससे पहले सफेद करेला और ब्रोकली की भी फसलें उगा चुके हैं। सफेद करेला आमतौर पर लोगों को कम देखने को मिलता है, लेकिन इसका स्वाद अलग होता है।

बाजार (Watermelon farming) में उसकी मांग भी बढ़ रही है। ब्रोकली की खेती से भी अच्छी आमदनी होती है। उनका कहना है कि नई और अनोखी फसलों की खेती से आमदनी बढ़ाई जा सकती है। साथ ही बाजार में एक अलग पहचान भी बनेगी।