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वीएमओयू में अफसरों ने कर्मचारियों पर लूटा दिए 3 करोड़, अब खुद फंस गए चक्कर में

locationकोटाPublished: Mar 17, 2018 01:22:07 pm

Submitted by:

​Zuber Khan

वीएमओयू ने नियमों को ताक पर रख 171 कर्मचारियों का वेतनमान राज्यपाल के सचिवालय में कार्यरत कर्मचारियों के बराबर कर दिया।

VMOU
कोटा . वर्धमान महावीर खुला विवि (वीएमओयू) ने नियमों को ताक पर रख 171 कर्मचारियों का वेतनमान राज्यपाल के सचिवालय में कार्यरत कर्मचारियों के बराबर कर दिया। सरकार से स्वीकृति खारिज होने के बाद भी वीएमओयू ने कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन बांट दिया, लेकिन स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग के स्पेशल ऑडिट में इसकी पोल खुल गई। अब सरकार ने मनमाने तरीके से बांटे गए 2,96,47,234 रुपए की वसूली करने और तब तक विश्वविद्यालय की ग्रांट रोकने के आदेश जारी किए हैं।
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19 सितम्बर 1998 को वित्त विभाग ने नोटिफिकेशन जारी कर राज्यपाल सचिवालय के कर्मचारियों को अन्य विभागों से वरिष्ठ मानते हुए उच्चतर वेतनमान जारी करने का प्रावधान किया था। इस अध्यादेश को आधार बनाकर वीएमओयू के कर्मचारियों ने भी उच्चतर वेतनमान देने की मांग की। विवि प्रशासन ने 04 जनवरी 2012 को उच्च शिक्षा (ग्रुप-4) के विशेषाधिकारी को पत्र लिखकर इस बाबत मार्गदर्शन मांगा। विशेषाधिकारी ने 04 फरवरी 2012 को भेजे गए जवाब में कर्मचारियों की मांग को अनुचित बताते हुए उच्चतर वेतन वृद्धि के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
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सरकार को दिखाया ठेंगा
बावजूद इसके वीएमओयू ने 21 फरवरी 2012 को विश्वविद्यालय की वित्त समिति की बैठक में कनिष्ठ लिपिकों को 18 वर्ष की सेवा पूरी करने पर चयनित वेतनमान 5000-8000 के स्थान पर 5500-9000, स्टेनोग्राफर के वेतनमान 5000-8000 के स्थान पर 5500-9000 एवं 9 वर्ष की सेवा पर चयनित वेतनमान 6500-10500 देने के प्रस्ताव (संख्या 49/21(1)) का अनुमोदन कर दिया।

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12,14 और 20 मार्च 12 जारी किए गए कार्यालय आदेशों में विवि प्रशासन ने कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतनमान देने के आदेश जारी किए हैं। जिसमें इस प्रस्ताव को 2 मार्च 13 को हुई प्रबंध मंडल की 85 वीं बैठक में कार्य बिंदु 85/3 के द्वारा पास किया जाना बताया गया है। जबकि स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग की स्पेशल ऑडिट में खुलासा हुआ है कि उक्तकार्य बिंदु में वेतनमान वृद्धि के स्पष्ट प्रस्ताव को पारित करने की बजाय 49 वीं वित्त समिति की बैठक और शैक्षणिक सत्र 13-14 के अनुमानित बजट को अनुमोदित कराया जाना दर्ज है।


होगी रिकवरी
विश्वविद्यालय अधिनियम 1987 के अध्याय संख्या सात के पेरा नंबर 20 ए के तहत ऐसे सभी मामले जिनमें राज्य सरकार पर वित्तीय भार पड़ता हो, उन मामलों में राज्य सरकार के वित्त विभाग की पूर्व सहमति आवश्यक है, लेकिन इस मामले में वीएमओयू ने इसी नियम को दरकिनार कर दिया। 2 फरवरी 2018 को ऑडिट पूरी होने के बाद स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग ने वेतन वृद्धि को अनुचित बताते हुए तय वेतनमान से ज्यादा दी गई रकम की रिकवरी करने की सरकार से सिफारिश की। जिसे सरकार ने हाल ही में मंजूर कर वीएमओयू प्रशासन को सभी बेजा लाभान्वित कर्मचारियों से रिकवरी करने के आदेश जारी किए हैं। रिकवरी होने तक सरकार ने विवि की ग्रांट भी रोक दी है।

कुलपति प्रो. अशोक शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय कर्मचारियों की उच्चतर वेतन वृद्धि को लेकर स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग द्वारा की गई स्पेशल ऑडिट की रिपोर्ट मिल गई है। इस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
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