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Bundi Accident : बड़ा सवाल तो यह है कि जनता के जिम्मेदार इतने निष्ठुर क्यों हैं?

locationकोटाPublished: Feb 27, 2020 03:38:25 am

Submitted by:

Kanaram Mundiyar

अब तो सबक लें जिम्मेदार
 

Bundi Accident : बड़ा सवाल तो यह है कि जनता के जिम्मेदार इतने निष्ठुर क्यों हैं?

Bundi Accident : बड़ा सवाल तो यह है कि जनता के जिम्मेदार इतने निष्ठुर क्यों हैं?

के. आर. मुण्डियार
सरकार व सिस्टम ने पहले के बड़े हादसों से सबक लिया होता तो पूरे राज्य को मेज नदी में बस गिरने के हादसे से शोक-संतप्त नहीं होना पड़ता। सरकार और अफसर, दोनों ही किसी बड़ी दुखांतिका व विपदा के बाद ही मुस्तैदी दिखाते हैं। फिर कुछ दिनों बाद किसी न किसी को दोषी ठहरा कर पूरे मामले पर पर्दा डाल देते हैं। बड़ा सवाल तो यह है कि जनता के जिम्मेदार इतने निष्ठुर क्यों हैं? अधिकारीसिफारिश के आधार पर सुरक्षा नियमों की अनदेखी बंद क्यों नहीं कर देते हैं? क्या लाशों को देखकर उनका दिल नहीं रोता?
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प्रदेश ने इससे पहले कोटा में निर्माणाधीन हैंगिंग ब्रिज गिरने से 48 लोगों की मौतों का हादसा देखा तो मारवाड़ में मेहरानगढ़ दुखांतिका में 216 लोगों की मौतों का गम भी झेला है। कुछ साल पहले उदयपुर के देसूरी नाल में भी रामदेवरा के जातरूओं से भरा ट्रोला पलटने से 80 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। साल-दर-साल, हादसे के बाद हादसे। फिर भी कोई सबक नहीं। हर हादसे के बाद क्या हुआ? आर्थिक सहायता व मुआवजा के अलावा सरकारों ने क्या किया? राजनीतिक दखल के चलते हादसों की हकीकत तक सामने नहीं आ पा रही है। किसी भी नियम की पालना की सख्ती आम जनता के लिए ही क्यों होती है। सियासी रसूखात वालों के लिए तो जैसे कोई नियम ही नहीं है।
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पुलिस व परिवहन अधिकारी भी राजनीति से जुड़े लोगों के भारी वाहनों व बसों की जांच तक नहीं करते और करते हैं तो वसूली करके छोड़ देते हैं। यही वजह है कि पूरे राज्य में यातायातव परिवहन सिस्टम बिगड़ा हुआ है। प्रदेश में निजी परिवहन माफिया हावी है। परिवहन विभाग से वाहनों के परमिट, फिटनेस प्रमाण पत्र और लाइसेंस कैसे जारी होते हैं? यह किसी से छिपा नहीं है। परिवहन मंत्री ने सत्ता में आने के बाद कई बार विभाग की हालत सुधारने के बयान दिए, लेकिन कुछ सुधार नहीं हुआ। परिवहन मंत्री खुद इस दु:ख में कोटा संवेदना जताने आए। मृतक के परिजनों की चीत्कार उन्होंने भी महसूस की होगी। इससे सबक लेकर विभाग में सुधार करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि राज्य में कहीं से भी मौत के परमिट जारी नहीं हो। फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने में पूरे मापदंडों की कठोरता से पालना करानी चाहिए। अधूरे मापदंडों पर परमिट जारी कराने वाले जनप्रतिनिधियों को भी अब सबक लेना चाहिए। हादसों के परमिट जारी कराने में सहयोग बंद कर देना चाहिए।
Kr.mundiyar@epatrika.com
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