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बूंदी बस हादसा : करुण क्रंदन से लोकसभा अध्यक्ष के छलके आंसू ..जब एक साथ जली 21 चिताएं प्रदेश ने इससे पहले कोटा में निर्माणाधीन हैंगिंग ब्रिज गिरने से 48 लोगों की मौतों का हादसा देखा तो मारवाड़ में मेहरानगढ़ दुखांतिका में 216 लोगों की मौतों का गम भी झेला है। कुछ साल पहले उदयपुर के देसूरी नाल में भी रामदेवरा के जातरूओं से भरा ट्रोला पलटने से 80 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। साल-दर-साल, हादसे के बाद हादसे। फिर भी कोई सबक नहीं। हर हादसे के बाद क्या हुआ? आर्थिक सहायता व मुआवजा के अलावा सरकारों ने क्या किया? राजनीतिक दखल के चलते हादसों की हकीकत तक सामने नहीं आ पा रही है। किसी भी नियम की पालना की सख्ती आम जनता के लिए ही क्यों होती है। सियासी रसूखात वालों के लिए तो जैसे कोई नियम ही नहीं है।
बूंदी बस हादसा : 22 शवों की चिता को देख भावुक हुए लोकसभा
अध्यक्ष,अंत्येष्टि में शामिल हुए
पुलिस व परिवहन अधिकारी भी राजनीति से जुड़े लोगों के भारी वाहनों व बसों की जांच तक नहीं करते और करते हैं तो वसूली करके छोड़ देते हैं। यही वजह है कि पूरे राज्य में यातायातव परिवहन सिस्टम बिगड़ा हुआ है। प्रदेश में निजी परिवहन माफिया हावी है। परिवहन विभाग से वाहनों के परमिट, फिटनेस प्रमाण पत्र और लाइसेंस कैसे जारी होते हैं? यह किसी से छिपा नहीं है। परिवहन मंत्री ने सत्ता में आने के बाद कई बार विभाग की हालत सुधारने के बयान दिए, लेकिन कुछ सुधार नहीं हुआ। परिवहन मंत्री खुद इस दु:ख में कोटा संवेदना जताने आए। मृतक के परिजनों की चीत्कार उन्होंने भी महसूस की होगी। इससे सबक लेकर विभाग में सुधार करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि राज्य में कहीं से भी मौत के परमिट जारी नहीं हो। फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने में पूरे मापदंडों की कठोरता से पालना करानी चाहिए। अधूरे मापदंडों पर परमिट जारी कराने वाले जनप्रतिनिधियों को भी अब सबक लेना चाहिए। हादसों के परमिट जारी कराने में सहयोग बंद कर देना चाहिए।
Kr.mundiyar@epatrika.com
अध्यक्ष,अंत्येष्टि में शामिल हुए
पुलिस व परिवहन अधिकारी भी राजनीति से जुड़े लोगों के भारी वाहनों व बसों की जांच तक नहीं करते और करते हैं तो वसूली करके छोड़ देते हैं। यही वजह है कि पूरे राज्य में यातायातव परिवहन सिस्टम बिगड़ा हुआ है। प्रदेश में निजी परिवहन माफिया हावी है। परिवहन विभाग से वाहनों के परमिट, फिटनेस प्रमाण पत्र और लाइसेंस कैसे जारी होते हैं? यह किसी से छिपा नहीं है। परिवहन मंत्री ने सत्ता में आने के बाद कई बार विभाग की हालत सुधारने के बयान दिए, लेकिन कुछ सुधार नहीं हुआ। परिवहन मंत्री खुद इस दु:ख में कोटा संवेदना जताने आए। मृतक के परिजनों की चीत्कार उन्होंने भी महसूस की होगी। इससे सबक लेकर विभाग में सुधार करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि राज्य में कहीं से भी मौत के परमिट जारी नहीं हो। फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने में पूरे मापदंडों की कठोरता से पालना करानी चाहिए। अधूरे मापदंडों पर परमिट जारी कराने वाले जनप्रतिनिधियों को भी अब सबक लेना चाहिए। हादसों के परमिट जारी कराने में सहयोग बंद कर देना चाहिए।
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