scriptBig News: 46 डिग्री में भी ‘जिन्दा है मच्छर’, स्वाइन और डेंगू ने बरपाया कहर, कोटा में 8 लोगों की मौत | Dengue-swine flu: Mosquito is alive even in 46 degree Temperature | Patrika News

Big News: 46 डिग्री में भी ‘जिन्दा है मच्छर’, स्वाइन और डेंगू ने बरपाया कहर, कोटा में 8 लोगों की मौत

locationकोटाPublished: May 05, 2018 11:39:34 am

Submitted by:

​Zuber Khan

पिछले दो-तीन सालों से डेंगू का दंश झेल रहे कोटावासियों को इस बार भीषण गर्मी में 46 डिग्री तापमान में भी डेंगू का कहर झेलना पड़ रहा है।

mosquitoes

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कोटा . पिछले दो-तीन सालों से डेंगू का दंश झेल रहे कोटावासियों को इस बार भीषण गर्मी में 46 डिग्री तापमान में भी डेंगू का कहर झेलना पड़ रहा है। इस मौसम में लगातार सामने आ रहे डेंगू-स्वाइन फ्लू के रोगियों को देखते हुए चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। पिछले साल की तुलना में इस साल रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, मौत का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है।
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पहले तेजी गर्मी पड़ते ही मच्छर खत्म हो जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। तापमान 45 से 46 डिग्री होने के बाद भी मच्छर जिन्दा हैं। इस स्थिति को चिकित्सक भविष्य के लिए घातक मान रहे हैं। उनके अनुसार डेंगू रोगियों के सामने आने की स्थिति पूरे साल बनी रहेगी। बारिश होने के बाद प्रकोप ज्यादा बढ़ जाएगा।
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मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज सलूजा का कहना है कि पहले मच्छर केवल साफ पानी में ही पनपता था, लेकिन अब गंदे पानी में भी पनप रहा है और अपना जीवन चक्र पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि मच्छर को 40 डिग्री में मर जाना चाहिए, लेकिन शहर में खाली प्लाटों में पानी भरे रहने से मच्छर पनप रहे हैं।

स्वाइन फ्लू वायरस ने स्वरूप बदला
डेंगू के साथ ही स्वाइन फ्लू भी इस गर्मी में कहर बरपा रहा है। स्वाइन फ्लू वायरस ने अपना स्वरूप बदल लिया है। भीषण गर्मी में स्वाइन फ्लू का वायरस एक्टिव नहीं रहता, लेकिन इस साल यह गर्मी में भी तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2017 में जनवरी से अप्रेल तक स्वाइन फ्लू के 6 रोगी सामने आए थे, उनमें से दो की मौत हुई थी। वर्ष 2018 की इसी अवधि में अब तक 41 रोगी सामने आ चुके हैं और 8 की मौत हो चुकी है।
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पहले केलिफोर्निया, अब मिशिगन स्ट्रेन
चिकित्सकों का कहना है कि पहले स्वाइन फ्लू केलिफोर्निया स्वरूप में था, इस बार मिशिगन स्टे्रन में आ रहा है। यदि वायरस मनुष्य में रहकर विकसित होता तो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि वायरस पहले किसी जानवर में गया और उसके बाद मनुष्य के शरीर में आया। इस कारण वायरस से रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो पाई।
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