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राजस्थान में मदरसों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, मोदी सरकार ने तोड़े ख्वाब, कांग्रेस सरकार ने भी फेरा मुंह

locationकोटाPublished: Oct 19, 2019 10:21:21 am

Submitted by:

​Zuber Khan

Madarsa, PM Narendra Modi: राजस्थान में मदरसों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। केंद्र सरकार ने कदम पीछे खींच लिए तो कांग्रेस सरकार ने भी मुंह फेर लिया है।

Rajasthan Madarsa Board

राजस्थान में मदरसों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, मोदी सरकार ने तोड़े ख्वाब, कांग्रेस सरकार ने भी फेरा मुंह

दस महीने बाद भी बोर्ड का चेयरमैन नहीं तलाश सकी प्रदेश सरकार
विनीत सिंह@ कोट . दीनी तालीम के साथ जमाने के साथ कदम ताल करने को अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, हिंदी और कंप्यूटर की शिक्षा देने के लिए मदरसों ( Madarsa ) के आधुनिकीकरण का ख्वाब सरकारी फाइलों में ही कैद होकर रह गया। ( Modern Madarsa ) स्कीम ऑफ प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा (एसपीक्यूईएम) ( scheme of providing quality education rajasthan ) योजना की शुरुआत करने के बाद केंद्र सरकार ने इससे कदम पीछे खींच लिए।
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बीते चार साल से इस योजना में वित्तीय अनुदान जारी नहीं किया गया है। राज्य सरकार भी मदरसों को लेकर गंभीर नहीं है। ( Madarsa Education Board Rajasthan ) सरकार के गठन के 10 महीने बाद भी मदरसा शिक्षा बोर्ड को चेयरमैन तक नहीं मिल सका। राजस्थान मदरसा बोर्ड ( Rajasthan Madarsa Board ) का गठन होने के बाद वर्ष 2003 में मदरसों के पंजीकरण की शुरुआत हुई। ( Rajasthan Government ) सरकार की मंशा थी कि पंजीकरण के जरिए मदरसों में मौजूद संसाधनों और उनके संचालकों की जिम्मेदारी तय की जाए, ताकि उन्हें सरकारी सुविधाओं के साथ अनुदान जारी करने में किसी तरह की कोई दिक्कत न आए। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2011 में केंद्र सरकार ( Central Government ) ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत मदरसों में दीनी तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा ( Modern education ) प्रदान करने के लिए एसपीक्यूईएम योजना ( Spqem scheme ) की शुरुआत की।

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योजना ने तोड़ा दम
एसपीक्यूईएम के जरिए मदरसों में कंप्यूटर, फर्नीचर और विज्ञान प्रयोगशालाओं आदि का विकास करने के लिए 325 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद ही इस योजना ने दम तोड़ दिया। एक अप्रेल 2014 से अब तक धेला भर भी राजस्थान को नहीं दिया गया।
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चार साल में बंद हुए 655 मदरसे
साल 2015 में प्रदेश सरकार ने 3800 मदरसों का सत्यापन कराया। सत्यापन के दौरान 148 मदरसों का वजूद नहीं मिला। पंजीकरण के बावजूद 507 मदरसे खुले ही नहीं थे। करीब 228 मदरसों में 20 से भी कम छात्र पंजीकृत थे। ऐसे में सरकार ने 655 मदरसों का पंजीयन रद्द करने के साथ ही 228 को दूसरे मदरसों में मर्ज कर दिया।
केंद्र सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण और विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा व्यवस्था लागू करने के लिए शुरू की एसपीक्यूईएम योजना में करीब पांच साल से कोई अनुदान जारी नहीं किया। इसके चलते मदरसों के उच्चीकरण की योजना पूरी तरह ठप हो चुकी है। प्रदेश में नई सरकार गठित होने के बाद से चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हुई है। सरकार ने प्रभारी के तौर पर प्रशासनिक अधिकारी को नियुक्ति किया हुआ है।
इकबाल खान, अकादमिक अधिकारी, राजस्थान मदरसा बोर्ड
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मदरसों पर एक नजर
-2003 वर्ष में शिक्षा विभाग के अधीन हुआ मदरसा बोर्ड का गठन
-3239 मदरसे हैं राजस्थान में पंजीकृत
-2.35 छात्र-छात्राएं कर रहे पढ़ाई
-6000 से ज्यादा शिक्षक मानदेय पर कार्यरत
-354 मदरसे करा रहे उच्च प्राथमिक कक्षाओं की पढ़ाई
-2,885 मदरसों में हो रही है प्राथमिक पढ़ाई
-655 मदरसों का वर्ष 2015 में प्रदेश सरकार ने किया था पंजीकरण रद्द
-148 मदरसे भौतिक सत्यापन के दौरान मिले ही नहीं थे
-507 मदरसे मान्यता लेने के बाद भी शुरू नहीं हुए
-228 मदरसों में छात्रों की संख्या 20 से भी कम मिली थी
-7202 रुपए मिलता मदरसा शिक्षकों को न्यूनतम मानदेय
-9075 रुपए है शिक्षकों का अधिकतम मानदेय
-35 छात्र होनेपर होता है मदरसे का पंजीकरण
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