खनन माफिया यहां सुबह से लेकर रात तक रेत निकालकर मौटे दामों पर बेच रहे हैं। अवैध खनन से चम्बल का सीना छलनी होता जा रहा है। 2 से 3 हजार रुपए में आने वाली रेत इन दिनों 5 से 6 हजार रुपए में बेची जा रही है। जबकि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत सेंचुरी से किसी भी तरह का खनन नहीं किया जा सकता।
रंगपुर में हालत यह कि चंबल नदी किनारे करीब 2 दर्जन नावें लगी हैं। खनन माफिया नाव से नदी में जाते हैं और रेती निकाल इन्हीं में डाल लाते हैं। यह रेत ट्रॉली में भर दी जाती है। इसके लिए 500 से 700 रुपए प्रति ट्रॉली लेते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां दिनभर में 40 से 50 ट्रॉली निकाल ली जाती है।
छोटे माफिया भी सक्रिय
इसी के कुछ आगे चंबल के धोरों में भी दिनभर खनन कर बजरी बेची जा रही है। यहां 10 से 15 लोग तगारियों से रेत निकाल ट्रॉली भरते हैं। ये लोग दिनभर में रोज औसतन दो ट्रॉलियां भर देते हैं। छोटे माफिया नदी किनारे ही रेत को जमा कर बेच देते हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि चंबल किनारे दिनभर रेती निकालने का काम किया जाता है। कभी माइनिंग तो कभी पुलिस की जीप यहां आती जरूर है, लेकिन इन्हें रोकते नहीं। या तो अधिकारी इन खनन माफिया से डरते हैं या पैसों का खेल हो रहा है। पुलिस व वन विभाग के अधिकारियों की सांठ-गांठ से ही सारा खेल हो रहा है।
सूचना पर करते हैं कार्रवाई
हमने दो माह में 9 टै्रक्टर ट्रॉलियां जप्त की हैं। जब भी शिकायत मिलती है या अवैध खनन की सूचना आती है तो कार्रवाई करते हैं।
-रामबाबू भारद्वाज, उप वन संरक्षक, चम्बल घडिय़ाल अभयारण्य
रंगपुर गांव में चम्बल में रेत का अवैध खनन हो रहा है तो बंद करा देंगे। शीघ्र ही कार्रवाई करेंगे।
-शिवराज गुर्जर, थानाधिकारी रेलवे कॉलोनी