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मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्वः रेत ने रोकी बाघ की राह, अभी तक बने ही नहीं एनक्लोजर और सुरक्षा दीवार

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघ लाने की तारीख नजदीक आने के बावजूद अभी तक एनक्लोजर और सुरक्षा दीवार बनाने का काम पूरा नहीं हो सका है।

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मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बजरी की कमी होने से यहां अभी तक एनक्लोजर और सुरक्षा दीवार बनाने का काम पूरा नहीं हो सका है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक बाघ और दो बाघिन को लाकर इसी एनक्लोजर में रखा जाना है, लेकिन जब तक एनक्लोजर का निर्माण पूरा नहीं हो जाता, तब तक बाघों को लाया नहीं जा सकेगा। रणथंभौर से इसी महीने की 13 तारीख को इन तीनों बाघों को लाया जाना था, लेकिन रेत का मसला फंसने के बाद बाघों को लाने की तारीख भी टलती नजर आ रही है।

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6 महीने बाद भी नहीं हुआ काम पूरा

दुनिया के इकलौते बाघ विहीन टाइगर रिजर्व मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों की दहाड़ अब भी गूंजती सुनाई नहीं दे रही। एक दशक की कोशिश के बाद इस साल दिसम्बर के महीने में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में रणथंभौर टाइगर रिजर्व से तीन बाघ लाकर छोडे जाने थे। वन विभाग के अफसर अब तक तो सारी तैयारियां पूरी होने का दावा करते रहे, लेकिन ऐन मौके पर एनक्लोजर और सुरक्षा दीवार न बनने की बात का खुलासा होते ही हड़कंप मच गया। पड़ताल के बाद पता चला कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सोल्जर एरिया में प्रस्तावित एनक्लोजर और सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य ही पूरा नहीं हो सका है।

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रेत तक नहीं ला सका वन विभाग

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में पिछले 6 महीने से टाइगर लाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, लेकिन अब वन विभाग के अफसरों की लापरवाही उजागर होने लगी है। इन छह महीनों में सेल्जर एरिया में एनक्लोजर और सुरक्षा दीवार बनाने का काम पूरा होना था, लेकिन वन विभाग इसके निर्माण के लिए पर्याप्त बजरी तक नहीं जुटा सका। जबकि बार-बार पूछने पर वन विभाग के आला अफसर यही कहते कि काम पूरा हो चुका है। राजस्थान पत्रिका ने जब इस लापरवाही को उजागर किया तो वन विभाग के अफसरों ने माना कि रेत का मुद्दा नहीं सुलझा तो टाइगर लाने में विलंब हो सकता है।

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सेल्जर एरिया में बनने हैं दो एनक्लोजर

टाइगर रिजर्व में इसी माह तीन बाघ छोड़े जाने हैं। शुरुआत में इन्हें मुकुदंरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सेल्जर एरिया में बनाए जाने वाले एनक्लोजर में छोड़ा जाएगा। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक सेल्जर क्षेत्र में बनाए जा रहे एनक्लोजर का कार्य तो लगभग पूर्ण सा हो गया, लेकिन दरा क्षेत्र में सावनभादौ में बनाए जा रहे एनक्लोजर का काफी काम अभी बाकी है। जब तक एनक्लोजर का निर्माण पूरा नहीं होता तब तक रणथंभौर से बाघ यहां नहीं लाए जाएंगे। इसके अलावा दरा रेंज में 35 किमी की सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य भी अभी अधूरा पड़ा है।

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मिल रही सिर्फ 3 डंपर बजरी

एनक्लोजर और सुरक्षा दीवार के लिए वन विभाग मैन्यू फैक्चरिंग सेण्ड (क्रॅशर निर्मित रेत) मंगवाकर काम निकाल रहा है। इस तरह की रेत कोटा में कम ही तैयार होती है। एक दिन में सिर्फ 3 डम्पर रेत मिल रही है, जो कि कार्य के मुकाबले काफी कम है। इस हिसाब से एनक्लोजर और सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य पूरा करने में कई महीने लग सकते हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जीवी रेड्डी कहते हैं कि वन विभाग प्रयास पूरे कर रहा है। बजरी पर प्रतिबंध से निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है। समस्या के समाधान का हल विभाग कर रहा है। टाइगर रिजर्व में बाघों को लाने से पहले जरूरी कार्यों को पूर्ण करना है।

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इसलिए एनक्लोजर और दीवार जरूरी

वन व बाघ की सुरक्षा के लिए दीवार निर्माण कार्य किया जा रहा। बाघों को लाने के बाद कुछ दिन के लिए एनक्लोजर्स में रखा जाएगा ताकि वे बदले वातावरण में ढल सकें, अनुकूलित हो सकें। इनमें से एक एनक्लोजर सेल्जर व दूसरा सावभादौ में बनाया जा रहा है।

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ये काम है अभी बाकी

35 किलोमीटर बनानी है सुरक्षा दीवार दरा रेंज में अलग-अलग स्थानों पर
10 किमी तक की नींव खोद ली गई है दरा क्षेत्र में।
03 किलोमीटर पुरानी दीवार की भी बढ़ानी है ऊंचाई दरा में।
02 एनक्लोजर का होना है निर्माण
2.5 किमी दीवार बोराबास रेंज में भी बननी है।
रेलवे लाइन के सहारे भी फेंसिंग का काम होना बाकी है