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सरकार ने दिए गैर फार्मासिस्ट को दवा बाँटने के आदेश तो आंदोलन की तैयारी में जुटे रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट

छोटे स्वास्थ्य केन्द्रों पर अब गैर फार्मासिस्ट भी बांटेंगे दवा

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MEDICINE

कोटा .

प्रदेश के 15 हजार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व उप-स्वास्थ्य केन्द्रों पर जहां फार्मासिस्ट नहीं हैं, जल्द मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा वितरण केन्द्रों पर मल्टीपरपज कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सामुदायिक स्वास्थ्य वॉलंटियर, ए.एन.एम. आदि नजर आएंगे। सरकार ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं।

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रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की कमी के कारण इनके स्थान पर ड्रग एण्ड कॉस्मेटिक एक्ट 1945 के शेड्यूल (के) का हवाला देते हुए यह आदेश जारी किया गया। दूसरी ओर फार्मासिस्ट इसे अनाडिय़ों के हाथों दवा वितरण का आदेश बताते हुए आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।

45 हजार फार्मासिस्ट
राजस्थान फार्मेसी काउंसिल में करीब 45 हजार फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हैं। प्रदेश के 2 हजार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों 13 हजार उप-स्वास्थ्य केन्द्रों पर एएनएम तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा दवा वितरण किए जाने की योजना है।

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क्या है शेड्यूल-के
दवा निर्माण एवं उनके प्रभाव को ड्रग एण्ड कॉस्मेटिक एक्ट 1945 में अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है। इस शेड्यूल में गर्भ निरोधकों, बेण्डेज, ओआरएस., बाम, फोलिक ऐसिड दवा, इन्हेलर, लोजेन्जस, ग्रिसरीन, पेरासिटामोल सहित कम प्रभाव वाली औषधि प्रसाधनों के वितरण में रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की उपस्थिति एवं ड्रग लाइसेंस लेने पर छूट का प्रावधान है।

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जानिए शेड्यूल-एच

ड्रग एण्ड कॉस्मेटिक अधिनियम 1945 के शेड्यूल-एच के तहत किसी भी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर (डॉक्टर) द्वारा
दिए गए परामर्श की दवा रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट ही दे सकता है। इसमें 600 प्रकार की विभिन्न दवाएं शामिल हैं। सभी प्रकार के एंटीबायोटिक, मधुमेह, रक्तचाप, हृदय सहित सभी दवाएं इंजेक्शन एवं मलहम शेड्यूल एच के अन्तर्गत आती हैं।

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सहायक औषधि नियंत्रक देवेन्द्र गर्ग का कहना है कि ड्रग एण्ड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 में यह प्रावधान है कि जहां फार्मासिस्ट नहीं हैं, वहां कम्पाउंडर या टे्रंड स्टाफ लगा सकते हैं। वैसे दवा वितरण का कार्य फार्मासिस्ट का ही होता है।

प्रदेश संयोजक फार्मा यूथ वेलफेयर संस्थान हर्षित गौतम का कहना है कि फार्मासिस्ट इस आदेश पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हैं। यह जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। आदेश वापस नहीं लिया तो आंदोलन किया जाएगा।