झालावाड़ में खौफनाक वारदात: घर में मिली मां-बेटा और 2 मासूम बेटियों की लाश, पिता गायब, मंजर देख कांप उठा कलेजा
सोमवार को मध्यरात बाद जैसे तैसे रावण के पुतले को खड़ा तो कर दिया, पर इस दौरान इसकी पौशाक फट गई। यह देख निगम कर्मचारी व अधिकारी सकते में आ गए और इसे ठीक करने की जद्दोजहद में जुट गए। दरअसल रावण के पुतले के कमर से नीचे का हिस्से की घघरीनुमा पौशाक क्षतिग्रस्त हो गई थी। क्षतिग्रस्त हिस्से पर कपड़े का पैबंद लगाया जा रहा है।
101 फीट ऊंचा रावण खड़ा करने में लगे 150 लोग, 3 क्रेन और 21 घंटे, मेघनाद 12 फीट ऊंचाई से गिरा, गर्दन और नाक क्षतिग्रस्त
यह जद्दोजहद दोपहर 2 बजे तक जारी रही। सिर्फ रावण का पुतला ही नहीं दशानन पुत्र मेघनाद को भी निगम की अव्यवस्थाओं के आगे नतमस्तक होना पड़ा। सोमवार को इसे मैदान में लाकर खड़ा करने लगे तो यह करीब 12 फीट की ऊंचाई से धड़ाम से गिर पड़ा। इससे उसकी गर्दन व नाक का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। जबकि, दशानन का भाई 55 फीट ऊंचा कुंभकर्ण को आसानी से खड़ा दिया गया। Dussehra Special: कोटा की खुशहाली के लिए रावण के साथ इन 10 बुराइयों के खात्मे का भी लें संकल्प
21 घंटे बाद खड़ा हो सका रावण
रावण का पुतला खड़ा करने के लिए नगर निगम को पूरा अमला जुटाना पड़ा है। पुतले को खड़ा करने के लिए क्रेन की मदद ली गई, करीब 21 घंटे तक मशक्कत चली। रावण कुनबे को अलग-अलग हिस्सों में लकड़ी के पेड़े की मदद से सोमवार सुबह सात बजे से खड़ा करने की कोशिश में जुटे 150 लोगों की टीम मंगलवार तड़के 4 बजे कामयाब हुए। वहीं, 55 फीट ऊंचा मेघनाद का पुतला क्रेन की सहायता से खड़ा किया जा रहा था तभी 12 फीट की ऊंचाई पर क्रेन की कड़ी टूट गई और मेघनाद का पुतला धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा। इससे पुतले की नाक और गर्दन का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। मंगलवार दोपहर एक बजे तक भी निगम का अमला मेघनाद को खड़ा नहीं कर सकी।