
बाघिन महक
कोटा . मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में जल्द ही बाघों की दहाड़ गूंजने वाली है। इसे लेकर कोटावासी काफी उत्साहित हैं। दूसरी ओर कोटा चिडिय़ाघर की बाघिन महक के जीवन के सूनेपन को दूर करने की भी आस जगी है। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही चिडि़याघर में कुछ नए मेहमान आएंगे। वन्य जीव विभाग की ओर से बाघिन महक का जोड़ीदार लाने के लिए उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजा गया है। इसके अलावा पैंथर का एक जोड़ा लाने के लिए भी प्रस्ताव भेजा है।
दो साल पहले छोड़ गया था मछंदर
चिडि़याघर में पहले महक के अलावा दो बाघ शत्रुघ्न और मछंदर भी थे। बाघ शत्रुघ्न की काफी समय मौत हो गई थी। दो साल पहले मछंदर की भी मौत हो गई। इसके बाद से ही महक अकेली है। ऐसे में चिडि़याघर के प्रति आकर्षण बनाए रखने के लिए विभाग ने प्रस्ताव भेजे हैं। अभेड़ा क्षेत्र में बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण का कार्य किया जा रहा है। 122 हैक्टेयर में विकसित किए जाने वाले पार्क के आस-पास पौधारोपण कर ग्रीन वॉल बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसे बनने में अभी समय लगेगा, इसे देखते हुए फिलहाल चिडि़याघर का भी विकास किया जा रहा है। यहां हरियाली की गई है। परिसर में बने बाड़ों को व्यवस्थित रूप दिया है। नए प्रवेशद्वार खोलने की भी तैयारी की जा रही है।
14 बरस की है बाघिन महक
बाघिन महक 14 बरस की होने वाली है। यह 2012 से कोटा के चिडि़याघर की शोभा बढ़ा रही है। उसे पांच वर्ष पूर्व प्रदेश के अन्य चिडि़याघर से शत्रुघ्न व मछंदर का जोड़ा बनाने के लिए लाया गया था। चिडि़याघर में इस समय कुल 129 वन्यजीव हैं। इनमें महक के अलावा एक नर पैंथर, 2 जरख, अजगर, काले हरिन, नीलगाय, चीतल समेत अन्य वन्यजीव हैं।
यह सब तो ठीक है...
चिडि़याघर में आने वाले लोगों को शेर व भालू की कमी काफी खलती है। खास तौर पर बच्चे भालू के बारे में पूछते हैं। चिडि़याघर में पूर्व में सूरज व बसंत दो भालू थे, लेकिन इनके बाद कोई भालू यहां नहीं आया। इस पर वन्यजीव विभाग के उपवन संरक्षक सुनील चिद्री ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों में चिडि़याघर की व्यवस्थाओं को सुधारने का प्रयास है। इसी के तहत बाघिन का जोड़ा बनाने व एक अन्य पैंथर का जोड़ा लाने के लिए अधिकारियों को प्रस्ताव भेजा है। उम्मीद है इसे स्वीकृति मिल जाएगी।
बाघ अाने के बाद भी करना होगा इंतजार
मुकुन्दरा हिल्स टागइर रिजर्व में बाघों को लाकर छोडऩे के बाद भी वन्यजीव प्रेमियों को कुछ दिन इंतजार करना पड़ेगा। बाघों के आते ही इन्हें नहीं देखा जा सकेगा। इनके आने के बाद वे जब तक यहां के वातावरण में रम नहीं जाएंगे तब तक लोगों को इनके दीदार की अनुमति नहीं दी जाएगी। विभाग के अधिकारियों के अनुसार अभी पहली प्राथमिकता बाघों को यहां लाना है, फिर कुछ दिनों के लिए इन्हें देखरेख में रखा जाएगा। इसके बाद ही टिकट बुकिंग शुरू की जाएगी। उप वन संरक्षक एसआर यादव ने बताया कि अन्य टाइगर रिजर्वोंं की तरह ही यहां भी बाघ देखने के लिए टिकट बुकिंग ऑन लाइन होगी। लोग घर बैठे भी टिकट बुक करा सकेंगे। गौरतलब है कि टाइगर रिजर्व में इसी साल के अंत में बाघों को लाकर छोडऩा है। कुछ दिन विषय विशेषज्ञों की देखरेख में छोडऩे के लिए सेल्जर व दरा क्षेत्र के सावनभादो इलाके में एनक्लोजर बनवाए जा रहे हैं।
दो दिन से छका रहा था वनराज, अब मिले पगमार्क
पिछले दो दिन से वनकर्मियों को छका रहे बाघ टी91 के पगमार्क गुरुवार को रामगढ़ के जंगल मेें मिल गए। इस पर वनकर्मियों ने राहत की सांस ली। दो दिन पहले बाघ का बासखोळ के पास मूवमेंट बना हुआ था। उसके बाद से उसकी कोई जानकारी वनकर्मियों को नहीं मिल रही थी। गुरुवार को टे्रकिंग कर रहे वनकर्मियों को बाघ के पगमार्क रामगढ़ के जंगल मेें मिले। फिलहाल उसके शिकार करने की जानकारी नहीं मिली है।
Updated on:
22 Dec 2017 02:28 pm
Published on:
22 Dec 2017 01:26 pm
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