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बड़ी खबर: कोटा में 4 दिन खत्म होने से पहले ही खत्म हो जाती है एक जिंदगी…कैसे पढि़ए खबर

locationकोटाPublished: Sep 10, 2019 04:01:19 pm

Submitted by:

​Zuber Khan

World Suicide Prevention Day 2019: विश्व में हर 40 घंटे में एक व्यक्ति की जान चली जाती है। कोटा में हर चार दिन में कोई जिंदगी की जंग हार जाता है।

Suicide

कोटा में 4 दिन खत्म होने से पहले ही खत्म हो जाती है एक जिंदगी…कैसे पढि़ए खबर

कोटा. विश्व में हर 40 घंटे में आत्मघात ( Suicide ) के कारण एक व्यक्ति की जान चली जाती है। वहीं 15 से 25 वर्ष के युवा वर्ग में प्रतिघंटा एक मौत का कारण आत्मघात होता है, जबकि एक घंटे में ऐसे आत्मघात के औसतन 25 मामले होते हैं और औसतन 135 लोग प्रभावित होते हैं। कोटा में हर चार दिन बीतने से पहले आत्मघात से किसी की जान चली जाती है। हालांकि इस वर्ष बीते 8 महीनों में इसमें कमी दर्ज की गई है, लेकिन इसके बावजूद आत्महत्या पर प्रभावी रोक लगाने की आवश्यकता है। हाड़ौती में तो दिन बीतने से पहले ही कोई न कोई आत्मघात की भेंट चढ़ जाता है।
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हम करीब 90 फीसदी तक आत्मघात रोक सकते हैं। आत्मघात करने वाले 80 प्रतिशत तक सहायता की गुहार लगाते हैं। आत्मघात की ओर जाने वाले युवाओं व लोगों को उनके अत्यन्त दुखी रहने, सोशल मीडिया पर आत्महत्या संबंधी पोस्ट, तस्वीर बनाना, आत्मग्लानि, घोर निराशा, हिसाब-किताब निपटाना, अपनी प्रिय वस्तुए बांटना, जोखिमपूर्ण कार्य करना (अधिक सिगरेट, शराब पीना, तेज गााड़ी चलाना) जैसे चिन्हों से पहचाना जा सकता है। उनसे बातचीत कर से आत्मघात की रोकथाम की जा सकती हैं।
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युवाओं पर बड़ी जिम्मेदारी
आत्मघात के शिकार सर्वाधिक युवा ही होते हैं। वे अपना सर्वाधिक समय भी युवा साथियों के बीच ही बिताते हैं। ऐसे में उन्हें नोटिस कर आत्मघात की संभावना होने पर परिवार के जिम्मेदार लोगों को बताएं। उसे अकेला न छोड़ें और खुश रखने की कोशिश करें। इस प्रकार कई बहुमूल्य जीवन बचा सकते हैं। कोटा शैक्षणिक नगरी है। ऐसे में घर व परिजनों से दूरी, पढ़ाई का दबाव, किशोर से युवा अवस्था तक हार्मोन में होने वाले परिवर्तन, अधिक तनाव व बुरी संगत इसके अहम कारण हैं।

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होप सोसायटी हैल्पलाइन के माध्यम से पिछले 6 वर्षों से चौबीसों घंटे आत्मघात के समाधान में जुटी है। इस वर्ष 10 सितम्बर विश्व आत्मघात रोकथाम दिवस से विश्व मानसिक दिवस 10 अक्टूबर तक अब की बार आत्मघात रोकथाम को लेकर संस्थाएं काम कर रही हैं।
डॉ.एम.एल.अग्रवाल, मनोचिकित्सक, अध्यक्ष, होप सोसायटी
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अकेला न छोड़ें
आत्मघात की संभावना वाले युवाओं व लोगों को अकेला न छोड़ें। उसके माता-पिता, हॉस्टल वार्डन व अभिभावक को सूचित करना चाहिए। पीडि़त युवा को चिकित्सकीय सलाह दिलवानी चाहिए। उसके पास आत्मघात के लिए रस्सी, दवाइयां व तेज हथियार न रहने दें। पीडि़त को किसी भी सूरत में उकसाएं नहीं। यह उसके लिए घातक हो सकता है।
डॉ.अविनाश बंसल, सचिव, होप सोसायटी

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पूरे माह में स्कूल, कोचिंग संस्थाओं, कॉलेज में वार्ता, कार्यशाला, चित्रकला प्रतियोगिता, वीडियो फिल्म प्रदर्शन, हस्ताक्षर अभियान द्वारा जागृति लाई जाएगी। इसी प्रकार 10 सितम्बर की रात 8 बजे लोग अपनी खिड़की पर एक मोमबत्ती जलाकर आत्मघात रोकने में अपनी प्रतीकात्मक भागीदारी निभा कर अपनी जिम्मेदारी का परिचय देंगे।
यज्ञदत्त हाड़ा, चाइल्ड राइट एक्टीविस्ट।

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युवाओं में हार्मोन में बदलाव होने के कारण अवसाद जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में जागरूकता, युवाओं की समझाइश व युवाओं के साथियों व परिजनों की इसमें अहम भूमिका होती है। इस बारे में विभिन्न संस्थाएं प्रयास कर रही हैं। जागरूकता का प्रसार होने से इसमें इस वर्ष कमी दर्ज की गई है। इस पर लगातार काम किए जाने की आवश्यकता है।
दीपक भार्गव, पुलिस अधीक्षक कोटा सिटी

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