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पहले भी उठा था दर्दमृतक के भाई ने बताया कि लालाजी को डेढ़ माह पहले भी सीने में दर्द उठा था। उस समय गंगापुर में उपचार करवाया था। उसके बाद सही हो गया था, लेकिन कल सुबह फिर हल्के दर्द की शिकायत हुई। उसे अस्पताल दिखाने के लिए कहा था। पुलिस से मिली सूचना के आधार पर वह यहां अकेला पहुंचे था। परिजनों ने पुलिस को कोई कार्रवाई नहीं करने के बारे में लिखित में दिया। इस पर पुलिस ने बिना पोस्टमार्टम के शव सौंप दिया।
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अस्पतालों से लाइन नहीं हो रही खत्म
मेडिकल कॉलेज के तीनों बड़े अस्पतालों में मरीजों के अनुपात में काउंटर व चिकित्सक नहीं होने से कतारें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सर्दी में मौसमी बीमारियों का ज्यादा प्रकोप नहीं होने के बावजूद अस्पतालों में भीड़ देखने को मिल रही है। अस्पतालों में मेडिसिन, चर्म व हड्डी रोग विभाग में सबसे ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। एमबीएस में मेडिसिन की बात करें तो यहां रोजाना 150 से 200 का आउटडोर चल रहा है। चर्म में 250 से 300 मरीज पहुंच रहे हैं। यदि मरीज अस्पताल में अपनी छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी इलाज करवाने जाता है तो एक घंटे पर्ची काउंटर, दो घंटे चिकित्सक के पास, एक घंटे जांच तथा एक घंटे से ज्यादा समय दवा लेने में लगता है। अस्पताल बंद होने के बावजूद दवा काउंटर पर कतारें देखने को मिलती हैं।
काउंटर बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं
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मेडिकल कॉलेज प्रशासन तीनों बड़े अस्पतालों में काउंटर बढ़ाने व कतारें कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा। जब भी कतारें कम करने की बात सामने आती है तो एक ही रटा रटाया जवाब मिलता है कि जगह की कमी है। 40 करोड़ का नया ओपीडी ब्लॉक बन रहा है, लेकिन उससे पहले काउंटर बढ़ाने के लिए कोई पहल नहीं हो रही है।