6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Common Habits Spiking Blood Pressure : हाई बीपी की जड़ हैं ये 2 आदतें, जानें क्या कहती हैं नई गाइडलाइन्स और कैसे करें बचाव

2 Common Habits Spiking Blood Pressure : अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के नए नियम कहते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए ज्यादा शराब पीना और ज्यादा नमक (सोडियम) खाना इन 2 आदतों को जल्दी बदलना जरूरी है।

3 min read
Google source verification

भारत

image

Manoj Vashisth

Aug 17, 2025

Common Habits Spiking Blood Pressure

Common Habits Spiking Blood Pressure : हाई बीपी की जड़ हैं ये 2 आदतें, जानें क्या कहती हैं नई गाइडलाइन्स और कैसे करें बचाव (फोटो सोर्स : Freepik)

2 Common Habits Spiking Blood Pressure : अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के नए दिशानिर्देश हाई ब्लड प्रेशर (HighBlood Pressure) से निपटने के लिए लाइफ स्टाइल में जल्द बदलाव करने की सलाह देते हैं। ये सख्त सुझाव शराब और सोडियम का सेवन कम करने पर केंद्रित हैं। इसका उद्देश्य आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन में जल्द से जल्द हस्तक्षेप करके हार्ट और किडनी की बीमारी जैसी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोकना है।

Blood Pressure बढ़ाने वाली 2 आदतें : नई गाइडलाइन्स ने किया खुलासा

हाई ब्लड प्रेशर (HighBlood Pressure) अभी भी अमेरिका में सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है जो लगभग आधे वयस्कों को प्रभावित करता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी ने 2017 के बाद पहली बार नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

अब नए नियमों में शराब और नमक (सोडियम) कम लेने की सख्त सलाह दी गई है।
इसमें लोगों से कहा गया है कि अगर वे अभी से अपनी आदतें बदल लें तो आगे चलकर बड़ी बीमारियों से बच सकते हैं।
यूएसए टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नए तरीके से लाखों लोग डायबिटीज़, दिल की बीमारी, किडनी की समस्या और भूलने की बीमारी (डिमेंशिया) जैसी दिक्कतों का खतरा कम कर पाएंगे।

नए नियमों में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव क्या हैं?

वर्षों के शोध और रोकथाम पर अधिक ध्यान देने से ब्लड प्रेशर (HighBlood Pressure) के नए मानक सामने आए हैं। पहले आमतौर पर उन मरीजों का इलाज शुरू होता था जिनका ब्लड प्रेशर 140/90 mm Hg या उससे ज्यादा होता था। अब डॉक्टरों को कुछ और जल्दी करने के लिए कहा जाता है।

  • अगर आपका ब्लड प्रेशर 130–139 (ऊपरी) या 80–89 (निचला) के बीच है तो इसे स्टेज 1 हाई बीपी कहा जाता है।
  • ऐसे लोगों को डॉक्टर तुरंत अपनी आदतें बदलने की सलाह देते हैं।
  • इसमें सही खान-पान, रोजाना थोड़ा व्यायाम और शराब कम करना शामिल है।

शराब पीने से ब्लड प्रेशर क्यों बढ़ता है? (Drinking Alcohol Increase Blood Pressure)

लंबे समय तक शराब पीने को हाई ब्लड प्रेशर से जोड़ा गया है और नए नियम शराब पीने के बारे में अधिक सख्त हैं। अध्ययनों से संकेत मिलता है कि लगातार शराब के सेवन से समय के साथ सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों ब्लड प्रेशर बढ़ते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जो लोग शराब पीना पूरी तरह से छोड़ देते हैं उनमें जोखिम सबसे कम होता है और जो लोग कम से कम 50% तक कम कर देते हैं, उनमें वास्तविक सुधार दिखाई देते हैं। इन दिशानिर्देशों में शराब पीने की सीमा को स्पष्ट करके चाहे वह ज्यादा हो या कम, शराब पीने से होने वाले खतरों को कम करने की उम्मीद है।

सोडियम कम करने से खतरा कैसे कम होता है?

सोडियम अभी भी हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारणों में से एक है। बहुत से लोग सोचते हैं कि खाने की मेज पर नमक ज्यादा डालना समस्या है, लेकिन ज्यादातर सोडियम असल में पैकेज्ड और रेस्टोरेंट के खाने से आता है। इसीलिए नई सलाह में पोषण संबंधी लेबल देखने और पोटेशियम युक्त नमक के विकल्प जैसे विकल्पों का इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि आपको हर दिन 2,300 मिलीग्राम से कम सोडियम लेने की कोशिश करनी चाहिए और 1,500 मिलीग्राम सबसे अच्छा है। DASH योजना जैसे हृदय-स्वस्थ आहार का पालन करना बहुत जरूरी है, जिसमें सब्ज़ियां, फल, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, फलियां और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद शामिल हों।

लाइफ स्टाइल और पर्यावरण की क्या भूमिका है?

सिर्फ खाने-पीने से ही ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता इसके पीछे और भी वजहें होती हैं जैसे उम्र, खानदानी असर (जीन), ज्यादा वजन, शरीर में इंसुलिन का सही इस्तेमाल न होना, कम नींद और ज्यादा तनाव।

इसके अलावा वायु प्रदूषण और भारी धातुओं के संपर्क में रहना भी असर डाल सकता है।
नए नियम कहते हैं कि ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए सिर्फ डाइट ही नहीं बल्कि पूरा पैकेज जरूरी है अच्छा खाना, नियमित व्यायाम, तनाव को संभालना और जरूरत पड़ने पर दवा या डॉक्टर की मदद लेना।