Dry Fasting for Weight Loss : 36 घंटे के उपवास में शरीर के अंदर क्या होता है, जानें डायटीशियन से
Dry Fasting for Weight Loss : फिटनेस के लिए ड्राई फास्टिंग नया ट्रेंड है, जहां खाना-पानी दोनों वर्जित हैं। डाइटिशियन नेहा दुआ ने इसकी सुरक्षा और वजन घटाने पर गंभीर चिंता जताई है, इसे सेहत के लिए नुकसानदायक बताया है। (Health risks of Dry Fasting)
Dry Fasting for Weight Loss :36 घंटे के उपवास में शरीर के अंदर क्या होता है, जानें एक्सपर्ट की राय (फोटो सोर्स : Freepik)
Dry Fasting for Weight Loss : आजकल फिटनेस और वजन घटाना न केवल सुंदरता का मापदंड बन गया है, बल्कि यह एक स्वस्थ जीवनशैली का भी हिस्सा माना जाता है। कोई सुबह गर्म पानी और नींबू से दिन की शुरुआत करता है, कोई डाइटिंग और योग अपनाता है, तो कोई इंटरमिटेंट फास्टिंग जैसे ट्रेंडिंग तरीकों का सहारा लेता है। अब इनमें एक और नाम जुड़ गया है ड्राई फास्टिंग, यानी ऐसा उपवास जिसमें न खाने की अनुमति है, न पानी पीने की। (Dry Fasting for Weight Loss)
लेकिन क्या यह वाकई सुरक्षित है? और क्या इससे सच में वजन कम होता है? इस पर डाइटिशियन ने गंभीर चिंता जताई है। जयपुर की डाइटिशियन एवं नुट्रिशनिस्ट नेहा दुआ से जानिए क्या ड्राई फास्टिंग सेहत के लिए फायदेमंद है या नुकसानदायक।
ड्राई फास्टिंग (Dry Fasting) यानी ऐसा उपवास जिसमें न कोई खाना खाया जाता है और न ही पानी या कोई अन्य तरल पदार्थ लिया जाता है। जबकि इंटरमिटेंट फास्टिंग में पानी, ग्रीन टी जैसी बिना कैलोरी वाली चीजें पी जा सकती हैं, वहीं ड्राई फास्टिंग में ये भी मना है।
कई लोग मानते हैं कि इससे वजन तेजी से घटता है, इम्युनिटी बेहतर होती है, और स्किन हेल्थ भी सुधरती है। मगर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इससे डिहाइड्रेशन, किडनी और फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं, और पोषण की कमी जैसी गंभीर दिक्कतें भी हो सकती हैं।
डायटिशियन ने क्या चेतावनी दी?
डाइटिशियन नेहा दुआ (Dietitian Neha Dua) ने बताया ड्राई फास्टिंग को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर वैज्ञानिक रिसर्च की भारी कमी है। अब तक जो भी स्टडीज़ हुई हैं, वे मुख्य रूप से धार्मिक उपवासों पर आधारित हैं और आम लोगों पर इसके प्रभावों का व्यापक अध्ययन नहीं हुआ है।
उनका कहना है कि अन्य उपवास विधियों में आपको फायदे मिल सकते हैं जैसे वजन कम होना और इम्युनिटी में सुधार लेकिन ड्राई फास्टिंग से शरीर डिहाइड्रेट हो सकता है, जिससे नुकसान ज्यादा और फायदे कम हो सकते हैं।
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ड्राई फास्टिंग के संभावित खतरे (Risks of Dry Fasting)
– पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) – किडनी और मूत्र संबंधी समस्याएं
– फेफड़ों की जटिलताएं – पोषण की कमी (न्यूट्रिशनल डेफिसिएंसी) – खराब मूड, चिड़चिड़ापन और थकान – कब्ज़, कम पेशाब और सिरदर्द – कुछ मामलों में यह खाने से जुड़ी विकृति (ईटिंग डिसऑर्डर) की तरफ भी ले जा सकता है।
36 घंटे के ड्राई फास्टिंग में शरीर के अंदर क्या होता है? (What happens inside the body during 36 hours of dry fasting)
4 घंटे बाद:
पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और शरीर जमा हुई ऊर्जा को तोड़ना शुरू करता है। 8 घंटे बाद: ब्लड शुगर गिरती है, और शरीर ग्लाइकोजन स्टोर्स से ऊर्जा लेना शुरू करता है।
12 घंटे बाद: ग्लूकोज खत्म होने पर लिवर फैट को केटोन में बदलने लगता है — यह फैट लॉस की शुरुआत है। 16 घंटे बाद: ऑटोफैजी शुरू होती है — यह एक प्रक्रिया है जिसमें शरीर अपनी क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करता है।
24 घंटे बाद: पूरी तरह से फैट बर्निंग मोड में प्रवेश होता है। सूजन घटती है और इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है। 30 घंटे बाद: ग्रोथ हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे मसल्स टूटने से बचते हैं और फैट लॉस में मदद मिलती है।
36 घंटे बाद: ऑटोफैजी चरम पर पहुंचती है, जिससे शरीर में टिश्यू रीजेनेरेशन और मेटाबोलिक एक्टिविटी में तेजी आती है।
क्या करें? क्या न करें?
डाइटिशियन नेहा दुआ ने कहा ड्राई फास्टिंग को आज़माने से पहले किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ या डायटिशियन की सलाह ज़रूर लें। यह तरीका हर किसी के लिए नहीं है खासकर वे लोग जिन्हें डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, या कोई पुरानी बीमारी है।
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