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क्या है Emotional Eating, युवा बन रहे शिकार, डॉक्टर से जानिए लक्षण और बचाव का तरीका

Emotional Eating: बढ़ता तनाव, स्क्रीन टाइम और बदलती लाइफस्टाइल युवाओं में इमोशनल ईटिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। यह आदत भूख नहीं, बल्कि मानसिक बेचैनी से जुड़ी होती है, जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की समस्याएं हो सकती हैं।

भारत

MEGHA ROY

Jun 19, 2025

Emotional eating habits in young adults
Emotional eating habits in young adults

Emotional Eating: बदलती लाइफस्टाइल, बढ़ते स्क्रीन टाइम और तनाव झेलने के कारण युवाओं में अब इमोशनल ईटिंग की समस्या बढ़ रही है। इस आदत से उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक समस्याएं भी झेलनी पड़ रही है।विशेषज्ञों के अनुसार इमोशनल ईटिंग को अक्सर लोग सामान्य भूख समझ लेते हैं। लेकिन इसका संबंध पेट से नहीं बल्कि मन की बेचैनी से होता है। पढ़ाई, नौकरी, रिलेशनशिप या सोशल मीडिया प्रेशर जैसे कारणों से उत्पन्न तनाव व्यक्ति को खाने की ओर धकेलता है। यह एक मानसिक और शारीरिक आदत है, जिसमें लोग भावनात्मक तनाव को खाने के जरिये शांत करने की कोशिश करते हैं। इसे ही इमोशनल ईटिंग कहा जाता है।

इमोशनल ईटिंग के ज्यादा मामले

एसएमएस सुपर स्पेशियलिटी व एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों पास इस तरह के केस लगातार आ रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना के बाद से युवाओं में इमोशनल ईटिंग के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं।

इमोशनल ईटिंग का मुख्य कारण

इमोशनल ईटिंग का मुख्य कारण तनाव और एंग्जायटी है। पढ़ाई, नौकरी की अनिश्चितता और कॅरियर की चिंता के कारण युवा इससे ग्रस्त हो रहे हैं।इसके अलावा अधिकतर युवा यह पहचान ही नहीं पाते कि स्क्रीन टाइम भी बड़ी वजह है। क्योंकि उन्होंने कितना खाया है, इसका उन्हें अंदाजा नहीं रहता।इतना ही नहीं, मोबाइल, लैपटॉप या टीवी पर देर तक जागकर स्नैक्स लेना, लगातार मूवी, वेबसीरीज, वीडियो देखना या गेम खेलना, अनियमित मील टाइम, जंक फूड की आदत आदि मिलकर इमोशनल ईटिंग को बढ़ावा देते हैं। यह माइंड को डिस्ट्रैक्ट कर देता है।

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इमोशनल ईटिंग के कहीं ये लक्षण तो नहीं

भूख के बिना बार-बार खाना।
थकान, अकेलापन या बोरियत में खाने की इच्छा होना।
ज्यादा मात्रा में मीठा, नमकीन या तला-भुना खाना।
देर रात फ्रिज खोलकर कुछ खाने की आदत।

इमोशनल ईटिंग से ऐसे पाएं छुटकारा

भावनाओं को पहचानें: सच में भूख है या कोई भावनात्मक कारण।
एक डायरी रखें: कब और क्यों खाना खाया, उसका रिकॉर्ड रखें।
डिस्ट्रैक्शन अपनाएं: खाने के बदले वॉक करें, म्यूजिक सुनें या किसी से बात करें।
स्क्रीन टाइम घटाएं: टीवी या मोबाइल देखते हुए खाना खाने से बचें। केवल खाने पर ध्यान दें।
नींद और दिनचर्या सुधारें: सोने-जागने और खाने के समय तय करें। नियमित एक्सरसाइज करें।

सही दिशा में जागरूकता जरूरी-एक्सपर्ट की राय

इस मामले पर डॉ. सुधीर महर्षि, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने बताया इमोशनल ईटिंग की आदत में अक्सर लोग ऐसे फूड चुनते हैं, जिनमें हाई कैलोरी, शुगर और फैट होता है। इससे पाचन तंत्र पर बोझ बढ़ता है और मोटापा, एसिडिटी, एंग्जायटी, अनिद्रा जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इससे योग, काउंसलिंग और थैरेपी की मदद से छुटकारा पाया जा सकता है। इसको लेकर युवाओं में जागरूकता की जरूरत है।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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