
अवैध निर्माण को वैध करने का मौका (फोटो सोर्स : Google)
UP Housing Policy 2025 : उत्तर प्रदेश सरकार आवास और शहरी विकास के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन की तैयारी कर रही है। इस बदलाव का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो मकान बनाने की योजना बना रहे हैं। शासन स्तर पर मंथन चल रहा है कि आवासीय और व्यावसायिक भवन निर्माण से जुड़े कई शुल्कों में वृद्धि की जाए, जिससे न केवल विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके, बल्कि भविष्य की शहरी जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधन भी सुलभ हो सकें। सूत्रों के मुताबिक विकास शुल्क, अंबार शुल्क, म्यूटेशन शुल्क, एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) शुल्क, शेल्टर शुल्क, मानचित्र स्वीकृति शुल्क, प्रभाव शुल्क, निरीक्षण शुल्क और नगरीय उपयोग प्रभार जैसे आठ से नौ प्रमुख शुल्कों में इजाफा प्रस्तावित है। यह सभी शुल्क सीधे तौर पर भवन निर्माण से जुड़े लोगों की जेब पर असर डालेंगे।
आवास विभाग ने राज्य के विभिन्न विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद से इस विषय पर विस्तृत सुझाव मांगे हैं। उनसे पूछा गया है कि वर्तमान शहरी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किन शुल्कों में कितना इजाफा किया जा सकता है। प्राप्त सुझावों के आधार पर ही शुल्कों की नई दरें तय की जाएंगी। इन प्रस्तावों को नगर योजना एवं विकास अधिनियम के नए प्रारूप में शामिल किया जाएगा। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भवन विकास एवं निर्माण उपविधियों का प्रारूप लगभग अंतिम रूप में है। अब नगर योजना एवं विकास अधिनियम को आधुनिक बनाने और उसमें वित्तीय मजबूती के साथ कानूनी स्पष्टता देने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है।
सरकारी अधिकारियों का मानना है कि मौजूदा शुल्क काफी पुराने हैं और महंगाई व बढ़ती विकास लागत के अनुरूप नहीं हैं। कुछ शुल्क तो वर्षों पुराने दर पर ही लिए जा रहे हैं, जिससे प्राधिकरणों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है। शुल्कों में प्रस्तावित यह संशोधन शहरी विकास परियोजनाओं को गति देने, नई टाउनशिप विकसित करने और स्मार्ट सिटी जैसे मिशनों में स्थानीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
जहां सरकार इस कदम को वित्तीय मजबूती और सुव्यवस्थित शहरीकरण की दिशा में अहम बता रही है, वहीं आम लोगों के लिए यह सीधे तौर पर खर्च बढ़ाने वाला साबित होगा। पहले से ही महंगे होते निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट, सरिया, बालू और लेबर के साथ अब शुल्कों में बढ़ोतरी मकान बनाने के कुल बजट को 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। लखनऊ निवासी और मध्यमवर्गीय कर्मचारी राकेश तिवारी कहते हैं, “हमने दो साल से प्लॉट लिया है। अब जब मकान बनवाने की योजना बना रहे हैं तो हर तरफ से महंगाई ही महंगाई सुनने को मिल रही है। अगर सरकारी शुल्क भी बढ़ गए तो घर बनाना सपना बन जाएगा।”
अभी शुल्कों में बढ़ोतरी का निर्णय प्रारंभिक चरण में है। सभी प्राधिकरणों से राय मिलने के बाद आवास विभाग इन प्रस्तावों को अंतिम रूप देगा। इसके बाद इन्हें कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने पर संशोधित दरों को राज्य भर में लागू किया जाएगा। शासन स्तर पर इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि शुल्कों में वृद्धि व्यवहारिक और न्यायसंगत हो, ताकि आमजन पर अत्यधिक भार न पड़े और प्राधिकरणों की भी आमदनी सुनिश्चित हो सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि शहरीकरण की गति को बनाए रखने और योजनाओं को सफल बनाने के लिए वित्तीय संसाधन जरूरी हैं। लेकिन इसका संतुलन आमजन की आर्थिक क्षमता के साथ साधना भी उतना ही जरूरी है। अन्यथा, मकान बनाने के सपनों को पूरा करना आम आदमी के लिए और कठिन हो जाएगा।
Published on:
05 Jun 2025 05:03 pm
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