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UP Housing Policy: अब घर बनाना पड़ेगा भारी! बढ़ सकते हैं 9 तरह के सरकारी शुल्क

UP Housing Policy Building House in UP Get Costlier: उत्तर प्रदेश में मकान बनवाने की योजना बना रहे लोगों को अब अधिक खर्च के लिए तैयार रहना होगा। सरकार भवन निर्माण से जुड़े 8 से 9 शुल्कों को बढ़ाने पर विचार कर रही है। इससे विकास प्राधिकरणों की आमदनी बढ़ेगी, लेकिन आम जनता की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jun 05, 2025

अवैध निर्माण को वैध करने का मौका (फोटो सोर्स : Google)

अवैध निर्माण को वैध करने का मौका (फोटो सोर्स : Google)

UP Housing Policy 2025 : उत्तर प्रदेश सरकार आवास और शहरी विकास के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन की तैयारी कर रही है। इस बदलाव का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो मकान बनाने की योजना बना रहे हैं। शासन स्तर पर मंथन चल रहा है कि आवासीय और व्यावसायिक भवन निर्माण से जुड़े कई शुल्कों में वृद्धि की जाए, जिससे न केवल विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके, बल्कि भविष्य की शहरी जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधन भी सुलभ हो सकें। सूत्रों के मुताबिक विकास शुल्क, अंबार शुल्क, म्यूटेशन शुल्क, एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) शुल्क, शेल्टर शुल्क, मानचित्र स्वीकृति शुल्क, प्रभाव शुल्क, निरीक्षण शुल्क और नगरीय उपयोग प्रभार जैसे आठ से नौ प्रमुख शुल्कों में इजाफा प्रस्तावित है। यह सभी शुल्क सीधे तौर पर भवन निर्माण से जुड़े लोगों की जेब पर असर डालेंगे।

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शासन ने मांगे सुझाव, प्राधिकरणों से हो रही राय-शुमारी

आवास विभाग ने राज्य के विभिन्न विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद से इस विषय पर विस्तृत सुझाव मांगे हैं। उनसे पूछा गया है कि वर्तमान शहरी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किन शुल्कों में कितना इजाफा किया जा सकता है। प्राप्त सुझावों के आधार पर ही शुल्कों की नई दरें तय की जाएंगी। इन प्रस्तावों को नगर योजना एवं विकास अधिनियम के नए प्रारूप में शामिल किया जाएगा। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भवन विकास एवं निर्माण उपविधियों का प्रारूप लगभग अंतिम रूप में है। अब नगर योजना एवं विकास अधिनियम को आधुनिक बनाने और उसमें वित्तीय मजबूती के साथ कानूनी स्पष्टता देने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है।

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इन शुल्कों में प्रस्तावित है बदलाव

  • 1.विकास शुल्क – शहर के आधारभूत ढांचे (सड़क, सीवर, पानी आदि) के विकास के लिए लिया जाने वाला शुल्क।
  • 2.प्रभाव शुल्क – किसी भूमि के उपयोग में बदलाव या निर्माण की अनुमति के बदले लगाया जाता है।
  • 3.निरीक्षण शुल्क – निर्माण कार्यों की साइट विज़िट व निरीक्षण के लिए।
  • 4.म्यूटेशन शुल्क – संपत्ति के स्वामित्व हस्तांतरण के लिए आवश्यक।
  • 5.नगरीय उपयोग प्रभार – भूमि को आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक आदि श्रेणी में बदलने पर।
  • 6.अंबार शुल्क – निर्माण सामग्री या मलबे के अंबार से जुड़ा शुल्क।
  • 7.क्रय योग्य एफएआर शुल्क – अतिरिक्त मंजिल या क्षेत्रफल की स्वीकृति के लिए।
  • 8.शेल्टर शुल्क – गरीब व झुग्गीवासियों के लिए पुनर्वास योजनाओं हेतु।
  • 9.मानचित्र स्वीकृति शुल्क – भवन का नक्शा पास कराने हेतु अनिवार्य।

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विकास प्राधिकरणों की आर्थिक स्थिति होगी मजबूत

सरकारी अधिकारियों का मानना है कि मौजूदा शुल्क काफी पुराने हैं और महंगाई व बढ़ती विकास लागत के अनुरूप नहीं हैं। कुछ शुल्क तो वर्षों पुराने दर पर ही लिए जा रहे हैं, जिससे प्राधिकरणों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है। शुल्कों में प्रस्तावित यह संशोधन शहरी विकास परियोजनाओं को गति देने, नई टाउनशिप विकसित करने और स्मार्ट सिटी जैसे मिशनों में स्थानीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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मकान बनवाने वालों के लिए चिंता की बात

जहां सरकार इस कदम को वित्तीय मजबूती और सुव्यवस्थित शहरीकरण की दिशा में अहम बता रही है, वहीं आम लोगों के लिए यह सीधे तौर पर खर्च बढ़ाने वाला साबित होगा। पहले से ही महंगे होते निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट, सरिया, बालू और लेबर के साथ अब शुल्कों में बढ़ोतरी मकान बनाने के कुल बजट को 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। लखनऊ निवासी और मध्यमवर्गीय कर्मचारी राकेश तिवारी कहते हैं, “हमने दो साल से प्लॉट लिया है। अब जब मकान बनवाने की योजना बना रहे हैं तो हर तरफ से महंगाई ही महंगाई सुनने को मिल रही है। अगर सरकारी शुल्क भी बढ़ गए तो घर बनाना सपना बन जाएगा।”

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कब लागू होंगे नए शुल्क

अभी शुल्कों में बढ़ोतरी का निर्णय प्रारंभिक चरण में है। सभी प्राधिकरणों से राय मिलने के बाद आवास विभाग इन प्रस्तावों को अंतिम रूप देगा। इसके बाद इन्हें कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने पर संशोधित दरों को राज्य भर में लागू किया जाएगा। शासन स्तर पर इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि शुल्कों में वृद्धि व्यवहारिक और न्यायसंगत हो, ताकि आमजन पर अत्यधिक भार न पड़े और प्राधिकरणों की भी आमदनी सुनिश्चित हो सके।

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विकास बनाम आम आदमी – संतुलन बनाना चुनौती

विशेषज्ञों का मानना है कि शहरीकरण की गति को बनाए रखने और योजनाओं को सफल बनाने के लिए वित्तीय संसाधन जरूरी हैं। लेकिन इसका संतुलन आमजन की आर्थिक क्षमता के साथ साधना भी उतना ही जरूरी है। अन्यथा, मकान बनाने के सपनों को पूरा करना आम आदमी के लिए और कठिन हो जाएगा।