Humsafar Express Accident Averted: राजधानी के पास सोमवार सुबह एक बड़े रेल हादसे का खतरा टल गया जब आनंद विहार से गोरखपुर जा रही हमसफ़र एक्सप्रेस के लोको पायलट ने ट्रैक पर रखा एक विशाल और भारी लोहे का ढांचा देखकर तुरंत आपातकालीन ब्रेक लगा दिया। घटना लखनऊ के सुपरफास्ट मल्हौर रेलवे स्टेशन के पास तड़के लगभग 04:45 बजे हुई।
ट्रेन नंबर: हमसफर एक्सप्रेस (आनंद विहार–गोरखपुर)। लोको पायलट ने मल्हौर स्टेशन से कुछ किलोमीटर पहले ट्रैक पर लोहे का ढांचा देखा और डिटेक्ट करते ही इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। सरकारी सूत्रों के अनुसार, अगर ब्रेक समय पर न चलाया गया होता, तो यह ढांचा इंजन या पहियों के नीचे आता जिससे ट्रेन पटरी से उतर सकती थी।
अचानक ब्रेक लगते ही यात्रियों में हड़कंप मच गया और कुछ लोग खलिहान की ओर झुक गए। लोको पायलट ने तुरंत नियंत्रण कक्ष को स्थिति की सूचना दी, जिसके बाद RPF, रेलवे पुलिस, इंजीनियरिंग विभाग और सिविल पुलिस मौके पर पहुंचे। कुछ ही मिनटों में ट्रैक से ढांचा हट कर ट्रैक सफ़ किया गया, और ट्रेन को आगे बढ़ने की इजाज़त दे दी गई।
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स्थानीय रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह ढांचा लगभग 3–4 मीटर लंबा, 200 किलो से अधिक भारी था और एक ही बार में नज़र में आया था,जिससे अंदाजा लगाया गया कि इसे साबोटाज या जानबूझकर फंसाने के लिए रखा गया था। इस दौरान यह स्पष्ट हो गया कि रेलवे ट्रैक पर इस तरह की वस्तुओं की स्पॉटिंग न होना, सुरक्षा में बड़ी चूक है।
रेलवे अधिकारी कहते हैं कि प्रारंभिक जांच में यह मामला जानबूझकर ट्रेन दुर्घटना कराकर यात्रियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश लगता है। RPF और रेलवे पुलिस ने लोकल CCTV फुटेज, स्टेशन के आसपास के मोबाइल टॉवर डेटा, और ट्रेन की ब्लैक बॉक्स इनपुट खंगाले हैं ताकि संदिग्धों की पहचान की जाए। यह घटना पिछले कुछ महीनों में हुई कई रेलवे सुरक्षा उल्लंघनों की श्रेणी में आती है, जिसमें कई राज्यों, जैसे कर्नाटक, जम्मू, पंजाब, बिहार में लोहे की छड़ें/अन्य वस्तुएं ट्रैक पर रखी गई थीं ।
उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में इससे पहले भी कई रेलवे ट्रैक पर हमले/साबोटाज के प्रयास सामने आए थे। एक उदाहरण रहा पिलीभीत–बरेली में, जहां 25 फीट लंबी लोहे की छड़ी ट्रैक पर पाई गई थी । कानपुर के पास LG पीपर सिलेंडर सहित अन्य वस्तुएँ ट्रैक पर रखी गईं थीं जिससे ट्रेन रुक गई थी । रुद्रपुर, बठिंडा, शामली जैसे इलाकों में भी कटिबद्ध प्रयासों से ट्रेन पटरी से उतरने से बची ।
RPF एवं गोमतीनगर थाना की संयुक्त टीम ने इस घटना के सिलसिले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपियों में ट्रैक में बाधा डालना, सार्वजनिक जान को खतरा पहुंचाना, और रेलवे अधिनियम की संबंधित धाराएं शामिल हैं। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन मामले की तकनीकी-पुलिस जांच जारी है।
इस घटना ने रेलवे सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ट्रैक की नियमित निगरानी व गश्त की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है।नाइट-शिफ्ट लोको पायलटों के लिए अलर्ट सिस्टम बेहतर होना चाहिए। CCTV कवरेज और AI–स्पॉटिंग सिस्टम की आवश्यकता है जो संदिग्ध वस्तुओं की पहचान कर सके। रेलवे बोर्ड ने भी इस संबंध में अलर्ट जारी किया है और सभी जोनल/डिविजनल रेल प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि वे ट्रैक निगरानी तेज करें।
एक यात्री ने बताया कि “लोको पायलट की त्वरित कार्यवाही के बिना तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। हमें ट्रेन पकड़ने के लिए सुबह जल्दी उठना पड़ा, पर जिंदगी बच गई।” कहा कि “हमें विश्वास है कि रेलवे सुरक्षा व्यवस्था सुधरेगी, लेकिन यात्रियों को भी चौकस रहना होगा।” AI-enabled कैमरे लगाना ताकि ट्रैक पर किसी भी संदिग्ध वस्तु की पहचान स्वतः हो। IRT रखना - ट्रैक निरीक्षण दल जो किसी भी समय आसपास गश्त करे। लोको पायलट प्रशिक्षण में आपात स्थितियों से निपटने के लिए रियल टाइम ड्रिल्स शुरू करना। रेलवे लाइन के पास इलाकों में पब्लिक अलर्ट सिस्टम लागू करना ताकि नागरिक संदिग्ध गतिविधि पुलिस को तुरंत बता सकें।
Published on:
23 Jun 2025 01:22 pm