742 बंदियों में 17 बंदियों की मौत उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रशासन की लापरवाही देखने को अक्सर मिलती है, जहां आए दिन कैदियों के जेल से भागने के मामले सामने आते रहते हैं। एेसा अनुमान हैं कि 742 बंदियों में 621 बंदियों को दोबारा गिरफ्तार कर लिया जाता हैं, वहीं 17 बंदियों की भागने के दौरान मौत भी हो गई है। 742 बंदियों में 104 बंदी पुलिस की कैद से दूर है, जिसकी तलाश पुलिस कर रही है।
2008- 2017 तक लखनऊ से सबसे अधिक कैदी भागे गृह विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में कैदियों के भागने की संख्या कम है, वहीं लखनऊ जिले में ये संख्या सबसे अधिक है। जानकारी के अनुसार 2008 से 30 सितंबर 2017 तक लगभग दस साल में पुलिस अभिरक्षा से लखनऊ जिले से 151 कैदी भागे है वहीं मेरठ जिले से 40 कैदी भागे है।
गिरफ्तार मामले में आगे है लखनऊ वहीं अगर फरार बंदियों को दोबारा गिरफ्तार करने की बात करें, तो इसमें भी लखनऊ जिला सबसे आगे रहा।जानकारी के अनुसार लखनऊ जिले में दस साल में 118 बंदी गिरफ्तार कर लिए गए, वहीं दो की फरार अवधि के दौरान मौत हो गई।
31 बंदी है फरारा गृह विभाग के मुताबिक, 31 बंदी अभी फरार हैं। इसी प्रकार मेरठ जोन से पुलिस अभिरक्षा से भागे 40 में से 37 बंदियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनमें एक बंदी की मौत हो गई और दो की तलाश आज भी जारी है।
आगरा जिले में भी कैदियों के भागने की संख्या है अधिक आगरा जोन से दस साल में पुलिस अभिरक्षा से 104 बंदी भागे, जिनमें 90 को पकड़ लिए गए और दो की फरार होने के दौरान मौत हो गई। फिलहाल पुलिस 12 की तलाश कर रही है।
इलाबाद में 14 अब तक है फरार वहीं अगर इलाहाबाद जिले की बात करें तो यहां से 117 बंदी पुलिस अभिरक्षा से भागे, जिनमें से 101 की गिरफ्तारी हुई, 14 अब भी फरार हैं।