दरअसल प्रदूषित हो चुकी यमुना नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए आंदोलन का शंखनाद करने के लिए हजारों की संख्या में वृंदावन के साधु, संत, महंत और यमुना भक्तों एकत्रित हुए। अगले वर्ष 18 मार्च से ब्रज में यमुना मुक्तिकरण के लिए ऐतिहासिक आंदोलन शुरू करने की घोषणा भी कर दी गई। इसी दौरान साधू सन्तों ने भाजपा सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए भाजपा सरकार को यमुना विरोधी बताया।
यहां हुआ आयोजन यमुनोत्री से निकल कर प्रयाग संगम तक कल कल करके बहने वाली भारत की पवित्र यमुना नदी इस समय पूरी तरह से प्रदूषण के आगोश में है। यमुना में गिरने वाली गंदगी को रोकने और उसमें पवित्र जल लाने की मांग को लेकर पिछले सात सालों से ब्रज के साधु संत महंत किसान और देश विदेश के लाखों यमुना भक्त धरना प्रदर्शन आंदोलन कर केंद्र सरकार तक कई बार अपनी बात पहुंचा चुके हैं। मगर 2013 में यूपीए सरकार ने आश्वासन दिया, उसी तरह 2015 में मोदी सरकार ने भी शीघ्र यमुना को प्रदूषण मुक्त करने का आश्वासन दिया लेकिन आजतक कोई काम होता नजर नहीं आया। सरकार की इस वादाखिलाफी से नाराज साधु संतों ने वृन्दावन में यमुना किनारे एक सम्मेलन कर किया। जिसमें देशभर के हजारोें यमुना भक्तों और किसानों ने भाग लिया और आगे की रणनीति तय की। सभी साधू सन्तों और किसानों ने कठोर निर्णय लेते हुए भाजपा का आगामी सभी चुनावों में बहिष्कार करने का बड़ा निर्णय भी लिया।
18 मार्च 2018 से होगा दोबारा आंदोलन यमुना शुद्धिकरण अभियान नामक संगठन के संरक्षक पंकज बाबा महाराज ने बताया कि 2015 में हमारी दो मांगों को स्वीकार किया गया था, मगर हमारे साथ छल किया सरकार ने। अब 18 मार्च 2018 से बृज में ही आंदोलन किया जाएगा और अगले चुनावों में भाजपा को वोट नही देंगे। भाजपा का बहिष्कार करेंगे।
भाजपा को सिखाएंगे सबक बृज के वरिष्ठ संत फूलडोल दास महाराज ने कहा कि उन्हें हमेशा धोखा ही मिला। मगर अब वो चैन से नहीं बैठेंगे। करो या मरो का आंदोलन होगा और मांग पूरी नहीं हुई तो सरकार को धराशायी कर देंगे। यमुना आंदोलन के वरिष्ठ पदाधिकारी गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि जो भी यमुना विरोधी है उसका विरोध किया जाएगा।