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कान्हा की पटरानी कालिंदी करे पुकार, मेरा कब होगा उद्धार, देखें वीडियो

गोकुल बैराज के समीप यमुना में जल के स्थान पर झाग दिखाई दे रहे हैं।

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Yamuna

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मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी कही जाने वाली कालिंदी आज अपनी ही बदहाली पर नौ-नौ आंसू बहा रही है। यमुना का जल इतना विषैला हो चुका है कि यहां नहाना तो दूर आचमन करने से भी लोग कतराते हैं। यमुना में लगातार बनते केमिकल के झाग यमुना जल के जीवों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए भी परेशानी बने हुए हैं। यमुना में से उड़कर जाते विषैले झाग लोगों के अंदर दहशत पैदा करते हैं। अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

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शुद्धिकरण की दुहाई दे रही यमुना

जिस यमुना में भगवान श्रीकृष्ण और उनके सखा कभी गोते लगाया करते थे वही आज पानी के लिए तरस रही है । यमुना का जल इतना विषैला हो चुका है कि यहां आने वाले श्रद्धालु भी आचमन करने में कतराते हैं । लगातार बढ़ रहे यमुना प्रदूषण को मंत्री और अधिकारी दरकिनार कर रहे हैं और यमुना के प्रदूषण की तरफ कोई ध्यान नहीं है। मां यमुना अपने शुद्धिकरण की दुहाई दे रही है । भले ही नमामि गंगे परियोजना के तहत लाखों करोड़ों रुपए यमुना और गंगा शुद्धिकरण के लिए सरकार के द्वारा खर्च किए गए हो, लेकिन यमुना का शुद्धिकरण कहीं भी नहीं हो पाया है । नेता और अपने भक्तों से यमुना अपनी शुद्धिकरण की दुहाई देती है ।

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ठंडे बस्ते में बंद होकर रह गए आंदोलन

कालिंदी शुद्ध जल के लिए तरस रही है ,लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा इस कालिंदी की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। कई आंदोलन चलाए गए यमुना शुद्धिकरण के लिए लेकिन वह आंदोलन भी ठंडे बस्ते में बंद होकर रह गए। यमुना भक्तों के अंदर एक्शन का जाग गई है कि यमुना का शुद्धिकरण हो पाएगा या नहीं। गोकुल बैराज के समीप यमुना का जल इतना दूषित हो चुका है कि इस जल में रहने वाले जीव जंतुओं के साथ-साथ आम जनमानस के लिए भी इसका जल हानिकारक है । प्रतिदिन यमुना महारानी के दर्शन करने आते घनश्याम शर्मा ने बताया- पीड़ा होती है इस तरह के यमुना जल को देखकर । जिस तरह से गंदगी का ढेर यमुना में लगा हुआ है ।

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जल देख होती है भावना आहत

उन्होंने बताया कि यमुना के जल को देखकर हमारी भावनाएं आहत होती हैं सरकार से कोई भी उम्मीद नहीं है । उन्होंने कहा कि हमें तो प्रतिदिन यहां दर्शन के लिए आना होता है और हम प्रतिदिन दर्शन करते हैं। भले ही यमुना का जल दूषित हो चुका हो हमारे लिए तो मां यमुना आज भी उसी स्वरूप में है। जिस स्वरुप में हम उन्हें युवा अवस्था में देखा करते थे।


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