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कोरोना से खौफजदा अपराधी, यूपी के इन शहरों के क्राइम ग्राफ में आई 70 फीसदी की कमी

Highlights- एडीजी जोन मेरठ प्रशांत कुमार का दावा - सड़कों पर पुलिस की मुस्तैदी से अपराधी घरों में कैद - मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और शामली में टूटा अपराधियों का मनोबल

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मेरठ

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lokesh verma

May 16, 2020

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reduced crime in the state

मेरठ. कोरोना महामारी, लॉकडाउन असर कहें या पुलिस इन दिनों सड़कों पर मुस्तैदी, मेेरठ जोन में पिछले तीन महीने में अपराधों का ग्राफ 70 प्रतिशत नीचे गिरा है। यानी अन्य सालों के मुकाबले अपराध में 70 प्रतिशत कमी आई है। ऐसा हम नहीं एडीजी कार्यालय से मिले अपराधों के आंकड़े बता रहे हैं। एडीजी जोन प्रशांत कुमार का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान पुलिस की सड़कों पर सक्रियता के कारण अपराधी भूमिगत हो गए हैं। वहीं वे इसको लॉकडाउन का भी असर मानते हैं। उनका कहना है कि इस समय लॉकडाउन के दौरान सब कुछ बंद है इस कारण भी अपराधों में कमी आई है।

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एडीजी के अनुसार, लॉकडाउन में जो अपराध हुए वे या तो आपसी रंजिश के कारण हुए या फिर सामाजिक कारणों के चलते। बता दें कि मेरठ जोन में मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और शामली समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश के आठ जिले आते हैं। अपराध के लिहाज से जोन के अधिकांश जिले काफी बदनाम रहते हैं। हालांकि पिछले दिनों अपराधियों के खिलाफ जोन में चलाए गए मुठभेड़ यानी ऑपरेशन लंगड़ा के दौरान भी अपराधों में कमी देखी गई थी, लेकिन कोरोना के दौरान हुए लॉकडाउन में हर जगह पुलिस की मौजूदगी ने तो मानो अपराधियों का मनोबल ही तोड़ दिया है।

एडीजी कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार, पूरे जोन में अप्रैल महीने में हत्या, किडनैपिंग, दहेज हत्या, लूट जैसे जघन्य अपराधों समेत अन्य अपराध भी औसतन 70 प्रतिशत की कम हो गए हैं। अप्रैल 2019 में जोन में अपहरण के 110 मामले सामने आए थे। जबकि अप्रैल 2020 में 16 अपहरण हुए हैं। लूट के मामले तो 86 प्रतिशत कम हो गए हैं। अप्रैल 2019 में जोन में लूट की 45 घटनाएं हुई थी जबकि इस वर्ष अप्रैल में 6 घटनाएं हुई हैं।

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