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एनजीटी के इस आदेश से बदल जाएगा महाभारतकालीन हस्तिनापुर सेंचुरी का नक्शा

मंडलायुक्त की अगुआई में पांच जिलों के जिलाधिकारी तय करेंगे नया नक्शा, 2073 वर्ग किमी में फैली सेंचुरी का घटेगा 50 फीसदी क्षेत्र, वन विभाग को मिली सेंचुरी का निर्माण कराने अनुमति

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मेरठ

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shivmani tyagi

Jul 06, 2021

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NGT

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
मेरठ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( National Green Tribunal ) ने हस्तिनापुर वन्य जीव अभयारण्य यानि हस्तिनापुर सेंचुरी की हदबंदी करने के आदेश दिए हैं। नए आदेशों के बाद 2073 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली सेंचुरी का आकार 50 फीसद घटाया जाएगा। मंडलायुक्त की अगवाई में पाच जिलों के जिलाधिकारी समेत सभी संबंधित अधिकारी सेंचुरी का नया नक्शा तय करेंगे। स्वाड डियर को केंद्र में रखकर जंगल के घने इलाकों के चारों ओर बाउंड्री बनाई जाएगी। प्रस्ताव के मुताबिक अब सेंचुरी 1094.9 वर्ग किमी में सिमट जाएगी।

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जिला वन अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय और राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड की अनुमति मिल चुकी है। इस सेंचुरी का 1986 में नोटिफिकेशन किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे जंगल के आसपास आबादी और खेतों का क्षेत्रफल बढ़ गया है जिससे वन्य जीवों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया। वन विभाग ने 1996, 1999 से लेकर 2010 और 2012 के बीच प्रदेश सरकार को पत्र भेजकर सेंचुरी की हदबंदी करने की सिफारिश की। मामला एनजीटी में पहुंचा, जहा 17 नवंबर 2020 को कोर्ट ने मंडलायुक्त को नोडल अधिकारी बनाते हुए सर्वे कराने के लिए कहा।

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वाइल्ड लाइफ इंस्टीटयूट आफ इंडिया ( Wildlife Institute of India ) देहरादून ने वन्य क्षेत्र की पैमाइश कर बताया कि स्वाड डियर इस सेंचुरी का सबसे महत्वपूर्ण जीव है जिसके संरक्षण का खास ध्यान देते हुए वन्य क्षेत्र का नया नक्शा बनाना होगा। मेरठ में पांच पॉइंट ऐसे हैं, जहां वन्य जीवों की बड़ी संख्या है, वहीं हैदरपुर क्षेत्र को काफी संवेदनशील माना गया है। यह सेंचुरी मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बिजनौर और अमरोहा जिलों में फैली हुई है। नए बदलाव के तहत कई गावों को वन्य क्षेत्र से मुक्त किया जाएगा। अन्य विभागों की जमीन को भी समायोजित किया जाएगा।

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