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लॉकडाउन के चलते इस साल नहीं सताएगी भीषण गर्मी, अप्रैल की शुरुआत में ही टूटा 15 साल का रिकॉर्ड

locationमेरठPublished: Apr 10, 2020 11:44:56 am

Submitted by:

lokesh verma

Highlights
– लॉकडाउन कारण बंद हुई फैक्ट्रियों के चलते आबोहवा एकदम साफ
– अप्रैल के प्रथम सप्ताह का औसत तापमान 34.2 डिग्री सेल्सियस
– मई के अंतिम और जून के प्रथम सप्ताह में 42 डिग्री तक ही पहुंच पाएगा पारा

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Weather: Since now, it is difficult, May will record heat

मेरठ. लॉकडाउन का असर लोगों पर तो पड़ ही रहा है, लेकिन सबसे अधिक इसका प्रभाव प्रकृति पर भी पड़ता नजर आ रहा है। लॉकडाउन कारण बंद हुई फैक्ट्रियों के चलते आबोहवा एकदम साफ हो गई है। वहीं इसका असर अब तापमान पर भी दिखाई देने लगा है। यही कारण है कि अप्रैल के प्रथम सप्ताह में औसत तापमान ने पिछले 15 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में मेरठ का औसत तापमान 34.2 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जो कि 2005 में 36.2 डिग्री के मुकाबले दो डिग्री कम है। विशेषज्ञों की मानें तो यह सब लॉकडाउन के चलते ही संभव हो पाया है।
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उल्लेखनीय है कि इस समय सभी कार्यालय और कल कारखाने भी बंद हैं, जिसके कारण वहां पर एसी से निकलने वाली गर्म हवा से भी प्रकृति को फायदा मिल रहा है। अप्रैल के शुरूआती दिनों में जहां लोगों के एसी चलने शुरू हो जाते थे। आज उन्हीं स्थानों पर पंखों से ही काम चल रहा है। बता दें कि मेरठ में अभी कहीं भी एसी नहीं चालू हुए हैं। इसे कोरोना का खौफ भी कहा जा सकता है कि कम तापमान में इसका वायरस जल्दी सक्रिय होता है। शायद इसीलिए लोगों ने अभी तक एसी नहीं चलाए हैं। वैसे दूसरा कारण तापमान भी है, क्योकि इस समय वर्तमान में तापमान कभी 33 तो कभी 34 डिग्री तक ही जा रहा है। गत गुरुवार को तापमान 32.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। जबकि न्यूनतम 18.2 तक पहुंच गया था।
जून के प्रथम सप्ताह में 42 डिग्री तक पहुंचेगा तापमान

बता दें कि पिछले 15 सालों में अप्रैल के प्रथम सप्ताह में ही तापमान 36 के पार तक पहुंच जाता था, लेकिन इस बार दस अप्रैल तक भी तापमान 34 तक ही टिका हुआ है। जिससे अप्रैल महीनेे के प्रथम सप्ताह में मौसम ने पिछले 15 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अगर इसी तरह से हालात रहे तो तापमान मई के अंतिम और जून के प्रथम सप्ताह में 42 डिग्री तक ही पहुंच पाएगा। ऐसे तापमान से लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
ग्लोबल वार्मिग में लॉकडाउन के बाद से बदलाव

कृषि विवि के कृषि वैज्ञानिक डाॅ. आरएस सेंगर बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिग में लॉकडाउन के बाद से बदलाव हो रहे हैं। इससे जहां प्रकृति को राहत मिली है, वहीं इसका असर वातावरण में तापमान पर भी पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि तापमान बढ़ाने वाले सभी कारक इस समय बंद पड़े हुए हैं, जिसके चलते तापमान में धीरे-धीरे मामूली वृद्धि हो रही है। भूवैज्ञानिक डाॅ. कंचन सिंह का कहना है कि यह अच्छी बात है। इससे मानव स्वास्थ्य को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया यह समय विश्व समुदाय के जगने का है। अब भी समय है हम प्रकृति के इशारे को समझें और इसका अंधाधुध दोहन बंद करें।
गत 15 वर्षों में अप्रैल के प्रथम सप्ताह में औसत तापमान

2019 में 37.7
2018 में 38.9
2017 में 37.4
2016 में 38.1
2015 में 37.8
2014 में 39.4
2013 में 38.3
2012 में 38.52011 में 39.5
2010 में 37.5
2009 में 36.5
2008 में 38.2
2007 में 39.6
2006 में 37.2
2005 में 36.2
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