
नई दिल्ली। इन दिनों शहर से लेकर गांव तक के लोग कोरोना वायरस ( coronavirus ) की वजह से खौफ में हैं। अपने ही पड़ोसी व सहकर्मियों से हाथ मिलाना तो दूर संशय भरी नजरों से देखते हैं। ये बात सही है कि ऐसा कोरोना की वजह से है। इसके बावजूद शहरी लोगों के लिए 21 दिन का लॉकडाउन ( Lockdown ) पीरियड एक कानूनी बंधन जैसा ही है। लेकिन आदिवासी जिला बस्तर में वैसा नहीं है। वहां के 4 आदिवासी गांवों के लोगों ने सामुदायिक सहयोग भाईचारे की ऐसी मिसाल पेश की है जिसकी चर्चा महात्मा गांधी अपने न्यासिता के सिद्धांत में कर चुके हैं । पीएम मोदी का लॉकडाउन सिस्टम दिल्ली से ज्यादा असरकारी वहीं दिखाई देती है।
गांधी जी कहा करते थे गांव को अपने आपमें राजनीतिक व्यवस्था का स्वायत्त इकाई होना चाहिए। पुलिस का हस्तक्षेप कम से कम होना चााहिए। ठीक वैसा ही काम बस्तर के कुरूटोला, बरारी कोटाभर्री, पाखेला और झाखरपारा गांव के आदिवासियों ने कोरोना वायरस और लॉकडाउन के संकट भरे दौर में भी कर दिखाया है। इन गांवों के आदिवासियों ने वो काम किया है जिसमें सामुदायिक सहयोग, इमोशन, आइसोलेशन, लॉकडाउन की समझ, समस्या निवारण करने की समझ शामिल है।
दरअसल, मैं बात कर रहा हूं कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए पूरे देश में व्याप्त असुरक्षा के माहौल की। पीएम की अपील और सभी को भरोसे में लेने की कोशिश के बावजूद शहरों में लोग सड़कों पर हैं। विदेश से आए लोग अपनी पहचान छिपाने में लगे हुए हैं। ग्रेटर नोएडा जैसे पॉश इलाके में इमरजेंसी ड्यूटी की वजह से बाहर निकलने वाली एक युवती को सोसाइटी के लोग कमरे में बंद देखना चाहते हैं। उससे छूत जैसा व्यवहार करना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे 27 लोगों की सरकार को तलाश है।
लेकिन छत्तीसढ बस्तर जिले के कुछ गांवों से अलग ही तस्वीर उभरकर सामने आई हैं। हालांकि आदिवासी बहुल इन गांवों को लेागों को भी कोरोना की खौफ की जानकारी है लेकिन वो इससे भयभीत नहीं हैं। ऐसा इसलिए कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा गए लोग जब कोरोना के इस दौर में गांव लौटे तो ग्रामीण उनसे डरे नहीं, ये बात भी सही है कि उसे घर नहीं ले गए। पर उन्हें वापस भी नहीं लौटाया। इसके बदले उन्होंने गांव में ही सभी को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन कर दिया। वो भी मेडिकल साइंस के भरोस नहीं, अपने तरीके से, नेजर ने जो उन्हें दिया उसके दम। यही वजह है कि बाहर से लौटे मजदूर अपने गांव में हैं और 14 दिनों का क्वारंटाइन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं।
आइए हम आपको बताते हैं किस गांव ने अपने ही लोगों के लिए कोरोना के खौफ के बाजवूद क्या किया?
कुरूटोला ने बनाया पत्तों का मास्क
कांकेर के आमाबेड़ा का गांव कुरूटोला है। आदिवासी बाहुल्य इस गांव के लोगों ने कोरोना और लॉकडाउन को लेकर जागरूकता की मिसाल पेश की है। गांव के लोगों ने बाहर से लौटे अपने ही लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनने की सलाह दी। दूर-दूर तक स्वास्थ्य सुविधाओं का पता न होने के कारण ग्रामीणों ने देशी तरीका अपनाया और पेड़ के पत्तों से ही मास्क बना लिया। ग्रामीण अब इसी का उपयोग कर रहे हैं और सरकार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी को भी मान रहे हैं।
बरारी ने किया गांव को सील
इसी तरह बस्तर के धमतरी में गांव बरारी कोटाभर्री है। यहां पर ग्रामीणों ने कोरोना से बचने के लिए गांव की सीमाओं को बांस और बल्लियों से सील कर दिया। सीलिंग के रूल को कोई तोड़ न पाए इसकी जिम्मेदारी गांव के युवाओं ने संभाली। यहां के युवाओं ने टोली बनाकर खुद की सीलबंदी को महफूज करने में जुटे हैं। किसी भी बाहरी का गांव में आना सख्त मना है। इसका मकसद यह है कि कोई भी बाहरी व्यक्ति बरारी कोटाभर्री में प्रवेश न करे और लॉकडाउन बरकरार रहे।
पाखेला के ग्रामीणों ने तैयार की झोपड़ी
कोरोना के इस दौर में सुकमा की पाखेला पंचायत से गए करीब एक दर्जन मजदूर अपने गांव लौटे। इसकी जानकारी ग्रामीणों को लगी तो वे बस स्टैंड पहुंच गए। कोरोना की वजह से सभी मजदूरों को वहीं रोक लिया। स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी। मेडिकल टीम ने सभी मजदूरों के परीक्षण बाद उनके स्वस्थ होने की जानकरी दी। इसके बाद भी ग्रामीणों ने उनके लिए गांव के पास ही एक खेत में झोपड़ी बनाकर 14 दिन अलग रहने की व्यवस्था कर दी है। यानि मजदूरों को क्वारनटाइन में रहने के विवश किया। ताकि गांव के लोग महफूज रह सकें। इतना ही नहीं गांव के लोगों ने आपसी सहभागिता के बल पर खाने-पीने का इंतजाम भी किया।
गरियाबंद में पेड़ काट किया रास्ता बंद
ऐसा ही नजारा ओडिशा की सीमा पर स्थित छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की है। यहां से ओडिशा से लगातार वाहनों की आवाजाही जारी रहती थी। हालांकि सरकार ने सभी सीमाओं को सील करने का आदेश जारी कर दिया था, लेकिन इससे पहले कि प्रशासन की टीम पहुंचती ग्रामीण खुद सड़क पर पहुंच गए। उन्होंने वहां पेड़ गिराकर रास्ता बंद कर दिया। जो कुछ छोटे रास्ते भी खुले हुए थे ग्रामीणों ने उनको भी बंद कर दिया।
Updated on:
26 Mar 2020 08:32 pm
Published on:
26 Mar 2020 07:19 pm
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