सेना ने चीते के मल-मूत्र का किया था इस्तेमाल
राजेंद्र निम्भोरकर ने मंगलवार को पुणे में एक कार्यक्रम में बताया कि इस ऑपरेशन से पहले हमें मालूम था कि जंगली कुत्ते हमारे लिए खतरा बन सकते हैं, इस आशंका को ध्यान में रखते हुए हमने ऑपरेशन के दौरान तेंदुए के मल और मूत्र का इस्तेमाल किया था, क्योंकि कुत्ते तेंदुए से बहुत डरते हैं और उसके मल-मूत्र की दुर्गंध कुत्तों को परेशान करती है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक राजेंद्र निम्भोरकर ने कहा कि नौशेरा सेक्टर में हमने देखा कि तेंदुए अक्सर इलाके में कुत्तों पर हमला करते थे और चीतों के हमले से खुद को बचाने के लिए कुत्ते रात के समय सेक्टर में रहना पसंद करते थे, इसीलिए हमने भी तेंदुए के मूत्र और मल का इस्तेमाल किया था।
सेना की रणनीति आई थी काम
सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान सेना ने रणनीति बनाते हुए रास्ते में गांव पार करते समय कुत्तों से छुटकारा पाने के लिए तेंदुए का पेशाब और मल गांव के बाहर फैला दिया था। सेना की इस रणनीति का असर देखने को भी मिला। जंगली कुत्तों ने जवानों पर हमला नहीं किया था।
सर्जिकल स्ट्राइक के लिए मिला था एक हफ्ते का समय
निम्भोरकर ने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर हमने काफी गोपनीयता बरती थी। पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सेना को सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था। ये बात भी राजेंद्र निम्भोरकर ने ही बताई। जवानों को सर्जिकल स्ट्राइक के जगह के बारे में जानकारी एक दिन पहले हुई।’
सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए थे 50 आतंकी
आपको बता दें कि सर्जिकल स्ट्राइक जम्मू-कश्मीर में हुए उरी हमले का बदला थी। उरी में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने सेना के कैंप को निशाना बनाया था और हमारे 19 जवानों को मार दिया था। देश में लगातार पाकिस्तान से बदला लेने की मांग उठ रही थी। सरकार पर भी इसका दबाव साफ देखने को मिला था। पीएम मोदी ने भी एक सभा में कहा था कि हमारे 19 जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। पीएम के इस भाषण के बाद ही कुछ दिनों में सर्जिकल स्ट्राइक की खबर सामने आई थी, जिसमें 50 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था।