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आपको बता दें कि देश के 24 हाईकोर्ट में 1221 जजों के पद हैं (अक्टूबर तक) लेकिन उनमें अभी केवल 891 लोग कार्यरत है। वहीं, इन 891 जजों में से सिर्फ 81 महिला जज हैं। इन आंकड़ो के देखे तो सेवारत जजों का 9 और सेंशन स्ट्रेंथ का 6.6 प्रतिशत है। वही, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा पिछले दो महीने में हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के लिए 70 नाम अनुमोदित किए गए हैं।
68 साल में सिर्फ 8 महिला जजों की नियुक्त
जानकर आपको हैरानी होगी की बीते एक साल में 20 से अधिक महिला जजों की नियुक्ति की गई है लेकिन इसके बाद भी महिला जजों की औसत का आंकड़ा दहाई का आंकड़ा नहीं छू पाया। वहीं, इनमें से एक दशक में सात महिला जज ऐसी हो सकती हैं जो या तो उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश होंगी या फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच जाएंगी। आपको बता दें कि बीते 68 साल में सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ 8 महिला जज नियुक्त हुई हैं इनमें मौजूदा तीन- जस्टिस आर भानुमति, इंदू मल्होत्रा और इंद्रा बनर्जी भी शामिल हैं।
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देश के चार बड़े उच्च न्यायालायों में महिलाएं
साल 2017 में ऐसा पहली बार हुआ कि जब देश के चार बड़े उच्च न्यायालयों दिल्ली, बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास- की मुख्य न्यायाधीश महिलाएं थीं। दो सप्ताह से भी कम वक्त तक मंजुला चेल्लूर, जी रोहिणी, निशिता निर्मला म्हात्रे और इंद्रा बनर्जी ने देश के चार बड़े हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रही थीं। गौरतलब है कि 1959 को अन्ना चंडी (केरल) देश की पहली महिला हाईकोर्ट जज बनी थीं।