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Nirbhaya Case: तिहाड़ के डीजी बोले, अपनी अंतिम इच्छा नहीं बता रहे निर्भया के हत्यारे

Published: Jan 24, 2020 10:09:04 am

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

चारों मुजरिमों पूछी गई थी दो इच्छाएं
किसी ने भी अभी तक नहीं दिया जवाब
मुजरिमों के जवाब का इंतजार कर रहा प्रशासन

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निर्भया के मुजरिमों को फांसी पर लटकाये जाने का ‘डेथ-वारंट’ जारी होने के बाद से, जमाने में जितना कौतूहल-कोलाहल मचा है। तिहाड़ जेल में फांसी-घर से चंद फर्लाग की दूरी पर फंदे पर झूलने की उल्टी गिनती कर रहे हत्यारे उतनी ही ‘चुप्पी’ साधे बैठे हैं। इसके पीछे कारण या फिर हत्यारों की आगे की क्या रणनीति हो सकती है? इस सवाल का जबाब उन्हीं के पास है। अभी तक चार में से किसी भी मुजरिम ने तिहाड़ प्रशासन की ओर से पूछे जाने के बाद भी यह नहीं बताया है कि उनकी अंतिम इच्छा आखिर है क्या?
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चारों में से किसी ने नहीं दिया जवाब

तिहाड़ जेल (दिल्ली जेल) के महानिदेशक संदीप गोयल ने गुरुवार को कहा कि- “अदालत से डेथ-वारंट जारी होने के बाद जो कानूनी प्रक्रिया अमल में लानी चाहिए हम वो सब अपना रहे हैं। इसी के तहत चारों मुजरिमों से तिहाड़ जेल प्रशासन ने उनकी अंतिम इच्छा भी कुछ दिन पहले पूछी थी। अभी तक चार में से किसी ने भी कोई जबाब नहीं दिया है।”
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किससे मिलना चाहते हैं भी पूछा गया

संदीप गोयल ने आगे कहा कि- “जेल प्रशासन ने चारों मुजरिमों से पूछा था कि डेथ-वारंट अमल में लाए जाने से पहले वे किससे किस दिन किस वक्त जेल में मिलना चाहेंगे? संबंधित के नाम, पते और संपर्क-नंबर यदि कोई हो तो लिखित में जेल प्रशासन को सूचित कर दें। ताकि वक्त रहते अंतिम मिलाई कराने वालों को जेल तक लाने का समुचित इंतजाम किया जा सके।”
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जवाब मिलते ही शुरू होगा इंतजाम

जेल महानिदेशक के मुताबिक- “नियमानुसार दूसरी बात यह पूछी गई थी चारों से कि क्या उन्हें अपनी कोई चल-अचल संपत्ति अपने किसी रिश्तेदार, विश्वासपात्र के नाम करनी है? अगर ऐसा है तो संबंधित शख्स/रिश्तेदार का नाम पता भी जेल प्रशासन को उपलब्ध करा दें। गुरुवार तक चारों में से किसी भी मुजरिम ने फिलहाल दोनों ही सवालों का जबाब नहीं दिया है। जैसे ही उनका जबाब मिलेगा, जेल प्रशासन उसी हिसाब से इंतजाम शुरू कर देगा।”
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प्रशासन को है मुजरिमों के जवाब का इंतजार

तिहाड़ जेल के एक अन्य अधिकारी के अनुसार- “चारों मुजरिमों ने चूंकि दोनों में से किसी भी सवाल का जवाब अभी तक लिखित रूप से नहीं सौंपा है। लिहाजा उनकी जेल में बाकी कैदियों की तरह ही सप्ताह में दो दिन परिवार वालों से मिलवा दिया जाएगा। हां, फांसी की सजा अमल में लाए जाने वाले दिन से पहले उन्हें (मुजरिमों को) अंतिम बार किससे जेल में और कब मिलना है? यह फिलहाल लंबित ही है। हालांकि अगर फांसी लगने वाले दिन से पहले तक, समुचित समय के साथ मुजरिमों ने दोनों ही सवालों का जबाब नहीं दिया, तो जेल प्रशासन मान लेगा कि उन्हें कुछ नहीं कहना-सुनना है।”

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