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Keytosucess: मिलिए शायरा से जिसने अपने साथ गांव की महिलाओं को बना दिया आत्मनिर्भर

-अपने साथ आस-पड़ोस की महिलाओं को किया आत्मनिर्भर -रोजाना बीस हजार से अधिक टोपियां कर रहीं तैयार -गाँव में समूह बनाकर की शुरुआत -परिवार की बेहतरी के लिए उठाया था ये कदम

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मुरादाबाद: मौका मिले तो साधारण महिलायें भी असाधारण काम कर डालती हैं। जी हां कुछ यही कहानी जनपद के बिलारी तहसील की रहने वाली शायरा की भी है। जिन्होंने ने सिर्फ खुद को बल्कि अपने साथ गांव की दर्जनों को महिलाओं को खुद के पैरों पर खड़ा कर दिया। इन्होने महज कुछ पैसों से टोपियां बनाना शुरू करके जोकि आज पूरी दुनिया में मशहूर हो चलीं हैं।

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लोग कर रहे पसंद
मुरादाबाद जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बिलारी तहसील के सहसपुर की रहने वाली शायरा अपने हुनर के चलते चर्चाओं में हैं। अपने परिवार के साथ रह रही शायरा गरीब परिवारों की महिलाओं को लेकर अपना एक समूह चला रही हैं, जो हर रोज अलग-अलग प्रकार की टोपियां तैयार करता है। पांच साल पहले समूह की शुरुआत कर शायरा ने टोपियां बनाने का काम शुरू किया, लेकिन मार्केटिंग न होने के चलते काम में नुकसान हो गया। कुछ महीने पहले आपस में पैसे जमा कर शायरा और उनकी टीम ने दोबारा टोपियां बनानी शुरू की और आज इस काम से इनको अच्छी आमदनी हो रही है। शायरा की टोपियां देश के कई राज्यों के साथ विदेशों में भी भेजी जा रही है, जहां लोग इन्हें खूब पसंद कर रहे हैं। सहसपुर के एक छोटे से मकान के बरामदे में सिलाई मशीनों पर हर रोज कई महिलाएं टोपियां बनाने में जुटी रहती हैं। इसके साथ ही कई महिलाएं शायरा से काम लेकर अपने घरों में टोपियां तैयार करती हैं। समूह की महिला सदस्य हर रोज 20 हजार टोपियां बनाती हैं।

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इन देशो में धूम
शायरा की बनाई टोपियां दिल्ली से लेकर उत्तराखंड और अन्य राज्यों के साथ नेपाल, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में भी भेजी जा रही हैं। हथकरघा उद्योग के लिए पहले से मशहूर सहसपुर कस्बे के लिए शायरा की टोपियां नई पहचान बनकर उभरी हैं और भविष्य में शायरा इसे बड़े पैमाने पर शुरू कर ज्यादा महिलाओं को रोजगार देने में जुटी हैं।