
Maha Election: चांदीवली विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला
मुंबई. चांदिवली विधानसभा से पिछली 4 बार से लगातार विधायक रहे नसीम खान पर कांग्रेस दिखाया फिर भरोसा चांदिवली विधानसभा से पिछली 4 बार से लगातार जीतते आ रहे कांग्रेस उम्मीदवार आरिफ नसीम खान इस बार भी पूरी ताकत के साथ युद्ध के मैदान में हैं। अब तक मनसे के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले दिलीप (मामा) लांडे अब शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में उनकी ताकत और भी ज्यादा बढ़ गई है। लेकिन वही भाजपा से बगावत कर भाजापा के नेता शुभ्रांसु दीक्षित की पत्नी ममता दीक्षित निर्दलीय मैदान में उतर कर युती की ताकत में सेंध लगा सकते हैं। हालांकि युति के उम्मीदवार लांडे की ताकत बढ़ने से अब यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि क्या वर्षों से चांदिवली विधानसभा क्षेत्र पर राज करते आ रहे कांग्रेस के नसीम की कुर्सी कही खतरे में तो नहीं पड़ जाएगी।
28 उम्मीदवार मैदान में...
विदित हो कि नसीम खान जो कुर्ला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से 20 साल से विधायक हैं। इस बार 28 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, इसके चलते लड़ाई कांटे की होना तय माना जा रहा है। इनमें से 13 उम्मीदवार निर्दलीय हैं। जबकि मुख्य मुकाबला नसीम खान बनाम दिलीप लांडे के बीच होगा। लेकिन इनके अलावा भी मनसे से सुमित बारस्कर, एमआईएम से मोहम्मद कुरैशी, वंचितों के अब्दुल हसन खान और आम आदमी के सिराजुद्दीन खान भी मैदान में हैं।
नसीम खान और दिलीप लांडे...
2017 के आम चुनाव में मनसे टिकट पर पार्षद चुने जाने के बाद मनसे के छह पार्षद शिवसेना में शामिल हुए। इसलिए शिवसेना ने चांदिवली निर्वाचन क्षेत्र से लांडे को प्रत्याशी बनाया। लांडे ने पहले 2009 में मनसे के टिकट से नसीम खान को चुनाव में कड़ी टक्कर दी थी, जिसमें नसीम को 82 हजार 616 लांडे को 48 हजार 901 उस समय शिवसेना की चित्रा सांगले को तीसरे स्थान मिल पाया था। बाद में पिछले नगरपालिका चुनाव में मनसे ने लांडे की जगह ईश्वर तायडे को नामांकन दिया था, लेकिन फिर तायडे को तीसरे में फेंक दिया गया। लेकिन इन दोनों चुनावों में नसीम खान को मिले वोटों में लांडे 33 हजार 357 मतों से पराजय प्राप्त हुआ।
चांदीवली के मतदाताओं का आंकड़ा...
चांदीवली में नए चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़ों के हिसाब से लगभग 387979 मतदाता हैं । जिनमे 30% मराठी तो 27 प्रतिशत हिंदी भाषी और 29 प्रतिशत। अल्पसंख्यक वोटबैंक है।बाकी 14 प्रतिशत अन्य माने जाते हैं। ऐसे में चांदीवली विधानसभा से हिंदी भाषी वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं । 2014 में इस विधानसभा में कुल 44.31% बोटिंग हुई थी जो इस बार 50 %तक पहुचने के आसार जताए जा रहे है.
शिवसेना की बढ़ी ताकत...
उल्लेखनीय है कि मोदी लहर के बावजूद खान के वोट नाटकीय रूप से नहीं बदले हैं। विशेष रूप से मनसे के लांडे, तायडे और कांग्रेस के पूर्व पार्षद अन्नामलाई शिवसेना में हैं। इस लिहाज से लांडे के साथ-साथ अन्नामलाई के मतदाताओं के साथ-साथ शिवसेना और भाजपा के निजी विचारों को देखते हुए लांडे ने नसीम खान के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। दिलीप लांडे ने किसी भी हाल में नसीम खान को हराने की कसम खाई है। नसीम खान केवल अपने परंपरागत मतदाताओं पर निर्भर हैं और जनता उन्हें इसलिए भी चुनती आई है, क्योंकि वे उनके समर्थक हैं। हालांकि इस बार शिवसेना ने एक करिश्मा करके किले पर कब्जा करने का पूरा मूड बना लिया है, लेकिन नसीम खान किले को बनाए रखने में सफल हो पाते हैं या नहीं, यह तो चुनावी नतीजे आने के बाद ही पता चल पाएगा।
Published on:
13 Oct 2019 12:20 pm
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