विदित हो कि अब तक म्हाडा ने 400 व्यक्तियों को ट्रांजिट शिविर में स्थानांतरित करने के लिए एक पत्र जारी किया है। एन.एम. जोशी मार्ग (लोअर परेल) में बीडीडी के 8 चॉलों के 800 का पुनर्वास किया जाएगा। प्रक्रिया में अब तक 607 व्यक्तियों ने योग्यता प्राप्त की है। म्हाडा के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि शेष लाभार्थियों का सत्यापन चल रहा है। बीडीडी पुनर्वास परियोजना के तहत, कुल 22 मंजिलों का निर्माण किया जाएगा, जिसके तहत एक विंग में 160 रहिवासियों कई व्यवस्था की गई है। लाभार्थियों को प्रत्येक 500 वर्ग फुट के क्षेत्र के साथ 2 बीएचके फ्लैट मिलेंगे।
उल्लेखनीय है कि इस पूरी परियोजना के तहत 8 चॉली के 800 निवासियों का पुनर्वास 7 भवनों के विंग में किया जाएगा। इस एनएम जोशी मार्ग के निवासियों को वर्तमान में मुंबई में छह मिलों में बनाए जा रहे ट्रांजिट शिविर में स्थानांतरित किया जा रहा है। एक से दो किलोमीटर के भीतर ट्रांजिट शिविर बनाये गए हैं। जैसे ही बीडीडी स्थान पर कब्जा होगा, परियोजना के नए भवन का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। इसीलिए स्थानीय लोगों के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए स्थानीय स्तर पर पहल की जाएगी। वहीं अधिकारी का कहना है कि वर्तमान में, निवासियों की सुविधा के लिए पंजीकरण और पंजीकरण प्रक्रिया सुबह 8 से शाम 8 बजे तक नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
ट्रांजिट कैंप मिल के छह मिलों के स्थान पर म्हाडा की ओर से ट्रांजिट कैंप स्थापित किए गए हैं। छह मिलों में सेंचुरी, भारत, रूबी, वेस्टर्न इंडिया, प्रकाश कॉटन और जुबली मिल शामिल हैं। मिल की जगह में बनाए जा रहे ट्रांजिट कैंपों में से बीडीडी चॉल की परियोजनाओं के लिए म्हाडा के लिए कुल 1 हजार 127 घर आरक्षित किए गए हैं। पुनर्वास परियोजना अगले तीन वर्षों तक चलने की उम्मीद है। इस परियोजना के तहत निवासियों के घरों के लिए केवल निर्मित घरों के लिए लॉटरी निकाली जाएगी।
जल्द ही निवासियों को फ्लैट्स में भेज जाएगा। इसके लिए सारी प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया गया है। दिसंबर में बीडीडी चॉल की लॉटरी निकलने वाली है और उम्मीद है कि इसके लिए दो चरणों मे लॉटरी नुकाली जाए। परियोजना के लिए 1,127 घर आरक्षित किए गए हैं।