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OMG: महाराष्ट्र में हैं 9000 से ज्यादा टीबी पीड़ित

राज्य ( Maharashtra ) में 9 हजार ( 9000 ) से अधिक लोग टीबी ( TB ) से ग्रसित, उपचार ( Treatment ) से वंचित रह जाते 16 प्रतिशत रोगी ( Patients ), गंभीर रूप ( Serious Form ) ले रही क्षय रोग ( Tuberculosis ) की समस्या, फायदा पहुंचाने के लिए एमडीआर ( MDR ) या एक्सडीआर ( XDR ) का उपयोग

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OMG: महाराष्ट्र में हैं 9000 से ज्यादा टीबी पीड़ित

OMG: महाराष्ट्र में हैं 9000 से ज्यादा टीबी पीड़ित

रोहित के. तिवारी
मुंबई. अभी हाल ही में एक रिपोर्ट में पता चला है कि टीबी (डीआर) क्षय रोग की समस्या पूरे देश में गंभीर रूप ले रही है। देश भर में डीआर क्षय रोग की संख्या में 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि इनमें से करीब 20 प्रतिशत रोगियों को उपचार नहीं मिल पा रहा है। वहीं राज्य में इन रोगियों की संख्या 9 हजार से अधिक है और इनमें से 16 प्रतिशत रोगी उपचार तक नहीं पहुंच रहे हैं। अगर एक या अधिक दवाओं से टीबी मरीज को कोई फायदा नहीं होता है तो डीआर (एमडीआर या एक्सडीआर) को क्षय रोग के निदान के रूप में किया जाता है। 2017 में देश भर में 38 हजार 605 टीबी के मरीज सामने आए। वहीं एक ही वर्ष में यह संख्या लगभग 50 प्रतिशत से बढ़कर 58 हजार 347 हो गई है, जबकि राज्य में भी यही स्थिति है। महाराष्ट्र में 2017 में 8 हजार 465 टीबी के मामले पाए गए। वहीं 2018 में रोगियों की संख्या में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह संख्या बढ़कर 9 हजार 895 हो गई है।

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पिछले साल से बढ़ी संख्या...
विदित हो कि डीआर ट्यूबरकुलोसिस खतरनाक है और इसके उपचार को तुरंत शुरू करने की आवश्यकता है। साथ ही संक्रमण को सीधे टीबी को फैलने से रोकने के लिए विशेष देखभाल आवश्यक है। हालांकि, क्षय रोग विभाग डीआर रोगियों के लिए उपचार शुरू करने में कुछ ज्यादा सफल नहीं रहा है। देश में 2017 में रिपोर्ट किए गए डीआर टीबी के कुल मामलों में से 7 प्रतिशत रोगी उपचार से बाहर थे। वहीं 2018 में यह अनुपात 20 प्रतिशत तक बढ़ गया है। पिछले साल टीबी विभाग राज्य में कुल डीआर टीबी रोगियों के केवल एक प्रतिशत तक पहुंचने में विफल रहा, लेकिन 2018 में करीब 16 प्रतिशत मरीजों को इलाज नहीं मिला। देश भर में डीआर क्षयरोग केंद्रों की संख्या पिछले साल 222 से बढ़कर 643 हो गई है। जबकि राज्य में 2017 में सिर्फ 17 केंद्र थे। पिछले साल यह संख्या बढ़कर 50 हो गई।

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पालन करना मुश्किल...
उल्लेखनीय है कि सीबीनॅट सिस्टम हैं, जो डीआर टीबी केंद्र के साथ परीक्षण करते हैं। इसलिए बड़े पैमाने पर निदान किया जा रहा है। हालांकि नतीजतन डीआर टीबी की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन इतने बड़े अनुपात में निदान किए गए रोगियों के उपचार की निगरानी में भी कठिनाइयां आती हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज मुंबई शहर के हैं। मुंबई में इस बीमारी का बढ़ना एक बड़ा सवाल है। अधिकतर रोगियों का उपचार शुरू किया जाता है, लेकिन समय के साथ वे दूसरी ओर चले जाते हैं, जिसके चलते उनका इलाज असंभव हो जाता है।

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किए जा रहे प्रयास...
राज्य के विभिन्न इलाकों के मरीज भी इलाज के लिए मुंबई शहर आते हैं, लेकिन उनके वापस आने पर उनकी निगरानी कैसे की जाए, इसकी भी समस्या पैदा हो रही है। वहीं डीआर टीबी रोग को दूर करने को लेकर इसमें उपचार की निगरानी के प्रयास चल रहे हैं।
- डॉ. पद्मजा जोगेवार, प्रमुख, राज्य क्षय रोग विभाग

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