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आप सांसद संजय सिंह ने किसान आंदोलन को लेकर भाकियू सुप्रीमो को दिया ये सुझाव भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन करने वाला प्रमुख राज्य है। महंगाई रोज बढ़ रही है, लेकिन गन्ने का रेट चार साल से नहीं बढ़ा है। गन्ने की फसल आधी से ज्यादा मिलों में पहुंचने के बाद सरकार ने पुराने रेट की ही घोषणा कर दी है। अब तक गन्ने की पर्चियों पर रेट वाले कॉलम में शून्य-शून्य लिखा आ रहा था। गन्ना मिलें भुगतान समय से नहीं कर रहीं, जबकि 14 दिन में भुगतान नहीं होने पर किसान को ब्याज दिलाने का दावा किया गया था।
12 हजार करोड़ रुपए बकाया राकेश टिकैत ने कहा कि खाद के दाम बढ़ रहे हैं, डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, गैस सिलेंडर के दाम बढ़ रहे हैं, बच्चों की फीस बढ़ रही है, हर चीज पर महंगाई की मार है। सरकार ने खाद का कट्टा 50 किलो से कम करके 45 किलो का कर दिया और उसकी कीमत बढ़ गई। पेस्टीसाइड महंगे हो रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में चार वर्षों से गन्ने के भाव में एक पाई नहीं बढ़ाई। जबकि गन्ना संस्थान ने पिछले साल के मुताबिक गन्ने का लागत मूल्य 10 रुपए बढ़ जाने की बात की है। गन्ना संस्थान ने वर्ष 2019-20 के लिए जहां गन्ने का लागत मूल्य जहां 287 रुपए प्रति क्विंटल बताया था, वहीं वर्ष 2020-21 के लिए 297 रुपए होने की बात कही है, लेकिन गन्ना संस्थान की बात भी सरकार नहीं मानती। गन्ना किसानों का 12 हजार करोड़ रुपए बकाया है।
मायावती और अखिलेश की भी बराबरी नहीं कर पा रहे सीएम योगी उन्होंने कहा कि बच्चों के शादी-ब्याह करने के लिए किसानों को कर्ज लेना पड़ रहा है। सरकार समय से भुगतान कराने के बजाय किसानों को कर्ज देने में ज्यादा दिलचस्पी ले रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री क्या मायावती और अखिलेश यादव से भी कमजोर मुख्यमंत्री हैं? जो किसानों के लिए उनके बराबर भी नहीं कर पा रहे हैं। टिकैत ने कहा कि एक ओर भारत सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का झूठा दावा कर रही है, दूसरी ओर गन्ना किसानों को उनका लागत मूल्य तक नहीं मिल पा रहा।