… तो वनकर्मियों तक ही सीमित रहता बताया जा रहा है कि शहर से दूर होने के कारण कार्यक्रम में लोग नहीं जुट पाए। प्रचार-प्रसार का भी अभाव रहा। स्कूली बच्चों को जरूर एक वाहन में यहां लाया गया। इस दौरान अंगुलियों पर गिनने लायक संख्या में कुछ लोग व वनकर्मी मौजूद रहे। स्कूली बच्चों को नहीं लाते तो यह कार्यक्रम वनकर्मियों तक ही सीमित रह जाता।
प्रकृति व पर्यावरण संतुलन बनाए रखने का आह्वान कार्यक्रम में आए पदमश्री हिम्मताराम भांभू ने पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण पर कई उपयोगी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हर छोटे से छोटा जीव एक-दूसरे का पूरक है। इनका संतुलन गड़बड़ाने पर प्रकृति बीमार हो सकती है, जो मानव के लिए हानिकारक है। उन्होंने प्रकृति व पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में योगदान देने का आह्वान किया। इसी तरह पर्यावरण प्रेमी रामरतन बिश्नोई भी प्रकृति व पर्यावरण को बचाए रखने पर जानकारी दी। उप वन संरक्षक ज्ञानचंद मकवाना, एसीएफ डॉ. सुनील गौड़ आदि ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के बाद यहां रेस्क्यू में पल रहे हरिण को वन क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण के लिए मुक्त किया गया। हरिण को कुछ दिन पहले घायलावस्था में यहां लाया गया था। उपचार के बाद तंदुरुस्त होने पर उसे सेंटर से मुक्त कर दिया गया। इस दौरान रेंजर हेमेंद्र फिडौदा आदि मौजूद रहे।