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OBC रिजर्वेशन में जबरदस्त बढ़ोतरी! 32% से बढ़ाकर सीधा 51% मिलेगा आरक्षण

Karnataka Caste Survey: कर्नाटक में OBC आरक्षण को मौजूदा 32% से बढ़ाकर 51% करने का प्रस्ताव रखा है। इस कदम से राज्य में कुल आरक्षण 85% तक पहुंच जाएगा।

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कर्नाटक में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण में बढ़ोतरी की सिफारिश की गई है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना आयोग की रिपोर्ट के आधार पर OBC आरक्षण को मौजूदा 32% से बढ़ाकर 51% करने का प्रस्ताव रखा है। इस कदम से राज्य में कुल आरक्षण 85% तक पहुंच जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट की 50% की सीमा को पार करता है।

70% पिछड़ी जातियां मौजूद

जाति जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में पिछड़ी जातियों की आबादी करीब 70% है। आयोग का तर्क है कि आबादी के अनुपात में आरक्षण बढ़ाना सरकारी लाभ और अवसरों के समान वितरण के लिए जरूरी है। यह सिफारिश शिक्षा और सरकारी नौकरियों के साथ-साथ स्थानीय निकायों में भी लागू करने की योजना है। हालांकि, इस प्रस्ताव ने कई सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले बिहार में इसी तरह के प्रयास को खारिज किया था, जिसके बाद कर्नाटक का यह कदम भी कानूनी चुनौतियों का सामना कर सकता है। कुछ समुदायों, जैसे लिंगायत और वोक्कालिगा, ने इस सिफारिश पर नाराजगी जताई है।

सबसे ज्यादा आबादी?

सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जाति की जनसंख्या 1,09,29,347 और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 42,81,289 है। पिछड़े वर्गों की जनसंख्या को विभिन्न श्रेणियों के आधार पर इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है।

1A वर्ग: 34.96 लाख
1B वर्ग: 73.92 लाख
2A वर्ग: 77.78 लाख
2B वर्ग: 75.25 लाख
3A वर्ग: 72.99 लाख
3B वर्ग: 1.54 करोड़

रिपोर्ट के अनुसार, OBC समुदाय की कुल जनसंख्या 4.16 करोड़ है। इसमें अनुसूचित जातियों (SC) की जनसंख्या 1.09 करोड़ और अनुसूचित जनजातियों (ST) की जनसंख्या 42.81 लाख बताई गई है। इस जातिगत जनगणना सर्वे में कुल 5.98 करोड़ लोगों का डेटा संकलित किया गया।

OBC समुदाय के लिए मददगार

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई। सरकार का दावा है कि यह कदम सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक है। लेकिन, इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन या नौवीं अनुसूची में शामिल करने की जरूरत पड़ सकती है, जैसा कि तमिलनाडु में हुआ था। यह कदम जहां OBC समुदाय के लिए राहत की खबर है, वहीं इसकी कानूनी और सामाजिक स्वीकार्यता पर बहस तेज हो गई है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और गहमागहमी की उम्मीद है।

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