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JK Diary : BJP जिसे शांति कहती है, वह एक आदेश की पालना है : जावेद हसन बेग

Patrika Interview : जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के नेता जावेद हसन बेग से पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि कश्मीर में शांति केवल भाजपा को ही दिखती है। हमारा मानना है कि यहां सिर्फ आदेश की पालना हो रही है।

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Patrika Interview : जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहला लोकसभा चुनाव हो रहा है। इसमें जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के नेता अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के मामले को अपने तरीके से परिभाषित करके चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। इस बारे में पार्टी के नेता जावेद हसन बेग से पत्रिका संवाददाता अनिल कैले ने बातचीत की। इसमें उन्होंने कहा, कश्मीर में शांति केवल भाजपा को ही दिखती है। हमारा मानना है कि यहां सिर्फ आदेश की पालना हो रही है। उनसे बातचीत के कुछ अंश प्रस्तुत हैं।

सवाल: बारामूला लोकसभा क्षेत्र में मतदान होने वाला है। चुनावी माहौल के बारे में क्या कहेंगे?

जवाब: नेशनल कांफ्रेंस जम्मू-कश्मीर में घर-घर पहचाने जाने वाला नाम है। इस पार्टी से इतिहास जुड़ा है। यह किसी संस्थान या किसी एजेंसी की पैदावार नहीं है। पिछले पांच साल से जम्मू-कश्मीर के लोगों की आवाज दबी हुई है। आजाद हिन्दुस्तान में जम्मू कश्मीर में बोलना काफी मुश्किल हो गया है। इस दबी हुई आवाज को लोकसभा में पहुंचाना उत्तरी कश्मीर के लोगों का मिशन बन गया है।

सवाल: श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र को नेशनल कांफ्रेंस का गढ़ माना जाता है। फिर उमर अब्दुल्ला बारामूला से चुनाव क्यों लड़ रहे हैं?

जवाब: ये बातें वो लोग कर रहे हैं जिन्हें राजनीति की समझ नहीं है। लोगों के लिए राजनीतिक सीमा हो सकती है। हमारे लिए ऐसी सीमा नहीं है। उमर अब्दुल्ला की पूरे मुल्क में पहचान है।

सवाल: एनसी और पीडीपी इंडिया गठबंधन में है, फिर कश्मीर में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव क्यों लड़ रहे हैं?

जवाब: जमीनी कार्यकर्ताओं का हमारे पार्टी प्रमुख फारूख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के पास फीडबैक पहुंचा कि हम एक दूसरे को वोट ट्रांसफर नहीं कर पाएंगे। महबूबा मुफ्ती को आक्रामक रवैया अपनाने के बजाए चुनाव में मित्रता दिखानी चाहिए थी। उन्हें वक्त की नजाकत और आवश्यकता को समझना चाहिए था। इस समय जरूरत है कि ऐसे प्रत्याशी को लोगों के सामने लाया जाए, जिसे समाज का हर वर्ग स्वीकार करता हो। नेशनल कांफ्रेंस की प्रदेश के हर हिस्से में मौजूदगी है। इसलिए नेशनल कांफ्रेंस का सभी सीटों पर चुनाव जरूरी था।

सवाल: क्या कश्मीर में इस बार अनुच्छेद 370 ही प्रमुख मुद्दा है।

जवाब: यह बात सही है कि 5 अगस्त 2019 के बाद हिंसा पूरी तरह बंद हो गई है। भाजपा इसे शांति बहाली कहती है। हम इसे एक आदेश कहते हैं। शंाति के दावों और आदेश की पालना में तो बहुत बड़ा अंतर है। शांति कायम रखना एक स्वैच्छिक कार्रवाई होती है, जिसमें लोग अपने प्रदेश के कानून को मानते हुए उसका पालन करते हुए शांति व्यवस्था बनाए रखने में शामिल होते हैं। आदेश के जरिए लोगों को खामोश कर दिया जाता है। आप कुछ कहना भी चाहें तो कुछ बोल नहीं सकते। शांति बहाली के दावों को सम्पूर्ण शांति में तब्दील करने के लिए सूबे में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव की जरूरत है।

सवाल: धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में राहत मिली है या नहीं?

जवाब: हम अनुच्छेद 370 को जम्मू और कश्मीर के लोगों को भारत सरकार की ओर से दिया गया एक भरोसा समझते थे, कि वह हमेशा हमारे साथ है। हमारे हितों की रक्षा करेंगे। सांस्कृतिक हमला नहीं होगा। अब लगता है कि कुछ चीजें अब जबरन की जाएंगी।

सवाल: यहां बेरोजगारी, महंगाई, व्यापार पर बात क्यों नहीं होती ?

जवाब: इसके लिए हमारा मैनिफेस्टो बना हुआ है। एक नए कश्मीर का अपना एक मैनिफेस्टो है। कई नौजवान सियासत से बहुत दूर रहे हैं। उनको पता नहीं है कि पिछले तीस साल से नेशनल कांफ्रेंस का पॉलिटिकल मैनिफेस्टो क्या रहा है। हम नौजवानों को यकीन दिलाते हैं कि उनकी इज्जत और उनके रोजगार के लिए संघर्ष करना ही पार्टी का मिशन है।

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