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शनि जयंती: करीब 150 साल बाद बन रहा ये योग, जानिये शनि के प्रभाव से कौन होगा सबसे ज्यादा सफल

ज्योतिष में शनि न्याय @Shani Jamotsav का देवता...

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shani dev

शनि जयंती: करीब 150 साल बाद बन रहा ये योग, जानिये शनि के प्रभाव से कौन होगा सबसे ज्यादा सफल

भोपाल। आज सोमवार को 3 जून को शनि जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। दरअसल सनातन धर्म के अनुसार शनि को सूर्य का पूत्र व एक देवता माना गया है। वहीं ज्योतिष में शनि न्याय का देवता माना गया है। जिसके चलते शनि जयंती का खास महत्व माना जाता है।

ऐसे में इस दिन सूर्य पुत्र शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। इस साल शनि जयंती का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन शनि के साथ केतु भी धनु राशि में स्थित रहेंगे, जिस कारण एक दुर्लभ योग बन रहा है।

इससे पहले ये योग 149 साल पहले 30 मई 1870 को बना था। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस योग का इन राशियों पर काफी शुभ असर पड़ने जा रहा है…

ये हैं राशि...
: कर्क राशि – समय आपके लिए अनुकूल रहेगा। आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है। व्यापार में बढ़ोतरी होगी और नई योजनाएं बना सकते हैं।


: धनु राशि – शनि आपको लाभ देने की स्थिति में होने के चलते नया काम शुरु किया जा सकता है। धन लाभ होने की संभावना है। आय में भी बढ़ोतरी हो सकती है।

: कुंभ राशि – नौकरी में तरक्की हो सकती है। राशि स्वामी शनि शुभ फल देंगे। व्यापार में बढ़ोतरी हो सकती है।

: मीन राशि – हर कार्य में सफलता के साथ ही जिनका अब तक विवाह नहीं हुआ है उनके लिए शादी के प्रस्ताव आ सकते हैं। व्यापार में लाभ होगा।

ज्योतिष में शनि...
वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है।

यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। शनि का गोचर एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहता है।

ज्योतिषीय भाषा में इसे शनि ढैय्या कहते हैं। नौ ग्रहों में शनि की गति सबसे मंद है। शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है।


शनि के प्रभाव -
ज्योतिष में शनि ग्रह बली हो तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। तुला राशि में शनि उच्च का होता है। यहां शनि के उच्च होने से मतलब उसके बलवान होने से है।

इस दौरान यह जातकों को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को धैर्यवान होने के साथ ही कार्यक्षेत्र में सफलता पाता है।

वहीं इसे ठीक विपरीत पीड़ित शनि व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियों को पैदा करता है। यदि शनि मंगल ग्रह से पीड़ित हो तो यह जातकों के लिए दुर्घटना और कारावास जैसी परिस्थितियों का योग बनाता है।


शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।

शनि का तांत्रिक मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः।।

शनि का बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

ऐसे समझें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की कुंडली में शनि का असर: Saturn Effects in Amit Shah kundli...

चुकिें आज शनि जयंती के दिन भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह मध्यप्रदेश के बुदनी में आ रहे हैं, तो ऐसे में उनकी कुंडली से अच्छा क्या होगा, यहीं कहते हुए पंडित सुनील शर्मा बताते हैं कि यदि जन्म समय सही है तो उसके अनुसार बनी कुंडली के मुताबिक भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह की कुंडली के मुताबिक 2021 तक उनका पूर्ण राजयोग है।

इसके बाद भी योग बनते हैं, लेकिन बीच में कुछ बदलाव से सामने आता है। पंडित शर्मा के अनुसार शाह की कुंडली में सबसे खास बात ये है कि उनके छठे भाव में शनि विराजमान हैं वहीं यह घर कुंभ राशि का होने के चलते शनि से स्वगृही प्रबल राजयोग बनाते हुए शत्रुहंता योग बना रहा है। इस कारण वे शत्रुओं पर हर वक्त हावी रहते हैं।

शत्रुओं पर पड़ेंगे भारी
जानकारी के अनुसार अमित शाह की कुंडली कन्या लग्न की है। ऐसे में उनकी कुंडली में लग्न कन्या होने के साथ ही दूसरे भाव में तुला की राशि में सूर्य व बुध होने से वे बुधादित्य योग का निर्माण कर रहे हैं। जबकि चतुर्थ भाव जो माता या सुख का कहलाता है उस घर में केतु विराजमान हैं।

इसके अलावा शत्रु या रोग भाव यानि छठा भाव कुंभ राशि है जिसमें स्वयं शनि विराजमान हैं। इसके अलावा अष्टम भाव में मंगल के घर पर चंद्र विराजमान हैं। जबकि भाग्य घर वृषभ राशि का है और इसमें गुरु बैठे हुए हैं।

इसके साथ ही ग्याहरवां भाव यानि आय भाव कर्क राशि का है, जिसमें मंगल विराजमान है। इसके बाद कुंडली का अंतिम 12वां भाव जिसे व्यय भाव भी कहा जाता है, वहीं सिंह राशि में शुक्र विराजमान है।

इन सभी स्थितियों को देखते हुए पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की कुंडली में राहु दशम भाव में उच्च का होकर स्थित हैं और राहु की दशा 2003 से चल रही है जो 2021 तक चलेगी।

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वहीं इसके अलावा छठे भाव में कुंभ की राशि में शनि का स्वगृही होना उनके प्रबल विपरीत राजयोग बनाते हुए शत्रुहन्ता योग बना रहा है।


वहीं कुंडली के अनुसार सूर्य और मंगल दोनों नीच के हैं। इनके गुप्त शत्रु भी बहुत हैं। कुंडली के अनुसार शत्रु आसानी से इनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते। वहीं अति आक्रामकता के कारण इनको कुछ हानि हो सकती है।

इसके अलावा यदि 11वें भाव को देखें तो यहां चंद्र की राशि कर्क में मंगल का बैठना जहां उन्हें प्रशासन प्रदान करता है। वहीं नवम भाव में शुक्र के घर यानि वृषभ राशि में गुरु का बैठना उन्हें चाणक्य की भांति राजनीति में मजबूत बनाता है।