प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे एसपीजी ने समय रहते इस खतरे को भांपा और टाल दिया
दिल्ली से एडीजी मेरठ को जोया की जांच के लिए पत्र मिला
एसएसपी गौतमबुद्ध नगर ने जांच कर किया खुलासा
pm
नोएडा/मेरठ। 2019 का लोकसभा चुनाव अब तक हुए तमाम चुनावों से काफी अलग रहने वाला है। सभी दल जीत को लेकर अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। इस चुनाव में तमाम मुद्दों के साथ-साथ प्रधानमंत्री की सुरक्षा एक बड़ा और जरूरी मुद्दा है।
एनडीए को बहुमत दिलाने और वापस सत्ता में आने के लिए प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी देशभर में करीब 150 रैली करने वाले हैं। 28 मार्च को उन्होंने यूपी के मेरठ में अपनी पहली रैली की। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि पहली रैली में ही यूपी पुलिस ने अपनी लापरवाही से प्रधानमंत्री की जान लगभग खतरे में डाल दी थी। भला हो प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे एसपीजी का जिसने समय रहते इस खतरे को भांपा और बड़े खतरे को टाल दिया। आपको बता दें कि पूरा मामला जब खुला तो पुलिस को ऐसे-ऐसे राज पता चले, ऐसे-ऐसे सामान मिले कि जांच एनआईए को सौंंपनी पड़ी है। क्या है पूरी कहानी पढ़िए इस रिपोर्ट में…
मेरठ की एक लड़की है जोया खान। उसके पिता शहर में ही डॉक्टर हैं। उसकी अच्छी पढ़ाई-लिखाई हुई। बकौल जोया बड़ी होकर सरकारी अधिकारी बनना चाहती थी। इसके लिए 2007 में उसने पीसीएस का एग्जाम भी दिया था, लेकिन यह परीक्षा वह फेल कर गई। इसके बाद उसने अपना कथित सपना पूरा करने के लिए गलत रास्ता चुना। जोया ने अपने परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों में खुद को आईएफएस (इंडियन फॉरन सर्विस) अधिकारी बताना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसने इस पद का रौब अफसरों पर भी गांठना शुरू कर दिया। उसने अधिकारियों से सरकारी सुविधाएं लीं। इसमें सरकारी मकान, गनर, नीली बत्ती लगी गाड़ी और कई सारी सुविधाएं शामिल हैं।
अधिकारियों को सुनाई झूठी कहानी कुछ दिन पहले जोया मेरठ पहुंची। उसने वहां पुलिस के आला अधिकारियों को अपने आईएफएस अधिकारी होने की जानकारी दी। उसने बताया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष सुरक्षा में तैनात है और मेरठ में होने वाली रैली की तैयारियों के संबंध में वह यहां आई है। यहीं पुलिस अधिकारी झांसे में आ गए। उन्होंने बिना जांच-पड़ताल जोया को गनर और एस्कॉर्ट तो दिया ही, रैली की तैयारियों के लिए दो थानों की फोर्स भी उसे सौंप दी।
जोया ने प्रधानमंत्री की रैली की सुरक्षा संभालने का आइडिया कहां से लिया। उसने मन में आगे इस रैली को लेकर क्या स्क्रिप्ट तैयार की थी, यह तो उससे पूछताछ के बाद सामने आएगा। लेकिन इस रैली ने उसकी करीब तीन साल से रची जा रही साजिश की पोल खोल दी है।
दिल्ली पहुंचकर मांगा जोया का इतिहास 28 मार्च को जोया प्रधानमंत्री की रैली में पहुंची। वह बार-बार प्रधानमंत्री के करीब जाना चाह रही थी, लेकिन एसपीजी का सुरक्षा घेरा उसे ऐसा करने से रोक देता। इसको लेकर दोनों के बीच एक-दो बार हल्की कहासुनी भी हुई। सूत्रों की मानें तो उस समय मामले को प्रधानमंत्री के असल सुरक्षा अधिकारियों ने ज्यादा तूल नहीं दिया। रैली खत्म हुई और टीम दिल्ली पहुंची तब अधिकारियों ने मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार को पत्र लिखकर इस पूरे वाकये की जानकारी दी। साथ ही जोया का पूरा इतिहास भी मांगा।
ऐसे-ऐसे सामान मिले कि चौंक जाएंगे दिल्ली से मिले पत्र के बाद एडीजी हरकत में आए। उन्होंने एक टीम जोया के बताए पते पर भेजी, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। पता चला कि जोया का नोएडा में भी फ्लैट है और वह अपने पति के साथ फिलहाल वहीं रह रही है। एडीजी ने नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण से तुरंत बात की और जोया की पूरी डिटेल मांगी। बाद में नोएडा पुलिस जोया के घर पहुंची, जहां उसे लैपटॉप, महंगी गाड़ियां, मोबाइल, पिस्टलनुमा लाइटर के साथ-साथ कुछ ऐसे सामान भी मिले जिन्हें देखकर पुलिस टीम चौंक गई। वह हैरान थी कि जोया के घर में वॉकी-टॉकी, संयुक्त राष्ट्रीय संघ से प्रमाणित पहचान पत्र, गाड़ी पर नीली बत्ती और संयुक्त राष्ट्रीय संघ का लोगो (प्रतीक चिन्ह) मिला। जोया ने अपने कुछ पड़ोसियों व रिश्तेदारों को बताया था कि वह यूएन में भारत की तरफ से उसकी नियुक्ति सचिव के तौर पर है।
मामला इतना बड़ा है कि एनआईए को सौंपनी पड़ी जांच सवाल यह है कि जोया सिर्फ फर्जी अधिकारी बनकर उस रुतबे को जीना चाहती थी जिसका सपना वह बचपन से देख रही थी। तो वॉकी-टॉकी, संयुक्त राष्ट्रीय संघ का लोगो समेत कई और आपत्तिजनक सामान उसके पास क्यों थे। इसको गंभीर मानते हुए यह जांच एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंप दी गई है। एनआईए को उसके अंतरराष्ट्रीय स्तर के लोगों से जुड़े होने का शक है। इसको देखते हुए अफगानिस्तान, दुबई, पाकिस्तान जैसे कुछ देशों से उसके संबंध के बारे में पता लगाया जा रहा है।
जोया का पति भी मामूली खिलाड़ी नहीं नोएडा पुलिस जब जोया के घर पहुंची तो वहां जोया का पति निशांत भी मिला। पुलिस के मुताबिक निशांत के पिता कानपुर में ज्वाइंट कमीश्नर रह चुके हैं। जोया ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि उसका पति भी अब तक के पूरे घटनाक्रम में शामिल रहा है।
देखा जाए तो जोया ने कई चीजों को उजागर किया है। कई ऐसे पेचिदे सवाल भी खड़े हो गए हैं, जिनका सुलझना बाकी है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जोया के मन में क्या था। क्या सिर्फ वह सरकारी रुतबे को पाने के लिए फर्जी अफसर बन रही थी या फिर इसके पीछे की कहानी कुछ और है। जिसे एनआईए की टीम शायद जल्द सुलझा देगी, क्योंकि मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा तक पहुंच चुका था।
क्या कहते हैं एसएसपी एसएसपी गौतमबुद्ध नगर वैभव कृष्ण ने बताया कि मूल रूप से मेरठ की रहने वाली जोया खान अपने को विदेश मंत्रालय की संयुक्त विदेश सचिव बताकर कई बार गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ और मुरादाबाद से पुलिस एस्कार्ट और पीएसओ की सेवाएं लीं। महिला के विदेश में भी कनेक्शन हैं। जोया खान के मेरठ, दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा समेत कई जगह फ्लैट हैं।जोया खान ने यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी कौंसिल की फर्जी ईमेल आईडी से सुविधाएं लेने के लिए गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ और मुरादाबाद के अफसरों को मेल किए। जोया मोबाइल फोन के आउटलुक एप में विभिन्न अफसरों को किए गए मेल और मोबाइल नंबर का ब्योरा मिला है। आरोपी महिला फोन के वायस कन्वर्टर साफ्टवेयर से पुरुष की आवाज में पीए अनिल शर्मा बनकर उच्चाधिकारियों से एस्कार्ट आदि सुविधाओं की मांग करती थी।