
शरद अस्थाना, नोएडा। कैराना उपचुनाव को लेकर अब केवल 12 प्रत्याशी मैदान में बचे हैं। 28 मई को होने वाले उपचुनाव के लिए 16 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था, जिनमें से सपा विधायक नाहिद हसन समेत दो लोगों ने नाम वापस ले लिया जबकि दो के पर्चे पहले ही खारिज हो गए थे। अब मुख्य उम्मीदवारों की बात की जाए तो यहां से दो उम्मीदवारों के नाम सामने आते हैं। ये हैं भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह और रालोद की उम्मीदवार तबस्सुम हसन।
सपा का है समर्थन प्राप्त
राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं तबस्सुम हसन को समाजवादी पार्टी (सपा) का भी समर्थन प्राप्त है। वैसे आपको यह भी बता दें कि पहले उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती से टिकट मांगा था लेकिन वहां से उन्हें निराशा हाथ लगी थी। फिर इन्होंने सपा की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन गठबंधन होने की वजह से रालोद से टिकट मिला। इनके बारे में एक खास बता और है। वह यह कि तबस्सुम हसन के ससुर अख्तर हसन कांग्रेस से सांसद रह चुके हैं जबकि उनके पति मुनव्वर हसन सपा के टिकट पर संसद पहुंचे थे। तबस्सुम का बेटा नाहिद हसन कैराना से विधायक है जबकि वह खुद रालोद के टिकट पर लड़ रही हैं। वहीं, उनके देवर उनके खिलाफ लोकदल के टिकट पर मैदान में हैं।
ससुर अख्तर हसन
शुरुआत करते हैं तबस्सुम हसन के ससुर अख्तर हसन से। कैराना दो खानदानों का दबदबा माना जाता रहा है। पहला तो हुकुम सिंह और दूसरा अख्तर हसन के कुनबे का। अख्तर हसन ने हसन परिवार की राजनीति विरासत की नींव रखी थी। 1984 के लोकसभा चुनाव में चौधरी अख्तर हसन ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ था। उस चुनाव में उनकी टक्कर पहली बार चुनाव लड़ रहीं मायावती से थी। उन्होंने उस चुनाव में जीत दर्ज कर अपना कद बढ़ाया था। पिछले साल 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।
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मुनव्वर हसन
तबस्सुम के पति मुनव्वर हसन सपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। अख्तर हसन ने अपनी राजनीतिक विरासत सबसे बड़े बेटे मुनव्वर को सौंप दी थी। कैराना में हुकुम सिंह और मुनव्वर हसन की राजनीतिक लड़ाई के ढेरों किस्से कहे जाते हैं। मुनव्वर हसन ने कई बार चुनाव में हुकुम सिंह को शिकस्त दी थी। 1991 के विधानसभा चुनाव में मुनव्वर हसन जनता दल के टिकट पर विधायक बने थे। बाद में मुनव्वर सपा में शामिल हो गए थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में मुनव्वर ने सपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। सांसद रहते हुए उनकी सड़क हादसे में मौत हो गई थी।
तबस्सुम हसन व नाहिद
इसके बाद बागडोर तबस्सुम हसन ने संभाली। 2009 में वह कैराना लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर सांसद बनीं। उनके बेटे नाहिद हसन कैराना से दो बार विधायक बने। पहले तो जब हुकुम सिंह सांसद बने तो यहां हुए उपचुनाव में उन्हाेंने मृगांका सिंह के भतीजे अनिल चौहान को शिकस्त दी। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में नाहिद हसन ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका को हराया। वहीं, उपचुनाव के लिए तबस्सुम हसन ने पहले बसपा से टिकट मांगा था लेकिन उनकी यह ख्वाइश पूरी नहीुं हुई। इसके बाद उन्होंने सपा के दरवाजे पर दस्तक दी लेकिन रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मीटिंग ने उन्हें रालोद से टिकट दिला दिया।
Published on:
15 May 2018 12:39 pm
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