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मानव अंग तस्करी का बड़ा खेल, बांग्लादेशी नागरिकों की किडनी और अन्य अंगों के कारोबार का भंडाफोड़

locationनोएडाPublished: Jan 23, 2021 10:22:34 am

Submitted by:

Rahul Chauhan

Highlights:
-एसीएमओ की शिकायत पर पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ केस किया दर्ज
-मानव अंग तस्करी के बड़े खेल का भंड़ाफोड
-पुलिस फरार आरोपियों की तलाश में जुटी

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क

नोएडा। यूपी के सबसे हाईटेक शहर नोएडा में फर्जी कागजात तैयार कर बांग्लादेशी नागरिकों की किडनी और अन्य अंग ट्रांसप्लांटेशन का कारोबार करने वाले गैंग के दो सदस्यों को नोएडा की थाना फेज 3 पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी बांग्लादेशी निवासी और किडनी डोनर अहमद शरीफ की शिकायत की जांच करने के बाद एसीएमओ प्रशासन डॉ शशि की शिकायत पर की गई है। पुलिस इस मामले में फरार तीन अन्य लोग की तलाश कर रही है।
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दरअसल, पुलिस की गिरफ्त में आया अहमद शरीफ किडनी डोनर है और बाजुलहक रिसीवर व फैसीलेटर है, जिन्हें थाना फेज-3 पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वहीं पेशेंट मोहम्मद कबीर हुसैन, अटेंडेंट मोहम्मद सगीर और ट्रैवल एजेंट अब्दुल मन्नान अभी फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है। डीसीपी नोएडा सेंट्रल हरिश्चंद्र ने बताया कि 18 जनवरी को अहमद शरीफ जो बांग्लादेशी नागरिक है के द्वारा जबरजस्ती किडनी डोनेशन हेतु दबाव बनाने की सूचना थाना फेज 3 पुलिस को मिली थी। पुलिस ने इस शिकायत को सीएमओ गौतमबुद्ध नगर को जांच हेतु भेजा था। शिकायत की जांच करने के बाद डॉ शशि कुमार एसीएमओकी शिकायत पर पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ धारा 420, 468, 471, 474, 120 बी और धारा 19/20 ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन अधिनियम 1994, धारा 14 फॉरेनर्स एक्ट 1946 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया कर अहमद शरीफ और बाजूलहक को गिरफ्तार किया।
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डीसीपी ने बताया कि इस गैंग की माडस आपेरेंटी ये थी कि फरार आरोपी ट्रैवल एजेंट अब्दुल मन्नान बांग्लादेश के नागरिकों को किडनी और अन्य ऑर्गन ट्रांसप्लांट कराने के लिए लाखों रुपए का लालच देकर डोनर बनने के लिए राजी करता था। फिर मरीज और डोनर के मध्य रिश्तेदारी के फर्जी कागज तैयार कर ट्रांसप्लांट के लिए उसे नोएडा में लाते थे। मरीज और डोनर के पासपोर्ट पर मेडिकल वीजा भी अन्य शहरों से बनवाया जाता था। नोएडा में रिसीवर और फैसीलेटर द्वारा एयरपोर्ट से डोनर और मरीज को रिसीव कर नोएडा के सेक्टर 62 स्थित एक नामी निजी अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों ट्रांसप्लांटेशन कराया जाता था। इस मामले में फरार तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं और इस बात का भी जांच की जा रही है कि इन लोगों ने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर अब तक कितने लोगों का ट्रांसप्लांटेशन कराया है और इस गोरखधंधे में अस्पतालों की क्या भूमिका है।
https://youtu.be/hY09oDJqYEU

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