
छत्तीसगढ़ के ये 40 जलाशय सूखे (फोटो सोर्स- पत्रिका)
Reservoirs of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़, जिसे धान का कटोरा कहा जाता है, इस बार बारिश की कमी से बेहाल है। प्रदेश के कई जिलों में मानसून का पानी उम्मीद के मुताबिक नहीं बरसा। नतीजतन राज्य के करीब 40 जलाशय पूरी तरह से सूख चुके हैं। खेतों में धान की रोपाई अधूरी पड़ी है और जिन किसानों ने बोवाई कर ली थी, उनकी फसलें मुरझाने लगी हैं।
कम बारिश होने की वजह से जिले के जलाशयों में कम जलभराव की स्थिति है। बेमेतरा, साजा, बेरला व नवागढ़ क्षेत्र में जलसंसाधन विभाग के पास 110 जलाशय है, जिसमें से केवल 7 जलाशय में 100 फीसदी जलभराव है। वहीं 7 जलाशय में 75 फीसदी और 23 जलाशय में 50 प्रतिशत से अधिक जलभराव है। जिले के 40 जलाशय सूख चुके हैं।
जानकारी हो कि जिले में कमजोर बारिश का असर अभी से दिखाई देने लगा है। एक तरफ भूजल स्तर की भरपाई नहीं हो पाई है। यूं कहें कि गर्मी के दिन में कम हुआ जलस्तर अभी तक रिकवर नहीं हो पाया है। वहीं दूसरी तरफ जिले में जल प्रबंधन के तहत चारों विकासखंड के अलग-अलग गांवों में बनाए गए छोटे जलाशयों में से 70 फीसदी जलाशय में क्षमता के विपरीत आधे से कम पानी है। आने वाले समय में बारिश नहीं होने की स्थिति में जलाशयों का जलस्तर नहीं बढ़ने से गर्मी के दिनों में निस्तारी करना मुश्किल हो सकता है।
जानकार बाताते हैं कि बारिश होने से जलाशयों में न केवल जलभराव की स्थिति रहती वरन आसपास के क्षेत्र का जलस्तर भी बना रहता है। जलाशय के पानी का निस्तारी के साथ मवेशियों के पानी पीने के लिए उपयोग होता है।
जिला मुख्यालय के 5 किलोमीटर के दायरे में चार छोटे जलाशय हैं, जिसमें से पिकरी जलाशय ग्राम सिरवाबांधा में है, जिसमें इस सीजन के दौरान हुई बारिश से 70 प्रतिशत तक जलभराव हुआ है। वहीं इसी तरह मुरपार जलाशय में भी इसी स्तर का जलभराव है। खिलोरा जलाशय में भी यही स्थिति है। जलाशय में जलभराव अच्छा होने से ग्राम सिरवाबांधा, मुरपार व खिलोरा के आलावा शहर के लिए बेमेतरावासियों को फिलहाल राहत मिल रही है।
आने वाले दिनों में बारिश नहीं होने की स्थिति में समस्या हो सकती है। इनके आलावा नरी, केवाछी, लोलेसरा, मुलमुला, धनगांव, भुरकी, नवागढ़ के एरमशाही, साजा के मनियारी, बोदका, सिरसा, डंगनिया, सहसपुर, चिल्फी, झिपनिया, जामगांव व गाडाडीह जलाशय में 74 प्रतिशत तक जलभराव है।
जिले के चारों ब्लॉक में 73 जलाशयों में 49 से लेकर 50 फीसदी तक जलभराव है। कम जलभराव होने की वजह से इन जलाशयों से जुडे़ गांवों में बीते गर्मी के दिनों और बारिश के दौरान और आने वाली गर्मी के दिनों में भी निस्तारी की समस्या होगी। ग्रामीण क्षेत्र में नलजल योजना व निस्तारी के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं होने की वजह से संबंधित गांव के लोगों की निर्भरता जलाशय पर रहती है पर पर्याप्त जलभराव नहीं होने से ग्रामीणों को समस्या का सामना करना पड़ता है।
ढारा, फरी, धनेली, भनसुली, मोहरेगा, धनोरा, कामता, झाल, गोढ़ी कला, गनियारी, गिधवा, रैनो, गिधवा जलाशय, लालपुर जलाशय, मोहभटा जलाशय, लालपुर, मोहभट्ठा, घोटवानी, कांचरी, जगन्नाथपुर, नारधी, रानो, कुरलु, रेने, बहेरा, सिलघट, मुडपार कला, तरकोरी जलाशय व आनंदगांव जलाशय में इस तरह की स्थिति है।
बारिश के दिनों में नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम गिधवा, परसदा सहित अन्य गांवों के जलाशयों में अप्रावासी पक्षियों का जमवाड़ा लगा रहता है पर इस बार दोनों जलाशय में कम जलभराव होने की वजह से विदेशी पक्षियों ने दीगर गांव में ठिकाना जमा लिया है।
बेमेतरा जलसंसाधन विभाग के बेमेतरा उपसंभाग के ग्राम मरजादपुर व नवागढ़ के मोहलाइन, साजा के बहेरा जलाशय, कोडापुरी व भटगांव जलाशय, तांदुला दुर्ग के छोटा बेरला व नेवनारा जलाशय में पूर्ण जलभराव की स्थिति है। वहीं बेमेतरा के मुनरबोड में 75 फीसदी, साजा के बेतर जलाशय, हाथीडोब, ओडिया जलाशय व चारभाठा जलाशय, तांदुला दुर्ग के खरगा बेरला, पुरानाभाड़ जलाशय में 75 से लेकर 99 प्रतिशत तक पानी है। दोनों तरह के जलभराव वाले इन 14 जलाशयों से जुडे़ गांव के लोगों के लिए राहत की स्थिति है।
राज्य सरकार ने सूखे हालात से निपटने के लिए जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं। आपदा प्रबंधन निधि से सिंचाई के लिए अतिरिक्त डीजल पंप और टैंकर की व्यवस्था की जा रही है। कृषि विभाग किसानों को वैकल्पिक फसल और ड्रिप इरिगेशन जैसे उपाय अपनाने की सलाह दे रहा है।
बारिश की अनियमितता और जलाशयों का सूखना केवल किसानों की समस्या नहीं है, बल्कि यह राज्य की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए भी चुनौती है। समय रहते ठोस कदम उठाए गए तो आने वाले मौसम में इस संकट को कम किया जा सकता है, वरना स्थिति और गंभीर हो सकती है।
Published on:
21 Sept 2025 06:10 pm
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