Farmer Protest: राजनाथ और दुष्यंत चौैटाला के बीच बातचीत, आंदोलन सुलझाने पर चर्चा
आंदोलन को राजनीति कहना अन्नदाता का अपमान
कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने किसान आंदोलन को राजनीति कहना अन्नदाता का अपमान बताया। सुरजेवाला ने कहा कि अगर सरकार कानून में 14 संशोधन करने पर सहमत है तो फिर क्यों न कानून को खत्म कर दिया जाए। एक न्यूज चैनल पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए किसान नेता ने कृषि कानूनों को लेकर भाजपा सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को किसानों को टरकाना और उनसे टकराना दोनों ही बंद कर देना चाहिए और यही किसान हित में भी है। सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर सवाल दागते हुए कहा कि आखिर ऐसी क्या इमरजेंसी आन पड़ी थी कि कोरोना महामारी के बीच सरकार इस कानून को ले आई। क्या किसी किसान संगठन ने सरकार से तुरंत इन कानूनों को बनाए जाने की मांग की थी।
इन कानूनों से आज किसान का असतित्व संकट में
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इन कानूनों से आज किसान का असतित्व संकट में आ गया है। क्या देशभर में एक भी किसान संगठन ऐसा है जो कृषि कानूनों या फिर सरकार के इस फैसले के पक्ष में हो। पूरे देश का किसान आज इस कानून की वापसी की मांग कर रहा है, फिर क्यों सरकार देश के अन्नदाता की आवाज दबाने में लगी है। उन्होंने यह भी कहा कि खेती जबकि राज्य का विषय है, फिर केंद्र सरकार क्यों ऐसे कानून लाने पर तुली है।
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किसान हैं कि बिल वापसी से कम पर तैयार नहीं
आपको बता दें कि नए कृषि बिलों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच की रार खत्म होती नजर नहीं आ रही है। केंद्र सरकार ने जहां किसी भी सूरत में कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया है, वहीं किसानों ने भी आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। किसानों ने साफ कर दिया है कि अगर किसान इन काले कानूनों को वापस नहीं लेगी तो किसान अपने घरों को वापसी नहीं करेंगे। हालांकि केंद्र सरकार ने कानून वापस लेने की बजाए उनमें संशोधन करने की हामी भरी है, लेकिन किसान हैं कि बिल वापसी से कम पर तैयार नहीं हैं।