इससे पहले 16 मई को राज्यपाल की तरफ से भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने के आमंत्रण को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौदी दी थी। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से राज्यपाल के आदेश पर शपथ ग्रहण समरोह पर रोक लगाने की मांग की थी। कांग्रेस की इस याचिका पर सुप्रीम ने येदियुरप्पा सरकार को 24 घंटे के अंदर बहुमत साबित करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट का सामना करने के बदले सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस ने एक अन्य याचिका के माध्यम से प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति का भी विरोध किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
आपको बता दें कि बुधवार को शपथ ग्रहण करने से पहले जेडीएस नेता और कर्नाटक के भावी मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने सोमवार को दिल्ली पहुंचकर संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। यह मुलाकात करीब 20 मिनट तक चली। बताते हैं कि यह औपचारिक बैठक थी और सरकार गठन के फॉर्मूले पर अन्य नेताओं से चर्चा हुई। बुधवार को गठित होने वाली कांग्रेस-जेडीएस सरकार में दो उप-मुख्यमंत्री होंगे, ताकि दोनों दलों में संतुलन रहे। शपथ के 24 घंटे में कुमारस्वामी विश्वास मत हासिल करेंगे। इसीलिए दोनों दलों के विधायकों को अभी भी होटलों में कैद रखा गया है। कुमारस्वामी से मुलाकात के दौरान कांग्रेस की ओर से सरकार में अपने लिए डिप्टी सीएम के दो पद मांगे गए हैं। हालांकि जेडीएस की ओर से अभी इसे लेकर कोई सहमति नहीं दी गई है। डिप्टी सीएम के दोनों पदों पर कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेता परमेश्वरन और डीके शिवकुमार को बैठाना चाहती है। पार्टी की यह सारी कवायद खेमों में बंटी पार्टी को एकजुट रखने की है। खासकर ऐसे समय जब पार्टी विधायकों के तोड़फोड़ की कोशिश की जा रही है।
कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण को लेकर जिस तरीके से विपक्ष के सभी नेताओं को आमंत्रित किया गया है, उससे वहां विपक्षी दलों की एकजुटता दिखाई देगी। इसे लेकर कांग्रेस और जेडीएस दोनों ही अपने -अपने तरीके से तैयारी में जुटी हुई हैं। फिलहाल इस शपथ ग्रहण में अब तक जिन नेताओं को आमंत्रित किया गया है, उनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी , उत्तर प्रदेश से सपा नेता अखिलेश यादव , मायावती और आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल हैं। इसके अलावा माकपा नेता सीताराम येचुरी आदि को भी बुलाया गया है। कांग्रेस इसके जरिए 2019 को लेकर एक बड़ा संदेश देना चाहती है।