
नई दिल्ली। कर्नाटक ( karnataka crisis ) में करीब एक पखवाड़े से जारी सियासी संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया। विश्वास मत पर चर्चा में हिस्सा ले रहे कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बहुमत परीक्षण टालने की मांग की । वहीं राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को संदेश भेजा। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने सदन में राज्यपाल का संदेश पढ़ा, जिसमें कहा गया कि विश्वास मत पर वोटिंग के लिए विचार करें।
इधर स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी है। विधानसभा स्थगित होने पर भाजपा नेता येदियुरप्पा ने चेतावनी दी है। येदियुरप्पा ने कहा कि अगर बहुमत साबित आज नहीं किया गया तो रात में सदन में ही रुकेंगे। येदियुरप्पा अपने सभी विधायकों के साथ विधानसभा में डटे हुए हैं। बीजेपी विधायकों ने सदन के लॉन्ज में खाना खाया।
राज्यपाल ने सीएम को लिखी चिट्ठी
कर्नाटक गवर्नर वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को पत्र लिखकर शुक्रवार को 1:30 बजे तक बहुमत साबित करने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि भाजपा और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। भाजपा कर्नाटक मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बहुमत परीक्षण की मांग करेगी। भाजपा की ओर से मुकुल रोहतगी बहुमत परीक्षण में हो रही देरी पर अदालत से समय सीमा निर्धारित करने की मांग करेंगे।
सरकार अपना विश्वास खो चुकी है- येदियुरप्पा
वहीं भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा ने कुमारस्वामी सरकार पर निशाना साधा है। येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार सदन और लोगों के बीच अपना विश्वास खो चुकी है। यह हर कोई जानता है कि उनके पास सिर्फ 98 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के पास 105 एमएलए मौजूद हैं।
सत्ता में बने रहना प्राथमिकता नहीं- कुमारस्वामी
वहीं विश्वास मत प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुमारस्वामी ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की चर्चा सदन में नहीं करना चाहते, क्योंकि उसपर एक लंबी बहस हो सकती है। हां लेकिन इतना जरूर कहना चाहता हूं कि बागी विधायकों को बीजेपी की ओर से बरगलाया और गुमराह किया गया है। कुमारस्वामी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि इनकी मदद से सभी विधायक सुप्रीम कोर्ट गए ।
इस दौरान सीएम कुमारस्वामी ने कहा कि वो सदन में बहुमत साबित करके रहेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता सीएम बने रहना या सत्ता में बने रहना नहीं है।' बल्कि कर्नाटक के विकास के लिए काम करना है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों की सियासी घटनाओं से साफ है कि कुछ विधायकों ने विधानसभा स्पीकर की भूमिका को भी खतरे में डाल दिया है।
सरकार गिराने की इतनी जल्दी क्यों- कुमारस्वामी
कुमारस्वामी ने सदन में भाजपा नेताओं से पूछा कि आपको सरकार गिराने की इतनी जल्दी क्यों? फिलहाल भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस दावा कर रही है कि उनके पास बहुमत है। हालांकि सदन में बहस के दौरान 21 विधायकों की अनुपस्थिति से कुमारस्वामी सरकार का गिरना लगभग तय माना जा रहा है।
विधानसभा अपडेट्स:-
-कर्नाटक में विधानसभा की कार्यवाही कल तक स्थगित
- आज विश्वास मत पर वोटिंग नहीं होगी
- राज्यपाल ने निर्देश नहीं दिए, इच्छा जताई- स्पीकर
-राज्यपाल का विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में संदेश पढ़ा
-आज विश्वास मत पर वोटिंग के लिए विचार करें
-कर्नाटक में बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा
-विधानसभा स्पीकर को सही सलाह दें राज्यपाल
-स्पीकर विश्वास मत लाने के मूड में नहीं
-कुमारस्वामी सरकार बहुमत खो चुकी है
-2 निर्दलीय विधायक भी समर्थन वापस ले चुके हैं
-बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल से कार्रवाई की मांग की
डीके शिवकुमार और BJP विधायकों में तीखी बहस
विधानसभा में विश्वासमत पर चर्चा के दौरान भाजपा और कांग्रेस के विधायक भिड़ गए। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के बयान का सदन में भाजपा विधायकों ने विरोध किया। इस बीच डीके शिवकुमार बीच में खड़े हुए और भाजपा विधायकों पर जोरदार तरीके से जवाब देने लग गए। डीके शिवकुमार ने बहस के दौरान आरोप लगाया कि भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा देश को गुमराह कर रहे हैं।
- स्पीकर केआर रमेश बोले- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सर्वोपरि
- कांग्रेस का व्हिप नियमानुसार प्रभावी
- बहस में भाग नहीं लेने वाले विधायक नहीं मिलेगा उपस्थिति का लाभ
- बीएस येदियुरप्पा ने कहा कुमारस्वामी सरकार की हार तय है
- भाजपा को सरकार को गिराने की जल्दी में है
विश्वासमत पर बहस के बाद मतदान होगा। इसके बाद साफ हो जाएगा कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी रहेगी या बहुमत न होने की स्थिति में गिर जाएगी।
- कांग्रेस के 2 विधायक गैरहाजिर
- कांग्रेस के श्रीमंत पाटिल और नागेंद्र विधानसभा नहीं पहुंचे हैं
- कांग्रेस के बागी विधायक आनंद सिंह भी गोवा में ही हैं
- बसपा विधायक महेश भी विधानसभा नहीं पहुंचे हैं
- बहस के दौरान कांग्रेस के 26 विधायक अपनी बात रखेंगे
- सिद्धारमैया ने भाजपा पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया
- सिद्धारमैया और येदियुरप्पा पहुंचे विधानसभा
- कर्नाटक के बागी विधायक विश्वासमत में नहीं आएंगे
- विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद वोटिंग होगी
- 16 बागी विधायक तय करेंगे कुमारस्वामी का भविष्य
- बहुमत साबित न होने पर गिर सकती है कांग्रेस-जेडीएस सरकार
- भाजपा का दावा उनके पास है बहुमत
जानिए कर्नाटक विधानसभा में नंबर का खेल
कुल विधायक - 224
भाजपा - 105
कांग्रेस - 79
जेडीएस - 37
निर्दलीय - 2
बसपा - 1
मनोनीत - 1
संख्या बल के लिहाज से देखें तो विश्वासमत में कांग्रेस-जेडीएस सरकार को हार का मुंह देखना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए कि अयोग्यता या इस्तीफों के बाद कांग्रेस-जेडीएस के पास 100-101 विधायक होंगे तो भाजपा के पास अकेले दम पर 105 विधायक होंगे।
विधानसभा से गायब हैं ये विधायक
विधानसभा विश्वासमत पर बहस के दौरान पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा विधायक चर्चा में शामिल नहीं हुए हैं। अभी तक यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अधिकतम 18 विधायक विधानसभा से दूरी बना सकते हैं, लेकिन बहस शुरू होने के बाद 21 विधायक विधानसभा नहीं पहुंचे हैं।
यह विधायक गैरहाजिर
1. बी. बासवराज
2. मुनिरत्ना
3. एसटी सोमशेखर
4. रमेश जारकीहोली
5. रोशन बेग
6. श्रीमंत पाटिल
7. आनंद सिंह
8. बी नगेंद्र
9. आर शंकर
10. के गोपालैया
11. नारायण गौड़ा
12. एमटीबी नागराज
13. बीसी पाटिल
14. एच विश्वनाथ
15. महेश कुमुथल्लई
16. प्रताप गौड पाटिल
17. डॉ. सुधाकर
18. शिवराम हेब्बर
19. एन महेश
20. नागेश
21. अभी नाम सामने नहीं आया
2 बसों में विधानसभा पहुंचे BJP विधायक
चर्चा में भाग लेने के लिए दो बसों में भाजपा विधायक विधानसभा भवन पहुंच गए हैं। कांग्रेस के विधायक भी विधानसभा पहुंचने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और बीएस येदियुरप्प भी विधानसभा पहुंच गए हैं।
बता दें कि विश्वास मत हासिल करने का ऐलान राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने मानसून सत्र के पहले दिन ही किया था। उन्होंने विधानसभा स्पीकर केआर रमेश से कहा था कि सरकार विश्वास मत का सामना करने के लिए तैयार हैं।
धारा-144 लागू
विधानसभा के दो किलोमीटर के क्षेत्र में सुरक्षा के मद्देनजर कर्नाटक पुलिस ने धारा 144 लाग दी है। धारा-144 सुरक्षा और शांति बनाए रखने के मकसद से लगाई गई है।
आखिरी कोशिश
कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाने के लिए सीएम कुमारस्वामी ने अंतिम कोशिश की। उन्होंने बागी विधायकों को मनाने के लिए मुंबई अपना दूत भेजा। कांग्रेस और जेडीएस सरकार पर संकट का ये बादल 16 विधायकों के बागी होने की वजह से मंडराया हुआ है। हालांकि एक बागी विधायक रामलिंगा रेड्डी सरकार के पक्ष में वोट करने का ऐलान किया है।
दरअसल, कर्नाटक में जब से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी है तभी से खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। इस बार कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के इस्तीफे के बाद से सीएम एचडी कुमारस्वामी की कुर्सी पर खतरा और ज्यादा बढ़ गया है। राजनीतिज्ञों का दावा है कि कर्नाटक सरकार गिर सकती है।
बागी विधायकों ने बिगाड़े समीकरण
कर्नाटक विधानसभा में विधायकों की संख्या 224 है। विधायकों के इस्तीफे से पहले भाजपा के 105 सदस्य थे। इसके अलावा कांग्रेस 79 और जेडीएस के 37 सदस्य थे। विधायकों के इस्तीफे देने के बाद समीकरण मौजूदा सरकार के लिए बिगड़ गए हैं।
बागी विधायकों के कारण भाजपा के विधानसभा में सदस्यों की संख्या तो फिलहाल उतनी ही है, लेकिन कांग्रेस और जेडीएस को इस मामले में नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद से गठबंधन के पास 101 विधायक हैं। जिसके कारण दोनों पार्टियों का कुल आंकड़ा विधानसभा में भाजपा से कम आ रहा है।
इसके अलावा कर्नाटक में निर्दलीय 2, बीएसपी का एक और एक नामित सदस्य मौजूद है। बदले हालात में दो निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने का फैसला लिया है।
Updated on:
19 Jul 2019 08:40 am
Published on:
18 Jul 2019 08:30 am
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