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लोकसभा चुनाव: भारत में कसौटी पर कितने खरे उतरते हैं एग्जिट पोल?

locationनई दिल्लीPublished: May 22, 2019 11:06:26 am

Submitted by:

Mohit sharma

क्या है एग्जिट पोल सर्वे करने का सही तरीका
मतदाता से बातचीत के आधार पर केवल पूर्वानुमान होते हैं एग्जिट पोल
सरकार ने एग्जिट पोल किया बैन तो पोस्ट पोल सर्वे हुआ शुरू

Lok Sabha election

लोकसभा चुनाव: भारत में कसौटी पर कितने खरे उतरते हैं एग्जिट पोल?

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स को लेकर इस समय देश का सियासी माहौल काफी गरम है। एग्जिट पोल केंद्र में एक बार फिर भाजपा सरकार बनने का संकेत दे रहे हैं। जिससे भारतीय जनता पार्टी में खुशी तो विपक्षी दलों में निराशा का भाव। ऐसे में विपक्षी नेता एग्जिट पोल्स को गलत बता रहे हैं। जबकि भाजपा एग्जिट पोल्स की रिपोर्ट से गदगद है। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि क्या है एग्जिट पोल और यह कितना सही साबित होता है।

कब सही और कब गलत हुए साबित

इस सर्वे को भारत में 1980 के चुनाव में आजमाया गया। मतदाताओं की नब्‍ज टटोली गई। इसको भी देश में एग्जिट पोल की वास्तविक शुरुआत माना जाता है।
1996 के लोकसभा चुनाव में सीएसडीएस के एग्जिट पोल ने खंडित जनादेश का अनुमान लगाया गया। यह एग्जिट पोल चुनाव परिणाम के दौरान बिल्कुल सही साबित हुए। इस दौरान अटल बिहार वाजपेयी के नेतृत्व
वाली एनडीए की सरकार बनी। हालांकि यह सरकार 13 दिन ही चल पाई।
1998 के लोकसभा चुनाव में देश सर्वों ने एनडीए सरकार को सबसे बड़ी पार्टी दिखाया गया। हालांकि बहुमत का जादुई आंकड़ा एनडीए की पहुंच से दूर दिखाया गया। एग्जिट पोल में एनडीए को 214-249 और यूपीए को 145-164 सीटें मिलने का दावा किया गया। चुनाव परिणाम में एनडीए को 252 और कांग्रेस को 166 सीटें मिली।
1999 के आम चुनाव में सर्वों ने एनडीए को 300 सीटें मिलने का दावा किया। चुनाव नतीजों में सर्वे सही साबित हुए और एनडीए को 296 सीटें मिली। इस दौरान यूपीए 134 सीट ही मिल पाईं।
2004 के लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल बिल्कुल गलत साबित हुए। पोल्‍स में भाजपा नीत एनडीए को बहुमत मिलने की बात कही गई। लेकिन चुनाव परिणाम में एनडीए के हाथ 200 सीट भी नहीं लग पाईं।
इसके बाद 2009 के आम चुनाव में भी एग्जिट पोल्‍स एक बार फिर गलत साबित हुए। सर्वे में यूपीए को 199 और एनडीए को 197 सीटें मिलने का अनुमान बताया गया। रिजल्ट में यूपीए ने 262 सीट और एनडीए को 159 सीटें मिलीं।
हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल्‍स बिल्कुल सही साबित हुए। सर्वे में मोदी लहर बताई गई। जब चुनाव भाजपा को एनडीए ने 336 सीटें जीतीं। जबकि यूपीए केवल 59 सीटों तक ही पहुंच पाई।
एक्जिट पोल का तरीका

चुनाव के लिए जब मतदाता पोलिंग बूथ से अपना वोट डालकर निकल रहा होता है, तब उससे पूछा जाता है कि उसने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया। मतदाता के साथ बातचीत और उसके जवाब के आधार पर सर्वेक्षण से जो परिणाम निकल कर आता है वो ही एग्जिट पोल कहलाता है। दुनिया में एग्जिट पोल की शुरुआत नीदरलैंड के एक समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वान डैम ने की थी। जबकि 15 फरवरी, 1967 को पहली बार एग्जिट पोला का इस्तेमाल किया गया था।

ओपिनियन पोल

वहीं, ओपिनियन पोल एग्जिट पोल से बिल्कुल अलग होता है। ओपिनियन पोल में निर्वाचकों से जानकारी की जाती है कि वो इस बार अपना वोट किसको देने का मना बना रहे हैं। दरअसल, भारत में जो ओपिनियन पोल का स्वरूप है, उसका इस्तेमाल पत्रकार चुनाव के दौरान विभिन्न मुद्दों पर जतना की राय जानने के लिए करते थे। इसकी शुरुआत सबसे पहली बार अमरीका में उस समय हुई जब श्रेय जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने वहां के लोगों के बीच एकत्र सैंपल सर्वे किए। हालांकि भारत में इसकी 1960 में शुरुआत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के मुखिया एरिक डी कोस्टा ने की थी।

एग्जिट पोल पर बैन

ओपिनियन पोल की यह नई विधा बहुत तेजी के साथ प्रचलित हुई। लेकिन जल्द ही राजनीतिक दलों को यह खटकने लगी। नतीजा यह रहा है कि सभी सियासी दल ओपिनियन पोल के विरोध में आ खड़े हुए और प्रतिबंध लगाने की मांग पर अड़ गए। राजनीतिक दलों की मांग पर चुनाव आयोग ने 1999 में ओपिनियन पोल और एक्जिट पोल पर बैन लगा दिया। तब एक मीडिया हाउस ने आगे आते हुए शीर्ष अदालत में चुनाव आयोग के निरस्त कर दिया।

फिर हुआ प्रयास

लोकसभा चुनाव 2009 में जब एग्जिट पोल फिर से प्रतिबंधित करने की मांग उठी तो तत्कालीन यूपीए सरकार जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 में संशोधन लाई। संशोधित कानून के अनुसार चुनाव में अंतिम वोट डालने तक एक्जिट पोल को प्रतिबंधित किया गया।

एक्जिट पोल

दरअसल, मतदान को लेकर मतदाताओं और निर्वाचकों के बीच होने वाली बातचीत के आधार पर राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों की जीत हार के पूर्वानुमानों के आकलन की प्रक्रिया चुनावी सर्वे कहलाती है। हालांकि विभिन्न स्तरों के माध्यम से होने वाले सर्वेक्षण अलग-अलग साबित होते हैं।

 

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