वाली एनडीए की सरकार बनी। हालांकि यह सरकार 13 दिन ही चल पाई।
चुनाव के लिए जब मतदाता पोलिंग बूथ से अपना वोट डालकर निकल रहा होता है, तब उससे पूछा जाता है कि उसने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया। मतदाता के साथ बातचीत और उसके जवाब के आधार पर सर्वेक्षण से जो परिणाम निकल कर आता है वो ही एग्जिट पोल कहलाता है। दुनिया में एग्जिट पोल की शुरुआत नीदरलैंड के एक समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वान डैम ने की थी। जबकि 15 फरवरी, 1967 को पहली बार एग्जिट पोला का इस्तेमाल किया गया था।
ओपिनियन पोल
वहीं, ओपिनियन पोल एग्जिट पोल से बिल्कुल अलग होता है। ओपिनियन पोल में निर्वाचकों से जानकारी की जाती है कि वो इस बार अपना वोट किसको देने का मना बना रहे हैं। दरअसल, भारत में जो ओपिनियन पोल का स्वरूप है, उसका इस्तेमाल पत्रकार चुनाव के दौरान विभिन्न मुद्दों पर जतना की राय जानने के लिए करते थे। इसकी शुरुआत सबसे पहली बार अमरीका में उस समय हुई जब श्रेय जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने वहां के लोगों के बीच एकत्र सैंपल सर्वे किए। हालांकि भारत में इसकी 1960 में शुरुआत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के मुखिया एरिक डी कोस्टा ने की थी।
एग्जिट पोल पर बैन
ओपिनियन पोल की यह नई विधा बहुत तेजी के साथ प्रचलित हुई। लेकिन जल्द ही राजनीतिक दलों को यह खटकने लगी। नतीजा यह रहा है कि सभी सियासी दल ओपिनियन पोल के विरोध में आ खड़े हुए और प्रतिबंध लगाने की मांग पर अड़ गए। राजनीतिक दलों की मांग पर चुनाव आयोग ने 1999 में ओपिनियन पोल और एक्जिट पोल पर बैन लगा दिया। तब एक मीडिया हाउस ने आगे आते हुए शीर्ष अदालत में चुनाव आयोग के निरस्त कर दिया।
फिर हुआ प्रयास
लोकसभा चुनाव 2009 में जब एग्जिट पोल फिर से प्रतिबंधित करने की मांग उठी तो तत्कालीन यूपीए सरकार जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 में संशोधन लाई। संशोधित कानून के अनुसार चुनाव में अंतिम वोट डालने तक एक्जिट पोल को प्रतिबंधित किया गया।
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